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GK Tricks – भारत के प्रमुख परमाणु केंद्र व संबंधित राज्य ( India’s Leading Nuclear Center and Related states )

India's Leading Nuclear Center and Related states
Written by Nitin Gupta

Nuclear Power Plant in India

नमस्कार दोस्तो, आज की इस ट्रिक में हम आपको भारत के प्रमुख परमाणु केंद्र व वो किस राज्य में स्थित हैं इसको याद करने की ट्रिक बताऐंगे ! इसके बारे में अक्सर परीक्षा में पूंछा जाता है और हम हमेशा भूल जाते हैं कि कौन सा परमाणु केंद्र किस राज्य में स्थित है !

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तमिल कुक ने महान T T को केक न्यु कोरा कागज पर दिया

Explanation 

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ट्रिकी शब्द परमाणु केंद्र राज्य
तमिल कुक कुडानकुलम (कु)

कलपक्कम ()

तमिलनाडु (तमिल)
महान T T

 

तारापुर (T)

ट्राम्बे (T)

महाराष्ट्र (महान)

 

केक कैगा (के) कर्नाटक ()
न्यु नरैरा () युपी (यु)
कोरा कोटा (को) राजस्थान (रा)
कागज काकरापार (का) गुजरात (गज)

Note –

  • तारापुर परमाणु विद्ध्युत केंद्र USA की सहायता से स्थापित भारत का पहला परमाणु विद्ध्युत केंद्र है
  • रावतभाटा परमाणु विद्ध्युत केंद्र प्रारंभ में कनाडा की सहायता से शुरु किया गया , बाद में यह परियोजना स्वदेशी तकनीकी की सहायता से पूरी की गई ! वर्तमान में यह भारत का सबसे बडा Nuclear Park है !
Nuclear Power Plants in India Map

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परमाणु उर्जा से संबंधित अन्य जानकारी

डॉ. होमी जे. भाभा की अध्यक्षता में 10 अगस्त, 1948 को परमाणु ऊर्जा आयोग की स्थापना  के साथ ही परमाणु ऊर्जा अनुसंधान की भारतीय यात्रा आरंभ हुई। भारत के प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में परमाणु ऊर्जा कार्यक्रमो के कार्यान्वयन हेतुअगस्त 1954 में परमाणु ऊर्जा विभाग की स्थापना की गई परमाणु ऊर्जा के सभी कार्यक्रम प्रधानमंत्री के तत्वधान में किये जाते हैं।

परमाणु अनुसंधान एवं विकाश के प्रमुख केंद्र

भाभा परमाणु अनुसंधान केंद्र (BARC), ट्राम्बे (मुम्बई)

  • BARC ट्राम्बे मुंबई में स्थित परमाणु विज्ञान के क्षेत्र में कार्यरत देश का प्रमुख अनुसंधान केंद्र है !
  • BARC परमाणु विद्धयुत कार्यक्रम तथा उद्ध्योग एवं खनिज क्षेत्र की इकाईयों को अनुसंधान एवं विकाश में सहायता प्रदान करता है !
  • प्रायोगिक  रिएक्टरो को “जीरो पॉवर” रिएक्टर भी कहते हैं। क्योंकि इसका इस्तेमाल ऊर्जा प्राप्ति की अपेक्षा नाभिकीय अनुसंधान के लिए खास तौर से किया जाता है।
  • कनाडा के सहयोग से BARC में स्थापित सायरस तापीय रिएक्टर का मुख्य उद्देश रेडियो आइसोटोप का उत्पादन एवं उनके प्रयोग को प्रोत्साहित करना है।
  • ध्रुव अनुसंधान रिएक्टर में रेडियो आइसोटोप तैयार करने के साथ-साथ परमाणु प्रौद्योगिकियों व पदार्थों में शोध पर कार्य किया जाता है।

इंदिरा गाँधी परमाणु अनुसंधान केंद्र (IGCAR), कलपक्कम (तमिलनाडु)

  • वर्ष 1971 में कलपक्कम तमिलनाडु में इस केंद्र की स्थापना की गई। इस वक्त केंद्र का प्रमुख कार्य फ़ास्ट ब्रीडर रिएक्टर के संबंध में अनुसंधान एवं विकास करना है। इस केंद्र में स्थित फास्ट ब्रीडर टेस्ट रिएक्टर विश्व में अपनी तरह का पहला रिएक्टर है जो प्लूटोनियम, यूरेनियम मिश्रित कार्बाइड ईधन को काम में लाता है। फ़ास्ट ब्रीडर रिएक्टर की कुछ विशेषताएं निम्न है-
  • (i). इसमे श्रृंखलागत अभिक्रिया को तीव्र न्यूट्रॉनो के माध्यम से निरंतर जारी रखा जाता है। ताप रिएक्टर की अपेक्षा इसमें विखंडित न्यूट्रॉनों की संख्या अत्यधिक होती है।
  • (ii). फ़ास्ट ब्रीडर टेस्ट रिएक्टर में प्राकृतिक यूरेनियम का प्रयोग ताप रिएक्टर की अपेक्षा 60 से 70 गुना ज्यादा होता है।
  • (iii). इसमें रेडियोधर्मिता का उत्सर्जन अल्प मात्रा में होता है।
  • (iv). इसमें शीतलक के रूप में सोडियम का प्रयोग किया जाता है जबकि ताप रिएक्टर में जल का।
  • (v). फ़ास्ट ब्रीडर टेस्ट रिएक्टर की रूपरेखा फ्रांस की रैपसोडी रिएक्टर पर आधारित है।

उच्च प्रौद्योगिकी केंद्र (CAT), इंदौर

  •  1984 में इंदौर में स्थापित उच्च प्रौद्योगिकी केंद्र का मुख्य  कार्य लेजर एवं त्वरकों के क्षेत्र में प्रौद्योगिकी का विकास करना है।
  •  लेजर (LASER) अक्षर समूह का निर्माण लाइट एम्पलिफिकेशन बाई स्टीमुलेटेड एनिमेशन ऑफ रेडिएशन के संक्षिप्तीकरण में हुआ है। जिसका अर्थ होता है विकिरण उत्सर्जन के द्वारा प्रकाश का प्रवर्द्धन। लेसर एक ऐसी युक्ति है जिसमें विकिरण ऊर्जा के उत्सर्जन के द्वारा एकवर्णीय प्रकाश प्राप्त किया जाता है लेजर की खोज अमेरिका की हेजेज प्रयोगशाला में थियोडोर मेमैन के द्वारा 1960 में की गयी थी। 1964 में BARC करने के नियम और दैनिक अर्धचालक लेजर का निर्माण किया।

परमाणु परिक्षण

  • 18 मई, 1974 में पोखरण,जैसलमेर (राजस्थान) में भारत ने स्वदेशी पहला परीक्षणीय परमाणु विस्फोट किया। यह बम 12 किलोटन क्षमता का था।
  • पहले परीक्षण के 24 वर्षों के बाद पोखरण में दूसरी बार 11 मई व 13 मई, 1998 को परमाणु परीक्षण किया गया जिसे “शक्ति-98” नाम दिया गया।
  • सब किलोटन (अर्थात एक किलोटन से कम) विस्फोटों का सबसे बड़ा भाग गया है कि यदि भारत ने समग्र परमाणु परीक्षण निषेध संधि (CTBT) पर हस्ताक्षर कर भी दिए, तो इस विस्फोटक तकनीकी के माध्यम के बाद प्रयोगशाला में भी परीक्षणों को जारी रखा जा सकता है।
  • “शक्ति-98” योजना की सफलता का श्रेय वैज्ञानिको को संयुक्त रूप से जाता है  (i). आर.चिदंबरम (ii). डॉ एपीजे अब्दुल कलाम  (iii). अनिल काकोडकर।
  • 1974 के परमाणु परीक्षण में मात्र प्लूटोनिक ईधन  का उपयोग हुआ था, जबकि वर्ष 1998 में परिशोषित यूरेनियम से लेकर ट्रीटियम, डयूटेरियम तक का उपयोग किया गया।
  • ट्रीटियम ईधन परमाणु ऊर्जा रिएक्टरो में प्रयोग में  लाए जाने वाले भारी जल से प्राप्त किया जाता है।

अन्य महत्वपूर्ण ट्रिक –

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About the author

Nitin Gupta

GK Trick by Nitin Gupta पर आपका स्वागत है !! अपने बारे में लिखना सबसे मुश्किल काम है ! में इस विश्व के जीवन मंच पर एक अदना सा और संवेदनशीलकिरदार हूँ जो अपनी भूमिका न्यायपूर्वक और मन लगाकर निभाने का प्रयत्न कर रहा हूं !! आप मुझे GKTrickbyNitinGupta का Founder कह सकते है !
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