Child Development and Pedagogy CTET Only GK

बाल विकास एवं शिक्षाशास्त्र ( Child Development and Pedagogy ) Part – 2 [ Topic – बाल विकाश का परिचय ( Introduction to Child Development ) ]

Bal Vikas Shiksha Shastra Notes
Written by Nitin Gupta

नमस्कार दोस्तो , कैसे हैं आप सब ? I Hope सभी की Study अच्छी चल रही होगी 🙂 

दोस्तो आप में से कुछ साथियों ने मुझसे Child Development and Pedagogy के नोट्स की मांग की थी !  तो उसी को ध्यान में रखते हुये आज से हम अपनी बेबसाइट पर Child Development and Pedagogy के One Liner Question and Answer के पार्ट उपलब्ध कराऐंगे , जो आपको सभी तरह के Teaching के Exam जैसे CTET , UPTET , MP Samvida Teacher , HTET , REET आदि व अन्य सभी Exams जिनमें कि Child Development and Pedagogy आता है उसमें काम आयेगी ! 

आज की हमारी पोस्ट Child Development and Pedagogy का दूसरा पार्ट है जिसमें कि हम बाल विकाश का परिचय ( Introduction to Child Development ) से संबंधित Most Important Question and Answer को बताऐंगे ! तो चलिये दोस्तो शुरु करते हैं ! 

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Child Development and Pedagogy

Introduction to Child Development

  • बालक के विकास की प्रक्रिया कब शुरू होती है – जन्‍म से पूर्व
  • विकास की प्रक्रिया – जीवन पर्यन्‍त चलती है।
  • सामान्‍य रूप से विकास की कितनी अवस्‍थाएं होती हैं – पांच
  • ”वातावरण में सब बाह्य तत्‍व आ जाते हैं जिन्‍होंने व्‍यक्ति को जीवन आरंभ करने के समय से प्रभावित किया है।” यह परिभाषा किसकी है – वुडवर्थ की
  • ”वंशानुक्रम व्‍यक्ति की जन्‍मजात विशेषताओं का पूर्ण योग है – बी.एन.झा का
  • बंशानुक्रम के निर्धारक होते हैं जीन्‍स
  • कौन-सी विशेषता विकास पर लागू नहीं होती है – विकास को स्‍पष्‍ट इकाइयों में मापा जा सकता है।
  • शैशव काल का नियत समय है – जन्‍म से 5-6 वर्ष तक
  • बालक की तीव्र बुद्धि का विकास पर क्‍या प्रभाव पड़ता है – विकास सामान्‍य से तीव्र होता है।
  • विकास एक प्रक्रिया है – निरन्‍तर
  • बाल्‍यावस्‍था में मस्तिष्‍क का विकास हो जाता है : – 90 प्रतिशत
  • अन्‍तर्दर्शन विधि में बल दिया जाता है – स्‍वयं के अध्‍ययन पर
  • बालक को आनन्‍ददायक सरल कहानियों द्वारा नैतिक शिक्षा प्रदान करनी चाहिए। यह कथन है – कोलेसनिक का
  • विकास के सन्‍दर्भ में मैक्‍डूगल ने – मूल प्रवृत्‍यात्‍मक व्‍यवहार का विश्‍लेषण किया।
  • जब हम किसी भी व्‍यक्ति के विकास के विषय में चिन्‍तन करते हैं तो हमारा आशय – उसकी कार्यक्षमतासे होता है, उसकी परिपक्‍वता से होता है, उसकी शक्ति ग्रहण करने से होता है।
  • संवेगात्‍मक विकास में किस अवस्‍था में तीव्र परिवर्तन होता है – किशोरावस्‍था
  • वृद्धि और विकास है – एक-दूसरे के पूरक
  • चारित्रिक विकास का प्रतीक है – उत्‍तेजना
  • विकासात्‍मक पद्धति को कहते हैं – उत्‍पत्ति मूलक विधि
  • मानसिक विकास के लिए अध्‍यापक का कार्य है – बालकों को सीखनेके पूरे-पूरे अवसर प्रदान करें। छात्र-छात्राओं के शारीरिक स्‍वास्‍थ्‍य की ओर पूर-पूरा ध्‍यान दें। व्‍यक्तिगत भेदों की ओर ध्‍यान देते हुए उनके लिए समुचित वातावरण की व्‍यवस्‍था करें।
  • वाटसन ने नवजात शिशु में मुख्‍य रूप से किन संवेगों की बात कही है – भय, क्रोध व स्‍नेह
  • किशोरावस्‍था की मुख्‍य समस्‍याएं हैं – शारीरिक विकास की समस्‍याएं, समायोजन की समस्‍याएं, काम और संवेगात्‍मक समस्‍याएं
  • शैशवावस्‍था है – जन्‍म से 7 वर्ष तक
  • शिशु का विकास प्रारम्‍भ होता है – गर्भकाल में
  • बाल्‍यावस्‍था के लिए पर्याप्‍त नींद होती है – 8 घण्‍टे
  • बालिकाओं की लम्‍बाई की दृष्टि से अधिकतम आयु है – 16 वर्ष
  • बालक के विकास को जो घटक प्रेरित नहीं करता है, वह है – वंशानुक्रम या वातावरण दोनो ही नहीं
  • किसके विचार से शैशवावस्‍था में बालक प्रेम की भावना, काम प्रवृति पर आधारित होती है – फ्रायड
  • रॉस ने विकास ने विकास क्रम के अन्‍तर्गत किशोरावस्‍था का काल निर्धारित किया है – 12 से 18 वर्ष तक
  • किशोरावस्‍था की प्रमुख विशेषता नहीं हैं – मानसिक विकास
  • बालकों के विकास की किस अवस्‍था को सबसे कठिन काल के रूप में माना जाता है – किशोरावस्‍था Bal Vikas Shiksha Shastra Notes
  • उत्‍तर बाल्‍याकाल का समय कब होता है – 6 से 12 वर्ष तक
  • बाल्‍यावस्‍था की प्रमुख विशेषता नहीं है – अन्‍तर्मुखी व्‍यक्तित्‍व
  • संवेगात्‍मक विकास में किस अवस्‍था में तीव्र परिवर्तन होता है – किशोरावस्‍था
  • विकासवाद के समर्थक हैं – डिके एवं बुश, गाल्‍टन, डार्विन
  • विकास का तात्‍पर्य है – वह प्रक्रिया जिसमें बालक परिपक्‍वता की ओर बढ़ता है।
  • Age of Puberty कहलाता है – पूर्ण किशोरावस्‍था
  • व्‍यक्ति के स्‍वाभाविक विकास को कहते है – अभिवृद्धि
  • बालक के विकास की प्रक्रिया एवं विकास की शुरूआत होती है – जन्‍म से पूर्व
  • ”विकास के परिणामस्‍वरूप व्‍यक्ति में नवीन विशेषताएं और नवीन योग्‍यताएं प्रकट होती है।” यह कथन है – हरलॉक का
  • शैक्षिक दृष्टि से बाल विकास की अवस्‍थाएं है – शैशवावस्‍था, बाल्‍यावस्‍था, किशोरावस्‍था
  • स्किनर का मानना है कि ”विकास के स्‍वरूपों में व्‍यापक वैयक्तिक भिन्‍नताएं होती हैं। यह विचार विकास के किस सिद्धांत के संदर्भ में हैं – व्‍यक्तिगत भिन्‍नता का सिद्धान्‍त
  • मनोविश्‍लेषणवाद (Psyco Analysis) के जनक थे – फ्रायड
  • ”मुझे बालक दे दीजिए। आप उसे जैसा बनाना चाहते हों, मैं उसे वैसा ही बना दूंगा।” यह कहा था – वाटसन ने
  • सिगमण्‍ड फ्रायड के अनुसार, निम्‍न में से मन की तीन स्थितियों हैं – चेतन, अद्धचेतन, अचेतन
  • इड (ID), ईगो (Ego), एवं सुपर इगो (Super Ego) को मानव की संरचना का अभिन्‍न भाग मानता है – फ्रायड
  • केवल दो प्रकार की मूल प्रवृत्ति है – मृत्‍यु एवं जीवन। यह विचार है – फ्रायड
  • रुचियों, मूल प्रवृत्तियों एवं स्‍वाभाविक संवेगों का स्‍वस्‍थ विकास हो सकता है यदि – वातावरण जिसमें वह रहता है, स्‍वस्‍थ हो
  • मूल प्रवृत्ति की प्रमुख विशेषता पायी जाती है – समस्‍त प्राणियों में पायी जाती है, यह जन्‍मजात एवं प्रकृति प्रदत्‍त होती है।
  • व्‍यक्ति के स्‍वाभाविक विकास को कहते हैं – अभिवृद्धि
  • विकास का अभिप्राय है – वह प्रक्रिया जिसमेंबालक परिपक्‍वता की ओर बढ़ता है।
  • संवेग शरीर की वह जटिल दशा है जिसमें श्‍वास, नाड़ी तन्‍त्र, ग्रन्थियां, मानसिक स्थिति, उत्‍तेजना, अवबोध आदि का अनुभूति पर प्रभाव पड़ता है तथा पेशियां निर्दिष्‍ट व्‍यवहार करने लगती हैं। यह कथन है – ग्रीन का
  • ”वातावरण में सब बाह्य तत्‍व आ जाते हैं, जिन्‍होंने व्‍यक्ति को आरम्‍भ करने के समय में प्रभावित किया है।” यह परिभाषा है – बुडवर्थ की
  • ”विकास के परिणामस्‍वरूप व्‍यक्ति में नवीन विशेषताएं और नवीन योग्‍यताएं प्रगट होती हैं।” यह कथन है – हरलॉक का

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  • शैक्षिक दृष्टि से बालक के विकास की अवस्‍थाएं हैं – शैशवावस्‍था, बाल्‍यावस्‍था, किशोरावस्‍था
  • शैशवावस्‍था की प्रमुख मनोवैज्ञानिक विशेषता क्‍या है – मूल प्रवृत्‍यात्‍मक व्‍यवहार
  • शैशवावस्‍था में सीखने की प्रक्रिया का स्‍वरूप होता है – सीखने की प्रक्रिया में तीव्रता होती है।
  • बाल्‍यावस्‍था का समय है – 5 से 12 वर्ष तक Bal Vikas Shiksha Shastra Notes
  • बाल्‍यावस्‍था की प्रमुख मनोवैज्ञानिक विशेषता क्‍या है – सामूहिकता की भावना
  • बाल्‍यावस्‍था में सामान्‍यत: बालक का व्‍यक्तित्‍व होता है – बहिर्मुखी व्‍यक्तित्‍व
  • बाल्‍यावस्‍था में शिक्षा का स्‍वरूप होना चाहिए – सामूहिक खेलों एवं रचनात्‍मक कार्यों के माध्‍यम से शिक्षा दी जानी चाहिए।
  • मानव की वृद्धि एवं विकास की प्रक्रियानिम्‍न में से किस सिद्धान्‍त पर आधारित है – विकास की दिशा का सिद्धान्‍त, परस्‍पर सम्‍बन्‍ध का सिद्धान्‍त, व्‍यक्तिगत भिन्‍नताओं का सिद्धान्‍त
  • ”बालक की अभिवृद्धि जैविकी नियमों के अनुसार होती है।” यह कथन है – हरलॉक का
  • निम्‍न में से कौन-सा कारक व्‍यक्ति की वृद्धि या विकास को प्रभावित करता है – ग्रीन का
  • ”पर्यावरण बाहरी वस्‍तु है जो हमें प्रभावित करती है।” यह विचार है – रॉस का
  • बुद्धि-लब्धि के लिए विशिष्‍ट श्रेय किस मनोवैज्ञानिक को जाता है – स्‍टर्न
  • शैशवावस्‍था को जीवन का सर्वाधिक महत्‍वपूर्ण काल क्‍यों कहा जाता है – यह अवस्‍था वह आधार है जिस पर बालक के भावी जीवन का निर्माणहोता है।
  • जैसे-जैसे बालक की आयु का विकास होता है वैसे-वैसे उसके सीखने का क्रम निम्‍नलिखित की ओर चलता है – सूझ-बूझ की ओर
  • निम्‍न में से कौन-सा कथन सही नहीं है – विकास संख्‍यात्‍मक
  • निम्‍न में से कौन-सा कथन सही है – वृद्धि, विकास को प्रभावित करती है।
  • जिस आयु में बालक की मानसिक योग्‍यता का लगभग पूर्ण विकास हो जाता है, वह है – 14 वर्ष
  • ”मष्तिष्‍क द्वारा अपनी स्‍वयं की क्रियाओं का निरीक्षण किया जाता है।” – आत्‍म-निरीक्षण विधि
  • विकासात्‍मक पद्धति को कहते हैं – उत्‍पत्तिमूलक विधि
  • प्रयोगात्‍मक विधि में सामना नहीं करना पड़ता है – समस्‍या का चुनाव
  • मानव विकास जिन दो कारकों पर निर्भर करताहै, वह है – जैविक और सामाजिक
  • शिक्षक बालकों की पाठ में रुचि उत्‍पन्‍न कर सकता है – संवेगों से
  • बैयक्तिक भेदों का अध्‍ययन तथा सामान्‍यीकरण का अध्‍ययन किया जाता है – विभेदात्‍मक विधि में
  • एक माता-पिता के अलग-अलग रंग की संतान होती हैं, क्‍योंकि – जीव कोष के कारण
  • बाल विकास को सबसे अधिक प्रेरित करने वाला प्रमुख घटक है – बड़ा भवन
  • बाल विकास को प्रेरित करने वाला घटक नहीं है – परिपक्‍वता
  • वातावरण के अन्‍तर्गत आते हैं – हवा, प्रकाश, जल
  • कितने माह का शिशु प्रौढ़ व्‍यक्ति की मुख मुद्रा को पहचानने लगता है – 4-5 मास का शिशु
  • मानसिक विकास के लिए अध्‍यापक का कार्य है – बालकों को सीखने के पूरेपूरे अवसर प्रदान करें। छात्र-छात्राओंके शारीरिक स्‍वास्‍थ्‍य की ओर पूरा-पूरा ध्‍यान दें। व्‍यक्तिगत भेदों की ओर ध्‍यान देते हुए उनके लिए समुचित वातावरण की व्‍यवस्‍था करें।
  • शैशवावस्‍था होती है – जन्‍म से 7 वर्ष तक
  • वाटसन ने नवजात शिशु में मुख्‍य रूप में किन संवेगों की बात कही है – भय, क्रोध व स्‍नेह
  • जब माता-पिता के बच्‍चे उनके विपरीत विशेषताओं वाले विकसित होते हैं, तो यहां पर सिद्धान्‍त लागू होता है – प्रत्‍यागमन का
  • समानता के नियम के अनुसार माता-पिता जैसे होते हैं, उनकी सन्‍तान भी होती है – माता-पिता जैसी Bal Vikas Shiksha Shastra Notes
  • शिशु का विकास प्रारम्‍भ होता है – गर्भकाल में
  • सामाजिक स्थिति वंशानुक्रमणीय – होती है।
  • बालक की मूल शक्तियों का प्रधान कारक है – वंशानुक्रम
  • वंश का बुद्धि पर प्रभाव देखनेके लिए सैनिकों के वंशज का अध्‍ययन किया – गोडार्ड ने
  • मूल प्रवृत्ति का प्र‍तीक होता है – संवेग
  • बाल विकास की दृष्टि से सर्वाधिक समस्‍या का काल होता है – शैशवावस्‍था
  • बालक की अभिवृद्धि जैविकीय नियमों के अनुसार होती है। यह कथन है – क्रोगमैन का
  • बालक के विकास को जो घटक प्रेरितनहीं करता है, वह है – वंशानुक्रम या वातावराण्‍ दोनों की नहीं।
  • किसके विचार से शैशवावस्‍था में बालक प्रे‍म की भावना, काम प्रवृत्ति पर आधारित होता है – फ्रायड
  • वंशानुक्रम माता-पिता से सन्‍तान को प्राप्‍त होने वाले गुणों का नाम है। यह परिभाषा है – रूथ बैंडिक्‍ट की
  • ”विकास के परिणामस्‍वरूप व्‍यक्ति में नवीन विशेषताएं और नवीन योग्‍यताएं प्रस्‍फुटित होती है।” यह कथन है – हरलॉक का
  • ”वातावरण वह प्रत्‍येक वस्‍तु है, जो व्‍यक्ति के जीन्‍स के अतिरिक्‍त प्रत्‍येक वस्‍तु को प्रभावित करती है।” यह कथन है – एनास्‍टासी का
  • ”वंशानुक्रम हमें विकसित होने की क्षमता प्रदान करता है।” यह कथन है – लेण्डिस का
  • जीवन की प्रत्‍येक घटना का वंशानुक्रम एवं वातावरण से किस विद्वान ने संबंधित किया है – पेज एवं मैकाइवर ने
  • यह मत किसका है ”शिक्षक को अपने कार्य के सफल सम्‍पादन के लिए व्‍यावहारिक मनोविज्ञान का ज्ञान होना चाहिए।” – माण्‍टेसरी का
  • वर्तमान समय में विद्यालयों में मैत्री और प्रसन्‍नता का जो वातावरण दिखता है, उसका कारण है – मनोवैज्ञानिक उपचार
  • यह विचार किसका है –”क्‍योंकि दो बालकों में समान योग्‍यताएं या समान अनुभव नहीं होते हैं, इसीलिए दो व्‍यक्तियों में किसी वस्‍तु या परिस्थिति का समान ज्ञान होने की आशा नहीं की जा सकती।” – हरलॉक का
  • लड़कियों में बाह्य परिवर्तन किस अवस्‍था में होने लगते हैं – किशोरावस्‍था
  • बालक के सामाजिक विकास में सबसे महत्‍वपूर्ण कारक हैं – वातावरण
  • व्‍यक्तिगत भेद को ज्ञात करने की विधियां हैं – बुद्धि परीक्षण, व्‍यक्ति इतिहास विधि, रूचि परीक्षण
  • बालक से यह कहना ‘घर गन्‍दा मत करो’ कैसा निर्देश है – निषेधात्‍मक
  • बाल्‍यावस्‍था के दो भाग कौन-कौन से हैं – पूर्व बाल्‍यावस्‍था तथा उत्‍तर बाल्‍यावस्‍था
  • सात वर्ष की आयु में पहुंचते-पहुंचते एक सामान्‍य बालक का शब्‍द भण्डार हो जाता है, लगभग – 6000 शब्‍द
  • संकल्‍प शक्ति के कितने अंग हैं – तीन
  • बालक के समाजीकरण का प्रा‍थमिक घटक है – क्रीड़ा स्‍थल
  • बालक के चारित्रिक विकास के स्‍तर हैं – मूल प्रवृत्‍यात्‍मक, पुरस्‍कार व दण्‍ड, सामाजिकता
  • उत्‍तर बाल्‍यकाल का समय कब होता है – 6 से 12 वर्ष तक
  • ”बालक की शक्ति का वह अंश जो किसी काम में नहीं आता है, वह खेलों के माध्‍यम से बाहर निकाल दिया जाता है।” यह तथ्‍य कौन-सा सिद्धान्‍त कहता है – अतिरिक्‍त शक्ति का सिद्धान्‍त
  • भाषा विकास के विभिन्‍न अंग कौन से हैं – अक्षर ज्ञान, सुनकर भाषा समझना, ध्‍वनि पैदा करके भाषा बोलना Bal Vikas Shiksha Shastra Notes
  • स्‍टर्न के अनुसार खेल क्‍या है – खेल एक ऐच्छिक, आत्‍म-नियन्त्रित क्रिया है।
  • संवेगात्‍मक स्थिरता का लक्षण है – भीरू
  • अभिप्रे‍रणा का महत्‍व है – रूचि के विकास में, चरित्र निर्माण में, ध्‍यान केन्द्रित करने में
  • भाषा विकास के क्रम में अन्ति क्रम (सोपान) है – भाषा विकास की पूर्णावस्‍था
  • शिक्षा का कार्य है – अर्जित रूचियों को स्‍वाभाविक बनाना।
  • बालक के सामाजिक विकास में सबसे महत्‍वपूर्ण कारक कौन-सा है – वातावरण
  • संवेगात्‍मक विकास में किस अवस्‍था में तीव्र परिवर्तन होता है – किशोरावस्‍था
  • बालक का शारीरिक, मानसिक, सामाजिक और संवेगात्‍मक विकास किस अवस्‍था में पूर्णता को प्राप्‍त होता है – किशोरावस्‍था
  • चरित्र को निश्चित करने वाला महत्‍वपूर्ण कारक है – मनोरंजन सम्‍बन्‍धी कारक
  • जिस आयु मेंबालक की मानसिक योग्‍यता का लगभग पूर्ण विकास हो जाता है, वह है – 14 वर्ष
  • शिक्षा की दृष्टि से बाल की महत्‍वपूर्ण आवश्‍यकता क्‍या है – बालकों के साथ मनोवैज्ञानिक व्‍यवहार की आवश्‍यकता




 

  • मानव शरीर का आकार किस ग्रन्थि की सक्रियता से बढ़ता है – पिनीयल ग्रन्थि से
  • बालक की वृद्धि रूक जाती है – शारीरिक परिपक्‍वता प्राप्‍त करने के बाद
  • ”दो बालकों में समान मानसिक योग्‍यताएं नहीं होती।” यह कथन है – हरलॉक का
  • ”संवेदना ज्ञान की पहली सीढ़ी है।” यह – मानसिक विकास है।
  • तर्क, जिज्ञासा तथा निरीक्षण शक्ति का विकास होता है – 11 वर्ष की आयु में
  • “Introduction of Psychology” नामक पुस्‍तक लिखी है – हिलगार्ड तथा एटकिसन ने
  • व्‍यक्ति के स्‍वाभाविक विकास को कहते हैं – अभिवृद्धि
  • ‘ईमोशन’ शब्‍द का अर्थ है – उत्‍तेजित करना, उथल-पुथल पैदा करना, हलचल मचाना।
  • ‘संवेग अभिप्रेरकों का भावनात्‍मक पक्ष है।’ यह कथन है – मैक्‍डूगल का
  • ‘संवेग प्रकृति का हृदय है।’ यह कथन है – मैक्‍डूगल का
  • ‘Physical and Character’ पुस्‍तक के लेखक हैं – थार्नडाइक
  • संवेगहीन व्‍यक्ति को माना जाता है – पशु
  • ”सत्‍य अथवा तथ्‍यों के दृष्टिकोण से उत्‍तम प्रतिक्रिया का बल ही बुद्धि है।” बुद्धि की यह परिभाषा है – थार्नडाइक की
  • सांवेगिक स्थिरता में किस वस्‍तु के प्रति निर्वेद अधिगम को बढ़ाते हैं – साहस, जिज्ञासा, भौतिक वस्‍तु
  • कोई व्‍यक्ति डॉक्‍टर बनने की योग्‍यता रखता है तो कोई व्‍यक्ति शिक्षक बनने की योग्‍यता। यह किस कारण से होती है – अभिरूचि के कारण
  • बाल्‍यावस्‍था में शिक्षा का स्‍वरूप होना चाहिए – सामूहिक खेलों एवं रचनात्‍मक कार्यों के माध्‍यम से शिक्षा दी जानी चाहिए।
  • एडोलसेन्‍स शब्‍द लैटिन भाषा के एडोलेसियर क्रिया से बना है, जिसका तात्‍पर्य है – परिपक्‍वता का बढ़ना
  • किशोरावस्‍था का समय है – 12 से 18 तक
  • मानव की वृद्धि एवं विकास की प्रक्रिया निम्‍न में से किस सिद्धान्‍त पर आधारित है – विकास की दिशाका सिद्धान्‍त, परस्‍पर सम्‍बन्‍ध का सिद्धान्‍त, व्‍यक्तिगत भिन्‍नताओं का सिद्धान्‍त
  • बालकों को वंशानुक्रम से प्राप्‍त होती है – वांछनीय एवं अवांछनीय आदतें
  • पर्यावरण का निर्माण हुआ है – परि + आवरण
  • बोरिंग के अनुसार जीन्‍स के अतिरिक्‍त व्‍यक्ति को प्रभावित करने वाली वस्‍तु है – वातावरण
  • बुडवर्थ के अनुसार वातावरण का सम्‍बन्‍ध है – बाह्य तत्‍वों से
  • किशोर की शिक्षा में किस बात पर विशेष ध्‍यानाकर्षण की आवश्‍यकता होती है – यौन शिक्षा पर, पूर्ण व्‍यावसायिक शिक्षा पर, पर्याप्‍त मानसिक विकास पर
  • किशोरावस्‍था की विशेषताओं को सर्वोत्‍तम रूप में व्‍य‍क्‍त करने वाला एक शब्‍द है – परिवर्तन
  • किशोरावस्‍था प्राप्‍त हो जाने पर, निम्‍न में से कौन-सा गुण बालक में नहीं आता है – अधिक समायोजन का
  • किशोरावस्‍था के विकास को परिभाषित करने के लिए बिग एंड हण्‍ट ने किस शब्‍द को महत्‍वपूर्ण माना है – परिवर्तन
  • किशोरावस्‍था में बालकों में सामाजिकता के विकास के सन्‍दर्भ में कौन-सा कथन असत्‍य है – वे परिवार के कठोर नियन्‍त्रण में रहना पसन्‍द करते हैं।
  • निम्‍न में कौनसा कारक किशोरावस्‍था में बालक के विकास को प्रभावित करता है – खान-पान, वंशानुक्रम, नियमित दिनचर्या Bal Vikas Shiksha Shastra Notes
  • ‘दिवास्‍वप्‍न’ किस संगठन तन्‍त्र में विकसित रूप प्राप्‍त करता है – पलायन
  • ”बालक की शक्ति का वह अंश जो किसी काम में नहीं आता है, वह खेलों के माध्‍यम से बाहर निकाल दिया जाता है।” यह तथ्‍य कौन-सा सिद्धान्‍त कहलाता है – अतिरिक्‍त शक्तिका सिद्धान्‍त
  • निरंकुश राजतन्‍त्र में समाजीकरण की प्रक्रिया होगी – मन्‍द
  • बालक के समाजीकरण में भूमिका होती है – परिवार की, विद्यालय की, परिवेश की
  • जिस बुद्धि का कार्य सूक्ष्‍य तथा अमूर्त प्रश्‍नों का चिन्‍तन तथा मनन द्वारा हल करना है, वह है – अमूर्त बुद्धि
  • किशोरावस्‍था में रुचियां होती है – सामाजिक रूचियां, व्‍यावसायिक रूचियां, व्‍यक्तिगत रूचियां
  • जिस विधि के द्वारा बालक को आत्‍म-निर्देशन के माध्‍य से बुरी आदतों को छुड़वाने का प्रयास किया जाता है, वह विधि है – आत्‍मनिर्देश विधि
  • किस स्थिति में समाजीकरण की प्रक्रिया तीव्र होगी – धर्मनिरपेक्षता
  • संवेगात्‍मक एवं सामाजिक विकास के साथ-साथ चलने की प्रक्रिया को किस विद्वान ने स्‍वीकार किया है – क्रो एण्‍ड क्रो
  • खेल के मैदान को किस विद्वान ने चरित्र निर्माण का स्‍थल माना है – स्किनर तथा हैरीमैन ने
  • चरित्र को निश्चित करने वाला महत्‍वपूर्ण कारक है – मनोरंजन संबंधी कारक
  • समाजीकरण की प्रक्रिया को प्रभावित करते है – शिक्षा, समाज का स्‍वरूप, आर्थिक स्थिति
  • सामान्‍य बुद्धि बालक प्राय: किस अवस्‍था में बोलना सीख जाते हैं – 11 माह
  • पोषाहार योजना सम्‍बन्धित है – मिड डे मील योजना से
  • मिड डे मील योजना का प्रमुख संबंध है – केन्‍द्र से
  • मिड डे मील योजना का प्रमुख लक्ष्‍य है – बालक को पोषण प्रदान करना।
  • सामान्‍य ऊर्जा में पोषण का अर्थ माना जाता है – सन्‍तुलित भोजन से
  • पोषण के प्रमुख पक्ष हैं – सन्‍तुलित भोजन, नियमित भोजन
  • पोषण का विकृत रूप कहलाता है – कुपोषण
  • एक शिक्षक को पूर्ण ज्ञान होना चाहिए – पोषण का, पोषण के उपायों का, पोषक तत्‍वों का
  • पोषण का सम्‍बन्‍ध होता है – शारीरिक एवं मानसिक विकास
  • व्‍यापक अर्थ में पोषण का सम्‍बन्‍ध होता है – सन्‍तुलित भोजन से, स्‍वास्‍थ्‍यप्रद वातावरण एवं प्रकृति से
  • पोषण का अभाव अप्रत्‍यक्ष रूप से प्रभावित करता है – सामाजिक विकास को
  • पोषण के अभाव में बालक का व्‍यवहार हो जाता है – चिड़चिड़ा, अमर्यादित
  • सन्‍तुलित भोजन का स्‍वरूप निर्धारित होता है आयु वर्ग के अनुसार
  • अनुपयुक्‍त भोजन उत्‍पन्‍न करता है – कुपोषण
  • सन्‍तुलित भोजन के लिए आवश्‍यक है – शुद्धता एवं नियमितता
  • पोषण में वृद्धि के उपाय होते है – भोजन से सम्‍बन्धित, पर्यावरण से सम्‍बन्धित
  • पोषण के उपायों में प्रभावशीलता के लिए आवश्‍यक है – शिक्षक सहयोग, अभिभावक सहयोग, विद्यार्थी सहयोग
  • निम्‍नलिखित में कौन-सी विशेषता पोषण से सम्‍बन्धित है – सन्‍तुलित भोजन
  • सन्‍तुलित भोजन के साथ पोषण के लिए आवश्‍यक है – स्‍वास्‍थ्‍यप्रद वातावरण, उचित व्‍यायाम, खेलकूद
  • वह उपाय जो पोषण पर्यावरणीय उपायों से सम्‍बन्धित है – पर्याप्‍त निंद्रा, पर्याप्‍त व्‍यायाम, स्‍वास्‍थ्‍यप्रद वातावरण
  • सन्‍तुलित भोजन की तालिका में मांसाहारी एवं शाकाहारी बालकों की स्थिति होती है – समान या असमान दोनों की नहीं।
  • 1 से 3 वर्ष के बालक के लिए अन्‍न होना चाहिए – 150 ग्राम
  • 7 से 9 वर्ष के मांसाहारी एवं शाकाहारी बालकों के लिए अन्‍न होना चाहिए – 250 ग्राम
  • 7 से 9 वर्ष के बाल को किस स्‍वरूप के लिए 75 ग्राम हरी सब्जियों की आवश्‍यकता होती है – शाकाहारी एवं मांसाहारी दोंनों के लिए
  • सन्‍तुलित भोजन की तालिका में 1 से 9 वर्ष के लिए फलों की तालिका में वजन होता है – एक समान Bal Vikas Shiksha Shastra Notes
  • सन्‍तुलित भोजन में पोषक तत्‍व होते है – प्रोटीन, विटामिन, वसा
  • प्रोटीन सामान्‍य रूप से होती है – दो प्रकार की
  • मांस से प्राप्‍त प्रोटीन को कहते है – जन्‍तु जन्‍य प्रोटीन
  • कौन-सा स्रोत वनस्‍पतिजन्‍य प्रोटीन का है – जौ
  • क्‍वाशियरकर नामक रोग उत्‍पन्‍न होता है – प्रोटीन की कमी से
  • गन्‍ने के रस, अंगूर तथा खजूर से प्रमुख रूप से प्राप्‍त होती है – कार्बोज
  • कार्बोज की अधिकता से कौन सा रोग उत्‍पन्‍न होता है – मोटापा, बदहजमी
  • वसा के प्रमुख स्रोत हैं – वनस्‍पति तेल व सूखे मेवे
  • शरीर को अधिक शक्ति प्रदान करता है – वसा
  • खनिज लवणों की कमी से रक्‍त को नहीं मिल पाता है – हीमोग्‍लोबिन
  • घेंघा नामक रोग उत्‍पन्‍न होता है – आयोडिन अथवा खनिज लवण की कमी से
  • विटामिन का आविष्‍कार हुआ था – उन्‍नीसवीं शताब्‍दी के आरम्‍भ में
  • विटामिन ए की कमी से बालकों में कौंन-सा रोग होता है – रतौंधी
  • विटामिन बी की कमी से होता है – बेरी-बेरी रोग
  • पेलाग्रा रोग किस विटामिन की कमी से होता है – बी
  • बी काम्‍पलेक्‍स कहा जाता है – B1, B2, B2 को
  • विटामिन ‘सी’ की कमी से कौन-सा रोग होता है – स्‍कर्वी
  • विटामिन सी का प्रमुख स्‍त्रोत है – आंवला
  • स्त्रियों में मृदुलास्थि रोग किस विटामिन की कमी से होता है – विटामिन डी
  • विटामिन डी की कमी से उत्‍पन्‍न होता है – सूखा रोग
  • सूखा रोग पाया जाता है – बालिकाओं में
  • विटामिन ई की कमी से स्त्रियों में सम्‍भावना होती है – बांझपन, गर्भपात
  • विटामिन ई की कमी से उत्‍पन्‍न होने वाला रोग है – नपुंसकता
  • विटामिन K का प्रमुख स्‍त्रोत है – केला, गोभी, अण्‍डा
  • विटामिन ‘के’ की सर्वाधिक उपयोगिता होती है – गर्भिणी स्‍त्री के लिए, स्‍तनपान कराने वाली महिलाओं के लिए
  • रक्‍त का थक्‍का न जमने का रोग किस विटामिन के अभाव से उत्‍पन्‍न होता है – विटामिन के
  • जल हमारे शरीर में कितने प्रतिशत है – 70 प्रतिशत
  • दूषित जल के पीने से उत्‍पन्‍न रोग है – पीलिया, डायरिया
  • कार्य करने के लिए किस पदार्थ की आवश्‍यकता होती है – कार्बोज की, कार्बोहाइड्रेट की
  • अध्यापक को पोषक के ज्ञान की आवश्‍यकता होती है – बाल विकास के लिए, छात्रों के रोगों की जानकारी के लिए, अभिभावकों को पोषण का ज्ञान प्रदान कराने के लिए।
  • अभिभावकों को पोषण का ज्ञान कराने का सर्वोत्‍तम अवसर होता है – शिक्षकअभिभावक गोष्‍ठी Bal Vikas Shiksha Shastra Notes
  • पोषण की क्रिया को बाल विकास से सम्‍बद्ध करने के लिए आवश्‍यक है – निरन्‍तरता
  • शारीरिक विकास के लिए निरन्‍तरता के रूप में उपलब्‍ध होना चाहिए – सन्‍तुलित भोजन, उचित व्‍यायाम
  • अनिरन्‍तरता का विकास प्रक्रिया में प्रमुख कारक है – साधनों की अनिरन्‍तरता
  • एक बालक को सन्‍तुलित भोजन की उपलब्‍धता सप्‍ताह में दो दिन होती है। इस अवस्‍था में उस बालक का विकास होगा – अनियमित
  • साधनों की निरन्‍तरता में बालक विकास की गति को बनाती है – तीव्र
  • साधनों की अनिरन्‍तरता बाल विकास को बनाती है – मंद
  • एक बालक में विद्यालय के प्रथम दिन अध्‍यापक एवं विद्यालय के प्रति अरूचि उत्‍पन्‍न हो जाती है तो उसका प्रारम्भिक अनुभव माना जायेगा – दोषपूर्ण
  • सर्वोत्‍तम विकास के लिए प्रारम्भिक अनुभवों का स्‍वरूप होना चाहिए – सुखद
  • एक बालक प्रथम अवसर पर एक विवा‍ह समारोह में जाता है वहां उसको अनेक प्रकार की विसंगतियां दृष्टिगोचर होती हैं तो माना जायेगा कि बालक का सामाजिक विकास होगा – मंद गति से
  • शिक्षण कार्य में बालक के प्रारम्भिक अनुभव को उत्‍तम बनाने का कार्य करने के लिए शिक्षक को प्रयोग करना चाहिए – शिक्षण सूत्रों का
  • परवर्ती अनुभवों का सम्‍बन्‍ध होता है – परिणाम से
  • परवर्ती अनुभव का प्रयोग किया जा सकता है – विकासकी परिस्थिति निर्माण में, विकास मार्ग को प्रशस्‍त करने में
  • बाल केन्द्रित शिक्षा में प्राथमिक स्‍तर पर सामान्‍यत: किस विधि का प्रयोग उचित माना जायेगा – खेल विधि




 

  • बाल केन्द्रित शिक्षा का प्रमुख आधार है – बालक का केन्‍द्र मानना
  • बाल केन्द्रित शिक्षा में किसकी भूमिका गौण होती है – शिक्षक की
  • बाल केन्‍द्रित शिक्षा में प्रमुख भूमिका होती है – बालक की
  • बाल केन्द्रित शिक्षा का उद्देश्‍य होता है – बालक की रूचियों का ध्‍यान, अन्‍तर्निहित प्रतिभाओं का विकास, गतिविधियों का विकास
  • बाल केन्द्रित शिक्षा में शिक्षा प्रदान की जाती है – कविताओं एवं कहानियों के रूप में
  • बाल केन्द्रित शिक्षा में प्रमुख स्‍थान दिया जाता है – गतिविधियों एवं प्रयोगों को
  • प्रगतिशील शिक्षा का आधार होता है – वैज्ञानिकता व तकनीकी
  • शिक्षा में कम्‍प्‍यूटर का प्रयोग माना जाता है – प्रगतिशील शिक्षा
  • शिक्षा में प्राथमिक स्‍तर पर खेलों का प्रयोग माना जाता है – बाल केन्द्रित शिक्षा
  • बालकों का वैज्ञानिक दृष्टिकोण विकसित करना उद्देश्‍य है – बाल केन्द्रित शिक्षा एवं प्रगतिशील शिक्षा का
  • शिक्षण प्रक्रिया में शिक्षण यन्‍त्रों का प्रयोग किसकी देन माना जाता है – प्रगतिशील शिक्षा की
  • समाज में अन्‍धविश्‍वास एवं रूढि़वादिता की समाप्ति के लिए आवश्‍यक है – प्रगतिशील शिक्षा
  • शिक्षण अधिगम प्रक्रिया को प्रभावी बनाना उद्देश्‍य है – बाल केन्द्रित शिक्षा एवं प्रगतिशील शिक्षा का
  • शिक्षण अधिगम सामग्री में प्रोजेक्‍टर, दूरदर्शन एवं वीडियो टेप का प्रयोग करना प्रमुख रूप से सम्‍बन्धित है – प्रगतिशील शिक्षा का
  • बाल केन्द्रित शिक्षा में एवं प्रगतिशील शिक्षा में पाया जाता है – घनिष्‍ठ सम्‍बन्‍ध
  • विशेष बालकों के लिए उनकी शैक्षिक आवश्‍यकताओं की पूर्ति की जाती हैं – बाल केन्द्रित शिक्षा में Bal Vikas Shiksha Shastra Notes
  • पाठ्यक्रम विविधता देन है – बाल केन्द्रित शिक्षा एवं प्रगतिशील शिक्षा की
  • छात्रों के सर्वांगीण विकास का उद्देश्‍य निहित है – बाल केन्द्रित शिक्षा एवं प्रगतिशील शिक्षा में
  • एक विद्यालय में जाति के आधार पर बालकों को उनकी रूचि एवं योग्‍यता के आधार पर शिक्षा प्रदान की जाती है। इस शिक्षा को माना जायेगा – बाल केन्द्रित शिक्षा
  • बालकों को विद्यालय में किसी जाति या धर्म का भेदभाव किए बिना बालकों को उनकी रूचि एवं योग्‍यता के अनुसार शिक्षा प्रदान की जाती हैं। उनकी इस शिक्षा को माना जायेगा – आदर्शवादी शिक्षा
  • बाल केन्द्रित शिक्षा एवं प्रगतिशील शिक्षा है – एक-दूसरे की पूरक
  • बाल केन्द्रित शिक्षा एवं प्रगतिशील शिक्षा के विकास में महत्‍वपूर्ण योगदान है – मनोविज्ञान, विज्ञान, व तकनीकी का
  • एक बालक की लम्‍बाई 3 फुट थी, दो वर्ष बाद उसकी लम्‍बाई 4 फुट हो गयी। बालक की लम्‍बाई में होने वाले परिवर्तन को माना जायेगा – वृद्धि एवं विकास
  • स्किनर के अनुसार वृद्धि एवं विकास का उदेश्‍य है – प्रभावशाली व्‍यक्तित्‍व
  • परिवर्तन की अवधारणा सम्‍बन्धित है – वृद्धि एवं विकास से
  • वृद्धि एवं विकास का ज्ञान एक शिक्षक के लिए क्‍यों आवश्यक हैं – सर्वांगीण विकास के लिए
  • क्रोगमैन के अनुसार वृद्धि का आशय है – जैविकीय संयमों के अनुसार वृद्धि
  • सोरेन्‍सन के अनुसार वृद्धि सूचक है – धनात्‍मकता का
  • सोरेन्‍सन के अनुसार वृद्धि मानी जाती है – परिवर्तन का आधार
  • गैसेल के अनुसार संकुचित दृष्टिकोण है – वृद्धि का
  • गैसेल के अनुसार व्‍यापक दृष्टिकोण है – विकास का
  • निम्‍नलिखित में कौन-सा तथ्‍य गैसेल के विकास के अवलोकन रूपों से सम्‍बन्धित है – शरीर रचनात्‍मक, शरीर क्रिया विज्ञानात्‍मक, व्‍यवहारात्‍मक
  • ”विकास के अनुरूप व्‍यक्ति में नवीन योग्‍यताएं एवं विशेषताएं प्रकट होती है” यह कथन है –श्रीमती हरलॉक का
  • सोरेन्‍स के अनुसार विकास है – परिपक्‍वता एवं कार्य सुधार की प्रक्रिया
  • अभिवृद्धि वृद्धि की प्रक्रिया चलती है – गर्भावस्‍था से लेकर प्रौढ़ावस्‍था तक
  • अभिवृद्धि में होने वाले परिवर्तन होते है – शारीरिक
  • अभिवृद्धि में होने वाले परिवर्तन होते है – मात्रात्‍मक
  • अभिवृद्धि में होने वाले परिवर्तन होते है – रचनात्‍मक
  • अभिवृद्धि का क्रममानव को ले जाता है – वृद्धावस्‍था की ओर
  • अभिवृद्धि कहलाती है – कोशिकीय वृद्धि
  • अभिवृद्धि एक धारणा है – संकीर्ण
  • अभिवृद्धि का सम्‍बन्‍ध है – शारीरिक परिवर्तन से
  • अभिवृद्धि एक है – साधारण प्रक्रिया
  • अभिवृद्धि की प्रक्रिया सम्‍भव है – मापन
  • विकास की प्रक्रिया चलती है – गर्भावस्‍था से बाल्‍यावस्‍था तक
  • विकास की प्रक्रिया में होने वाले परिवर्तन माने जाते है – शारीरिक, मानसिक, सामाजिक
  • वृद्धिएवं विकास के सन्‍दर्भ में सत्‍य है – अभिवृद्धि बाद में होती है व विकास पहले होता है।
  • विकास की प्रक्रिया में होने वाले परिवर्तन माने जाते है – गुणात्‍मक
  • विकास की प्रक्रिया के परिणाम हो सकते हैं – रचनात्‍मक एवं विध्‍वंसात्‍मक
  • विकास का प्रमुख सम्‍बन्‍ध है – परिपक्‍वता से
  • विकास के क्षेत्र को माना जाता है – व्‍यापक प्रक्रिया से
  • विकास की प्रक्रिया को कठिनाई के आधार पर स्‍वीकार किया जाता है – जटिल प्रक्रिया के रूप में
  • विकास की प्रक्रिया में समावेश होता है – वृद्धि एवं परिपक्‍वता का
  • विकास की प्रक्रिया का सम्‍भव है – भविष्‍यवाणी करना
  • क्रो एण्‍ड क्रो के अनुसार संवेग है – मापात्‍मक अनुभव
  • ‘संवेग पुनर्जागरण की प्रक्रिया है।” यह कथन है – क्रो एण्‍ड क्रो का
  • ‘संवेग शरीर की जटिल दशा है।’ यह कथन है – जेम्‍स ड्रेकर का
  • संवेगों में मानव को अनुभूतियां होती है – सुखद व दु:खद
  • संवेगों की उत्‍पत्ति होती है – परिस्थिति एवं मूलप्रवृत्ति के आधार पर
  • मैक्डूगल के अनुसार संवेग होते हैं – चौदह Bal Vikas Shiksha Shastra Notes
  • भारतीय विद्वानों के अनुसार संवेगों के प्रकार है – दो
  • भारतीय विद्वानों के अनुसार संवेग है – रागात्‍मक संवेग
  • सम्‍मान, भक्ति और श्रद्धा सम्‍बन्धित है रागात्‍मक संवेग से
  • गर्व, अभिमान एवं अधिकार सम्‍बन्धित है – द्वेषात्‍मक संवेग से
  • क्रोध का सम्‍बन्‍ध किस मूल प्रवृत्ति से होता है – युयुत्‍सा
  • निवृत्ति मूल प्रवृत्ति के आधार पर कौन-सा संवेग उत्‍पन्‍न होता है – घृणा
  • आत्‍म अभिमान संवेग किस मूल प्रवृत्ति के कारण उत्‍पन्‍न होता है – आत्‍म गौरव
  • कामुकता की स्थिति के लिए कौन-सी प्रवृत्तिउत्‍तरदायी है – काम प्रवृत्ति
  • सन्‍तान की कामना नाम मूल प्रवृत्ति कौन-सा संवेग उत्‍पन्‍न करती है – वात्‍सल्‍य
  • दीनता मानव में किस संवेग को उत्‍पन्‍न करती है – आत्‍महीनता
  • भोजन की तलाश किस संवेग से सम्‍बन्धित है – भूख से
  • रचना धर्मिता मूल प्रवृत्ति से कौन-सा संवेग विकसित होता है – कृतिभाव
  • मैक्‍डूगल के अनुसार हास्‍य है – संवेग एवं मूल प्रवृत्ति
  • संग्रहणमूल प्रवृत्ति का सम्‍बन्‍ध है – अधिकार से
  • थकान के कारण बालक के व्‍यवहार में कौन-सा संवेग उदय हो सकता है – क्रोध
  • संवेगात्‍मक अस्थिरता पायी जाती है – कमजोर बालकों में, बीमार बालकों में
  • संवेगात्‍मक स्थिरता किन बालकों में देखी जातीहै – प्रतिभाशाली बालकों में
  • किस परिवार में बालक में संवेगात्‍मक स्थिरता उत्‍पन्‍न होगी – सुरक्षित परिवार में, प्रतिभाशाली परिवारमें, सुखद परिवार में
  • माता-पिता का किस प्रकार का व्‍यवहार बालकों के लिए संवेगात्‍मक स्थिरता प्रदान करता है – सकारात्‍मक
  • किस सामाजिक स्थिति के बालकों में संवेगात्‍मक अस्थिरता पायी जाती है – निम्‍न आर्थिक स्थिति में, गरीब एवं दलित परिवारों में
  • एक बालक को अपने किये जाने वाले कार्यों पर समाज में प्रशंसा एवं पुरस्‍कार प्राप्‍त नहीं होता है, तो उसका व्‍यवहार होगा – संवेगात्‍मक अस्थिरता से परिपूर्ण
  • बालकों में संवेगात्‍मक स्थिरता उत्‍पन्‍न करने के लिए शिक्षक को करना चाहिए – सकारात्‍मक व्‍यवहार एवं आत्‍मीय व्‍यवहार
  • संवेगात्‍मक स्थिरता उत्‍पन्‍न करने के लिए विद्यालय में छात्रोंको प्रदान करना चाहिए – पुरस्‍कार, प्रेरणा, प्रशंसा
  • विद्यालय में संवेगात्‍मक स्थिरता प्रदान करने के लिए किस प्रकार की गतिविधियां आयोजित करनी चाहिए – पिकनिक, खेल, पर्यटन Bal Vikas Shiksha Shastra Notes
  • संवेगात्‍मक अस्थिरता प्रत्‍यक्ष एवं अप्रत्‍यक्ष रूप से प्रभावित करती है – शारीरिक विकास को, मानसिक विकास को, सामाजिक विकास को
  • आश्‍चर्य संवेग का उदय एक बालक में किस मूल प्रवृत्ति के कारण होता है – जिज्ञासा
  • समाजीकरण एवं व्‍यक्तिकरण एक ही प्रक्रिया के पहलू है। यह कथन है – मैकाइवर का
  • विद्यालय समाज का लघु रूप है। यह कथन है – ड्यूवी का
  • वह प्रक्रिया जिससे बालक अपने समाज में स्‍वीकृत तरीकों को सीखता है तथा अपने व्‍यक्तित्‍व का अंग बनाता है। उसे कहते हैं – सामाजिक परिवर्तन
  • बालक के समाजीकरण की सबसे महत्‍वपूर्ण संस्‍था है – परिवार
  • बालक के समाजीकरण के लिए प्राथमिक व्‍यक्ति कहा गया है – माता को
  • बालक के समाजीकरण चक्र का अन्तिम पड़ाव बिन्‍दु अपने में समाहित करता है – पास-पड़ोस को
  • समाजीकरण एक प्रकार का सीखना है, जो सीखने वाले को सामाजिक कार्य करने के योग्‍य बनाता है। यह कथन है – जॉनसन का
  • समाजीकरणका आशय रॉस के अनुसार बालकों में कार्य करने की इच्‍छा विकसित करना है – समूह में अथवा एक साथ कार्य करने में
  • समाजीकरण को सामाजिक अनुकूलन की प्रक्रिया किस विद्वान ने स्‍वीकार की है – रॉस ने
  • समाजीकरण के माध्‍यम से व्‍यक्ति समाज का कैसा सदस्‍य बनता है – मान्‍य, कुशल, सहयोगी
  • एक बालक की समाजीकरण की प्रक्रिया किस परिस्थिति में उचित होगी – पोषण में
  • एक परिवार में बालकों के साथ सहानुभूति एवं प्रेम व्‍यवहार किया जाता है, परन्‍तु बालक के कार्यों को सामाजिक स्‍वीकृति नहीं मिल पाती है, ऐसी स्थिति में होगा – मन्‍द समाजीकरण
  • विद्यालय में समाजीकरण की प्रक्रिया के लिए बालकों को कार्यदिया जाना चाहिए – सामूहिक कार्य
  • समाजीकरण में प्रमुख रूप से सहयोगी तथ्‍य है – सहकारिता
  • निम्‍नलिखित में किस देश के बालक में समाजीकरण की प्रक्रिया पायी जाती है – भारतीय बालकों में
  • बालकों की सामाजिक कार्य में भाग लेने की अनुमति मिलने पर समाजीकरणकी प्रक्रिया होती है – तीव्र
  • जिस समाज में सामाजिक विज्ञान शिक्षण को प्रथम विषय के रूप में मान्‍यता प्रदान की जाती है उस समाज में बालक की समाजीकरणकी प्रक्रिया होती है – तीव्र व सर्वोत्‍तम
  • समाजीकरण की प्रक्रिया में प्रमुख रूप से योगदान होता है – पुरस्‍कार का एवं दण्‍ड का
  • विद्यालय में किस प्रकार का शिक्षण समाजीकरण का मार्ग प्रशस्‍त करता है – गतिविधि आधारित शिक्षण, खेल आधारित शिक्षण समूह शिक्षण
  • समाजीकरण की प्रक्रिया में योगदान होता है – मूल प्रवृत्ति एवं जन्‍मजात प्रवृत्यिों का, बालक के व्‍यक्तित्‍व का
  • मानव जैविकीय प्राणी से सामाजिक प्राणी कब बन जाता है – सामाजिक अन्‍त:क्रिया द्वारा, समाजीकरण द्वारा, सामाजिक सम्‍पर्क द्वारा
  • सामान्‍य रूप से बालकों द्वारा अमर्यादित आचरणों को नहीं सीखा जाता है – सामाजिक अस्‍वीकृति Bal Vikas Shiksha Shastra Notes
  • परिवार को झूले की संज्ञा किसने दी – गोल्‍डस्‍टीन ने
  • बालक की परिवार में समाजीकरण की प्रक्रिया सम्‍भव होती है – अनुकरण द्वारा
  • विद्यालय में बालक के समाजीकरण की प्रक्रिया होती है – आपसी अन्‍त:क्रिया द्वारा, विभिन्‍न संस्‍कृतियों के मेल द्वारा, विभिन्‍न सभ्‍यताओं के मेल द्वारा
  • गोल्‍डस्‍टीन के अनुसार समाजीकरण की प्रक्रियासम्‍भव होती है – सामाजिक विश्‍वास एवं सामाजिक उत्‍तरदायित्‍व द्वारा
  • किस समाज में रहने वाले बालक का समाजीकरण तीव्र गति से सम्‍भव होता है – शिक्षितसमाज में
  • खेलकूद में समाजीकरण की प्रक्रिया की तीव्रताका आधार होता है – अन्‍त:क्रिया, प्रे‍म एवं सहानुभूति, सहयोग
  • जिस समाज में रीति-रिवाज एवं परम्‍पराओंका अभाव पाया जाता है – मन्‍द
  • निम्‍नलिखितमें से किस स्‍थान के बालक की समाजीकरण प्रक्रिया तीव्र गति से होगी – मथुरा




 

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Nitin Gupta

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मेरा उद्देश्य हिन्दी माध्यम में प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी करने बाले प्रतिभागियों का सहयोग करना है !! आप सभी लोगों का स्नेह प्राप्त करना तथा अपने अर्जित अनुभवों तथा ज्ञान को वितरित करके आप लोगों की सेवा करना ही मेरी उत्कट अभिलाषा है !!

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