सामान्य ज्ञान Polity

भारतीय संविधान की प्रस्‍तावना Notes || Preamble of Indian Constitution Notes in Hindi

Preamble of Indian Constitution Notes in Hindi
Written by Nitin Gupta

Preamble of Indian Constitution Notes in Hindi

दोस्तो आज की हमारी पोस्ट भारतीय राजव्यवस्था ( Indian Polity ) से संबंधित है | इस पोस्ट में हम आपको Indian Polity के एक Topic भारतीय संविधान की प्रस्‍तावना (Preamble of the Constitution) के बारे में बताऐंगे ! Indian Polity से संबंधित अन्य टापिक के बारे में भी पोस्ट आयेंगी , व अन्य बिषयों से संबंधित पोस्ट भी आयेंगी , तो आपसे निवेदन है कि हमारी बेवसाईट को Regularly Visit करते रहिये !

All The Best For Next Exams 🙂 

इसके अलावा इन सभी PDF को हम अपने Apps पर व Telegram Group में भी आपको Available कराते हैं , जहां से आप इन्हें Download कर सकते हैं ! आप नीचे दी गई Link की सहायता से हमारे Apps – ” GK Trick By Nitin Gupta “ को Google Play Store से Download कर सकते हैं व Telegram Group को Join कर सकते हैं !

भारतीय संविधान की प्रस्तावना (Preamble of Indian Constitution Notes in Hindi)

प्रस्तावना या उद्देशिका किसी संविधान के दर्शन को सार रूप में प्रस्तुत करने वाली संक्षिप्त अभिव्यक्ति होती है। सर्वप्रथम अमेरिकी संविधान निर्माताओं ने अपने संविधान में प्रस्तावना को शामिल किया था। इसके बाद जैसे-जैसे देशों ने अपने संविधान का निर्माण किया, उनमें से कई देशों ने प्रस्तावना को महत्त्वपूर्ण समझकर अपने संविधान का हिस्सा बनाया। भारतीय संविधान सभा ने 22 जनवरी 1947 को नेहरू के उद्देश्य प्रस्ताव को स्वीकार किया। इसी उद्देश्य प्रस्ताव का विकसित रूप हमारे संविधान की प्रस्तावना  है। उद्देश्य प्रस्ताव और प्रस्तावना मिलकर संविधान के दर्शन को मूर्त रूप प्रदान करते हैं।

Download Our App

केशवानंद भारती बनाम केरल राज्य के मामले में उच्चतम न्यायालय ने स्पष्ट किया है कि प्रस्तावना संविधान का अंग है क्योंकि जब अन्य सभी उपबन्ध अधिनियमित किये जा चुके थे, उसके पश्चात् प्रस्तावना को अलग से पारित किया गया। संविधान के अन्य भागो की तरह प्रस्तावना में भी संशोधन संभव है बशर्त वह आधारभूत  ढाँचे को क्षति न पहुँचाता हो।

  • उद्देशिका संविधान के आदर्शों और उद्देश्‍यों व आकांक्षाओं का संक्षिप्‍त रूप है।
  • अमेरिका का संविधान प्रथम संविधान है, जिसमें उद्देशिका सम्मिलित है।
  • भारत के संविधान की उद्देशिका जवाहर लाल नेहरू द्वारा संविधान सभा में प्रस्‍तुत उद्देश्‍य प्रस्‍ताव पर आधारित है।
  • उद्देशिका 42वें संविधान संशोधन (1976) द्वारा संशोधित की गयी। इस संशोधन द्वारा समाजवादी, पंथनिरपेक्ष और अखंडता शब्‍द सम्मिलित किए गए।
  • प्रमुख संविधान विशेषज्ञ एन.ए. पालकीवाला ने प्रस्‍तावना को ‘संविधान का परिचय पत्र’ कहा है।

भारतीय संविधान की प्रस्तावना की विषय वस्तु (Content of the indian Constitution Preamble)

1976 मे 42वें संविधान संशोधन के माध्यम से प्रस्तावना में तीन शब्द- समाजवादी (Socialist), पंथ निरपेक्ष (Secular) तथा अखण्डता (Integrity) जोड़े  गए थे। इन शब्दों के जुड़ने  के बाद प्रस्तावना का वर्तमान रूप इस प्रकार है –

“हम, भारत के लोग, भारत को एक सम्पूर्ण  प्रभुत्व-सम्पन्न  समाजवादी पंथनिरपेक्ष लोकतंत्रात्मक गणराज्य बनाने के लिये तथा उसके समस्त नागरिकों को –

सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक न्याय,

विचार, अभिव्यक्ति, विश्वास, धर्म और उपासना की स्वतंत्रता,

Download Our App

प्रतिष्ठा और अवसर की समता

प्राप्त कराने के लिये,

तथा उन सब में व्यक्ति की गरिमा राष्ट्र की एकता और अखण्डता सुनिश्चित करने वाली बंधुता  बढ़ाने के लिये

दृढसंकल्प होकर अपनी इस संविधानसभा में आज तारीख 26 नवंबर, 1949 ई० (मिति मार्गशीर्ष शुक्ल सप्तमी, संवत् दो हज़ार छह विक्रमी) को एतदद्वारा इस संविधान को अंगीकृत, अधिनियमित और आत्मार्पित करते हैं।”

Preamble of Indian Constitution Notes in Hindi

Preamble of Indian Constitution Notes in Hindi

प्रस्‍तावना का उद्देश्‍य (Purpose of Preamble)

  • सामाजिक, आर्थिक एवं राजनैतिक न्‍याय उपलब्‍ध कराना।
  • विचार, मत, विश्‍वास, धर्म तथा उपासना की स्‍वतंत्रता प्रदान करना।
  • पद और अवसर की समानता देना।
  • व्‍यक्ति की गरिमा एवं राष्‍ट्र की एकता और अखंडता को सुनिश्चित करने वाली बंधुता स्‍थापित करना।
  • उद्घोषित करती है कि भारत की सम्‍प्रभुता भारत के लोगों में समाहित है।
  • उद्घोषित करती है कि भारतीय राज्‍य की प्रकृति संप्रभु, समाजवादी, पंथनिरपेक्ष, लोकतांत्रिक और गणतांत्रिक है।
  • उद्घोषित करती है कि भारत के लोगों का उद्देश्‍य न्‍याय, स्‍वतंत्रता, समानता प्राप्‍त करना है तथा बंधुत्‍व की भावना का विकास करना है।
  • उद्घोषित करती है कि भारत का संविधान 26 नवंबर, 1949 को अंगीकृत, अधिनियमित, आत्‍मार्पित किया गया है।

भारतीय संबिधान की प्रस्तावना में प्रयुक्त शब्दों का बिश्लेषण (Analysis of words used in the Preamble of the Indian Constitution)

1.हम भारत के लोग

‘हम भारत के लोग’ संपूर्ण भारतीय राजव्‍यवस्‍था का मूल आधार है। इन शब्‍दों का महत्‍व इस अर्थ में है कि अपने संपूर्ण इतिहास में पहली बार भारत के लोग इस स्थिति में हैं कि अपने भाग्‍य निर्माण करने का निर्णय स्‍वयं कर सके।

यह शब्‍दावली भारतीय समाज के अन्तिम व्‍यक्ति की इच्‍छा का प्रतिनिधित्‍व करती है कि हमारे भारत और इसकी व्‍यवस्‍था का स्‍वरूप क्‍या हो। ध्‍यान रहे कि इससे पूर्व के सभी अधिनियमों को ब्रिटेन ने पारित किया था जबकि यह संविधान भारत की प्रभुत्‍व संपन्‍न संविधान सभा ने भारत के लोगों की ओर से अधिनियमित किया था।

2.संप्रभुता

इस शब्‍द का अर्थ है कि भारत अपने आंतरिक और बाह्य मामलों में पूर्णत: स्‍वतंत्र है। अन्‍य कोई सत्‍ता इसे अपने आदेश के पालन के लिए विवश नहीं कर सकती है।

भारत ने स्‍वतंत्र होने के बाद 1949 में ब्रिटिश राष्‍ट्रमंडल की सदस्‍यता स्‍वेच्‍छा से ग्रहण की थी अत: यह भारत की संप्रभुता का उल्‍लंघन नहीं है।

3.समाजवादी

यह शब्‍द एक विशिष्‍ट आर्थिक व्‍यवस्‍था का द्योतक है जिसमें राष्‍ट्र की आर्थिक गतिविधियों पर सरकार के माध्‍यम से पूरे समाज का अधिकार होने को मान्‍यता दी जाती है।

यह पूँजी तथा व्‍यक्तिगत पूँजी पर आधारित आर्थिक व्‍यवस्‍था पूँजीवाद के विपरीत संकल्‍पना है।

42वें संविधान संशोधन द्वारा शामिल किए जाने से पूर्व यह नीति-निदेशक तत्‍वों के माध्‍यम से संविधान में शामिल था। समाजवादी शब्‍द को उद्देशिका में सम्मिलित करना हमारे राष्‍ट्रीय आंदोलन के उद्देश्‍यों के अनुरूप है।

4.पंथनिरपेक्ष

यह शब्‍द घोषित करता है कि भारत एक राष्‍ट्र के रूप में किसी धर्म विशेष को मान्‍यता नहीं देता है। इससे यह भी ध्‍वनित होता है कि भारत सभी धर्मों का समान आदर करता है।

सभी नागरिक अपने व्‍यक्तिगत विश्‍वास, आस्‍था और धर्म का पालन, संरक्षण और संवर्द्धन करने के लिए स्‍वतंत्र है।

यह शब्‍दावली भी 42वें संविधान संशोधन द्वारा उद्देशिका में सम्मिलित की गयी। यद्यपि पंथनिरपेक्षता के मूल तत्‍व संविधान के अनुच्‍छेद 25 से 28 में समाहित हैं।

5.लोकतंत्रात्‍मक

यह अत्‍यन्‍त व्‍यापक अर्थों वाली शब्‍दावली है जिससे ध्‍वनित होता है कि आम आदमी की आवाज महत्‍वपूर्ण है। शासन-प्रणाली हो या समाज व्‍यवस्‍था सभी क्षेत्रों में लोकतंत्र की स्‍थापना के उद्देश्‍य का तात्‍पर्य यह घोषित करता है कि हम सभी समान हैं, क्‍योंकि हम मनुष्‍य हैं इसलिए अपने वर्तमान और भविष्‍य के उद्देश्‍यों, नीतियों को तय करना हम सबका समान अधिकार है।

उद्देशिका में प्रयुक्‍त लोकतांत्रिक शब्‍द भारत को लोकतंत्रात्‍मक प्रणाली का राष्‍ट्र घोषित करता है। भारत ने अप्रत्‍यक्ष लोकतंत्र के अंतर्गत संसदीय प्रणाली को अपने ऐतिहासिक अनुभवों के आधार पर चुना।

6.गणराज्‍य

इस शब्‍द का तात्‍पर्य है कि राष्‍ट्र का प्रमुख या अध्‍यक्ष नियमित अंतराल पर नियमित कार्यकाल के लिए चुना जाता है। यह वंशानुगत नहीं है।

ब्रिटेन वंशानुगत आधार पर राजा या रानी राष्‍ट्र का प्रतिनिधित्‍व करते हैं, जबकि शासन की बागडोर प्रधानमंत्री के हाथ में होती है।

भारत में गणतंत्रात्‍मक व्‍यवस्‍था के अंतर्गत राष्‍ट्र और शासन का प्रमुख एक ही पदाधिकारी ‘राष्‍ट्रपति’ होता है।

7.सामाजिक, आर्थिक एवं राजनैतिक न्‍याय

उद्देशिका भारत के नागरिकों को आर्थिक, सामाजिक, राजनैतिक न्‍याय प्राप्‍त कराने के उद्देश्‍य की घोषणा करती है।

न्‍याय का सामान्‍य अर्थ होता है – भेदभाव की समाप्‍ति‍। राजनैतिक न्‍याय सहित आर्थिक और सामाजिक न्‍याय के उद्देश्‍य को प्राप्‍त करने के लिए नीति निदेशक तत्‍वों (भाग-4), मूल अधिकारों (भाग-3) में विभिन्‍न प्रावधान किए गए हैं।

सामाजिक, आर्थिक और राजनैतिक न्‍याय का लक्ष्‍य 1917 की रूसी क्रांति से प्रेरित है।

8.विचार, अभिव्‍यक्ति, विश्‍वास, धर्म और उपासना की स्‍वतंत्रता

इस शब्‍द का नकारात्‍मक अर्थ होता है – प्रतिबंधों का अभाव, जबकि सामान्‍य अर्थ होता है व्‍यक्तिगत विकास हेतु समान अवसरों की उपलब्‍धता।

उद्देशिका में वर्णित इन आदर्शों की प्राप्‍त‍ि के लिए संविधान के भाग-3 में मूल अधिकारों के अंतर्गत प्रावधान किया गया है।

9.प्रतिष्‍ठा और अवसर की समता

इस शब्‍द का तात्‍पर्य है कि अतार्किक विशेषाधिकारों की समाप्‍त‍ि, आगे बढ़ने के समान अवसर तथा मानव होने के आधार पर सभी समान हैं। इससे संबंधित प्रावधान संविधान के भाग-3 और भाग-4 में उल्लिखित हैं।

10.व्‍यक्ति की गरिमा, राष्‍ट्र की एकता और अखंडता सुनिश्चित करने वाली बंधुता

बंधुता शब्‍द राष्‍ट्र के सभी नागरिकों के बीच भावनात्‍मक संबंधों को दृढ़ करने का आदर्श प्रस्‍तुत करता है जैसा कि परिवार के सदस्‍यों के बीच होता है।

भावनात्‍मक एकता के अभाव में न तो व्‍यक्ति के सम्‍मान की रक्षा की जा सकती है और न राष्‍ट्र की एकता और अखंडता संरक्षित रह सकती है।

अखंडता शब्‍द 42वें संविधान संशोधन द्वारा उद्देशिका में शामिल किया गया। वस्‍तुत: स्‍वतंत्रता, समता और बंधुता का उद्देश्‍य, फ्रांसीसी क्रांति (1989) से प्रभावित है।

उद्देशिका का महत्‍व (importance of preamble)

  • संविधान के मूल सामाजिक, आर्थिक और राजनैतिक दर्शन की अभिव्‍यक्ति है।
  • संविधान, निर्माताओं के महान और आदर्श विचारों की कुंजी है।
  • सर अल्‍लादी कृष्‍णास्‍वामी अरय्यर के अनुसार उद्देशिका हमारे स्‍वप्‍नों और विचारों का प्रतिनिधित्‍व करती है।
  • के. एम. मुन्‍शी के अनुसार उद्देशिका को अपने सामाजिक राजनैतिक विचारों की कुंजी माना तथा अपनी पुस्‍त‍क”प्रिंसिपल्‍स ऑफ सोशल एण्‍ड पॉलिटिकल थ्‍योरी” में आमुख के रूप में शामिल किया।
  • एम. हिदायतुल्‍ला के अनुसार उद्देशिका हमारे संविधान की आत्‍मा है।

उद्देशिका : संविधान का भाग है या नहीं ? के संदर्भ में न्‍यायिक निर्णय सर्वोच्‍च न्‍यायालय के दृष्टिकोण में संविधान की प्रस्‍तावना संविधान के निर्माताओं के मन को खोलने की कुंजी है।

  • 1960 के बेरूबाड़ी वाद में यह प्रश्‍न निर्णय हेतु सर्वोच्‍च न्‍यायालय के समक्ष प्रस्‍तुत हुआ तो सर्वोच्‍च न्‍यायालय ने माना कि यद्यपि उद्देशिका संविधान के उद्देश्‍यों का संघीभूत रूप है तथा संविधान निर्माताओं के लक्ष्‍यों की कुंजी है, लेकिन यह संविधान का भाग नहीं है।
  • 1973 के केशवानन्‍द भारती वाद और 1995 के एल.आई.सी. वाद में सर्वोच्‍च न्‍यायालय ने अपनी पूर्व की मान्‍यता के विपरीत माना कि उद्देशिका संविधान का भाग है क्‍योंकि संविधान अनुच्‍छेदों में वर्णित प्रावधानों की व्‍याख्‍या में सहायक है।
  • केशवानन्‍द भारती के वाद में उच्‍चतम न्‍यायालय ने स्‍पष्‍ट कर दिया कि संविधान के किसी भाग में संशोधन का अधिकार है, लेकिन उस भाग में संशोधन नहीं किया जा सकता, जो आधारभूत ढॉंचे से संबंधित है।
  • संविधान सभा ने भी सभी भागों को अधिनियमित करने के बाद उद्देशिका को ‘संविधान के भाग’ के रूप में अधिनियमित किया था। अत: उद्देशिका संविधान का भाग है, परन्‍तु इसे न्‍यायालय में वैधानिक प्रस्थिति प्राप्‍त नहीं है।

उद्देशिका : संशोधन योग्‍य है या नहीं ? के संदर्भ में न्‍यायिक निर्णय इसकी प्रकृति ऐसी है कि इनका प्रवर्तन न्‍यायालय में नहीं हो सकता अर्थात यह न्‍यायालय में अप्रवर्तनीय हैं।

  • संविधान के अनुच्‍छेद 368 में संविधान संशोधन की शक्ति और प्रक्रिया सन्निहित है।
  • 1973 के केशवानन्‍द भारती वाद में उद्देशिका के संशोधन योग्‍य होने या न होने का प्रश्‍न सर्वोच्‍च न्‍यायालय के समक्ष आया है तो न्‍यायालय ने माना कि उद्देशिका संविधान का भाग है अत: अनुच्‍छेद 368 के अंतर्गत किए गए संशोधन से संविधान के मूल तत्‍वों में कोई परिवर्तन नहीं होना चाहिए। अत: उद्देशिका संशोधन योग्‍य है और यह शक्ति मात्र संसद को प्राप्‍त है। संविधान के मूल तत्‍वों के प्रतिबन्‍ध के अंतर्गत रहते हुए 1976 में 42वें संविधान संशोधन द्वारा उद्देशिका में समाजवादी, पंथनिरपेक्ष और अखंडता शब्‍द जोड़े गए।

भारतीय संबिधान की प्रस्तावना से संबंधित अन्य परीक्षापयोगी तथ्य (Other interesting facts related to the Preamble of the Indian Constitution)

  • भारत का संविधान भारत के लोगों द्वारा संविधान सभा के माध्‍यम से 26 नवंबर, 1949 को स्‍वीकार किया गया लेकिन 26 जनवरी, 1950 से संपूर्ण लागू किया गया।
  • उद्देशिका नीति-निदेशक तत्‍वों तथा मूल कर्तव्‍य की तरह ही वाद योग्‍य नहीं है अर्थात् इसके उल्‍लंघन के विरूद्ध कोई वाद नहीं लाया जा सकता है और न ही कानून के द्वारा लागू किया जा सकता है।
  • 13 दिसम्‍बर, 1946 को पण्डित नेहरू ने उद्देश्‍य प्रस्‍ताव संविधान सभा के समक्ष रखा।
  • डेमोक्रेसी शब्‍द दो यूनानी शब्‍दों ‘डेमो’ और ‘क्रेटिया’ शब्‍द से बना है, जिसका अर्थ है – लोगों का शासन।
  • प्रत्‍येक संविधान का अपना एक दर्शन होता है, हमारे भारतीय संविधान का दर्शन पं. नेहरू के ऐतिहासिक उद्देश्‍य संकल्‍प से लिया गया है, जिसे संविधान सभा ने 22 जनवरी, 1947 को अंगीकार किया था।
  • उच्‍चतम न्‍यायालय ने इस बात से सहमति प्रकट की थी कि उद्देशिका संविधान निर्माताओं के मन की कुंजी है, जहाँ अस्‍पष्‍ट शब्‍द पाए जाएँ या उनका अर्थ स्‍पष्‍ट न हो, वहां संविधान निर्माताओं के आशय को समझने के लिए उद्देशिका की सहायता ली जा सकती है।
  • उद्देशिका में लिखित है। हम भारत के लोग इस संविधान को अंगीकृत, अधिनियमित और आत्‍मार्पित करते हैं। इस प्रकार भारत की संप्रभुता भारत की जनता में निहित है।
  • भारत को 26 जनवरी, 1950 को एक गणराज्‍य घोषित किया गया, जिसका तात्‍पर्य है, भारत का राष्‍ट्रध्‍यक्ष निर्वाचित होगा, आनुवंशिक नहीं।
  • उद्देशिका में संपूर्ण प्रभुत्‍व संपन्‍न, समाजवादी, पंथनिरपेक्ष, लोकतंत्रात्‍मक गणराज्‍य सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक न्‍याय, विचार अभिव्‍यक्ति, विश्‍वास, धर्म, उपासना की स्‍वतंत्रता, प्रतिष्‍ठा और अवसर की समता, व्‍यक्ति की गरिमा, राष्‍ट्र की एकता और अखंडता आदि प्रमुख शब्‍द प्रयोग किए गए हैं।
  • भारत में”प्रतिनिध्‍यात्‍मक लोकतंत्र” अपनाया गया है। जहाँ संसद सदस्‍यों और विधायकों का प्रत्‍यक्ष चुनाव होता है।
  • इस व्‍यवस्‍था को और अधिक मजबूत बनाने के लिए इसकी शुरूआत पंचायती तथा नगर निगम निकायों से (73वें और 74वें संवैधानिक 1992 द्वारा) शुरू की गयी।
  • इस प्रकार संविधान की प्रस्‍तावना में राजनीतिक लोकतंत्र के अलावा आर्थिक एवं सामाजिक लोकतंत्र को भी अपनाया गया है। गणराज्‍य या गणतांत्रिक व्‍यवस्‍था का तात्‍पर्य राष्‍ट्र का अध्‍यक्ष आनुवांशिक न होकर निर्वाचित होगा।
  • संविधान की उद्देशिका में न्‍याय की परिभाषा सामाजिक, आर्थिक, राजनैतिक न्‍याय के रूप में की गयी है, जिसमें राजनैतिक न्‍याय के द्वारा राज्‍य को ज्‍यादा-से-ज्‍यादा कल्‍याणकारी बनाकर सामाजिक एवं आर्थिक न्‍याय के उद्देश्‍यों को प्राप्‍त किया जा सकता है।
  • स्‍वतंत्रता में विचार, अभिव्‍यक्ति, विश्‍वास, धर्म और उपासना की स्‍वतंत्रता सम्मिलित हैं।
  • स्‍वतंत्रता एक अनिवार्य तत्‍व है। किसी भी समाज के व्‍यक्तियों के व्‍यक्तिगत, बौद्धिक, आध्‍यात्मिक विकास के लिए समानता का अर्थ है – प्रतिष्‍ठा एवं अवसर की समानता।
  • हमारे संविधान में किसी भी तरह के भेदभाव को अवैधानिक करार दिया गया है। चाहे वह धर्म के आधार पर हो जाति, लिंग, जन्‍म अथवा राष्‍ट्रीयता के आधार पर।
  • अंतिम लक्ष्‍य है, व्‍यक्ति की गरिमा तथा राष्‍ट्र की एकता सुनिश्चित करना, इस प्रकार उद्देशिका यह घोषणा करती है कि भारत के लोग संविधान के मूल स्‍त्रोत हैं, भारतीय राज्‍य व्‍यवस्‍था में प्रभुता लोगों में निहित है और भारतीय राज्‍य लोकतंत्रात्‍मक व्‍यवस्‍था है, जिसमें लोगों को मूल अधिकारों तथा स्‍वतंत्रताओं की गांरटी दी गयी है तथा राष्‍ट्र की एकता सुनिश्चित की गयी है।
  • प्रस्तावना भारतीय संविधान के दर्शन को मूर्त रूप प्रदान करती है।
  • केशवानन्द भारती बनाम केरल राज्य’ मामले में सर्वोच्च न्यायालय ने प्रस्तावना को संविधान का अंग और संशोधनीय माना ।
  • प्रस्तावना संविधान निर्माताओं के विचारों को जानने की कुंजी (Key) है।
  • प्रस्तावना में उन उद्देश्यों का कथन है जिन्हें हमारा संविधान स्थापित करना चाहता है और आगे बढ़ाना चाहता है।
  • 42वें संशोधन 1976 द्वारा प्रस्तावना में तीन शब्द- ‘समाजवादी’, ‘पंथ निरपेक्ष’ और ‘अखण्डता’ जोड़े गए। ,
  • भारतीय संविधान को 26 नवंबर, 1949 में अंगीकृत, अधिनियमित और आत्मार्पित किया गया।
  • प्रस्तावना के निम्नलिखित शब्द संविधान के आधारभूत ढाँचे का हिस्सा हैं- सम्पूर्ण प्रभुत्वसम्पन्न, समाजवादी, पंथनिरपेक्ष, लोकतांत्रिक, गणराज्य, राष्ट्र की एकता और अखण्डता ।
  • प्रस्तावना स्पष्ट करती है कि भारत के शासन की सर्वोच्च सत्ता भारत की जनता में निहित है।

भारतीय संविधान की प्रस्‍तावना से संबंधित महत्वपूर्ण परीक्षापयोगी  महत्त्वपूर्ण प्रश्न – उत्तर (Important questions and answer related to the Preamble of the Indian Constitution)

  • भारतीय संविधान के किस भाग को उसकी आत्मा की संज्ञा प्रदान की गई है ? -प्रस्तावना को
  • संविधान निर्माताओं ने किस पर विशेष ध्यान दिया था ? – प्रस्तावना पर
  • भारत के संविधान की प्रस्तावना किन शब्दों से शुरू होती है ? – हम, भारत के लोग
  • भारत किस प्रकार का राष्ट्र है ? – धर्मनिरपेक्ष राष्ट्र
  • धर्मनिरपेक्ष का अर्थ क्या है ? – सभी धर्मों का महत्व स्वीकार करना
    • भारत एक धर्मनिरपेक्ष राज्य है’ इसका मतलब है कि भारतीय राज्य- किसी निश्चित धर्म का समर्थन नहीं करता है
  • गणतंत्र राष्ट्र होता है – राज्य जहाँ पर अध्यक्ष वंशानुगत रूप में न हो
  • भारतीय संविधान की प्रस्तावना में भारत को किस रूप में घोषित किया गया है ? – एक प्रभुत्वसम्पन्न, समाजवादी, धर्मनिरपेक्ष, प्रजातांत्रिक गणराज्य
  • भारत एक गणतंत्र है, इसका क्या अर्थ है ? – भारत में वंशानुगत शासक नहीं है
  • कल्याणकारी राज्य का उद्देश्य क्या है ? – कमजोर वर्गों के कल्याण का प्रबन्ध करना
  • भारत को एक गणराज्य मुख्य रूप से माना जाता है, क्योंकि – राज्याध्यक्ष का चुनाव होता है
  • भारतीय संविधान में समवर्ती सूची किसके संविधान से ली गई है? – ऑस्ट्रेलिया
  • भारत में लौकिक सार्वभौमिकता है, क्योंकि संविधान की प्रस्तावना प्रारम्भ होती है – हम भारत के लोग’ शब्दों से
  • भारतीय संविधान की प्रस्तावना में जिन आदर्शों एवं उद्देश्यों की रूपरेखा दी गई है, उनकी आगे व्याख्या की गई हैं – मूल अधिकार, राज्य के नीति निर्देशक सिद्धान्तों एवं मूल कर्तव्यों में
  • किस वर्ष भारत एक प्रभुत्वसम्पन्न प्रजातांत्रिक गणराज्य बना ? – 1950 में
  • अब तक भारत के संविधान की उद्देशिका में कितनी बार संशोधन किया जा चुका है ? – एक बार
  • भारतीय संविधान की उद्देशिका में परिवर्तन किस संशोधन अधिनियम में किए गए थे? – 42वाँ संशोधन अधिनियम, 1976
  • प्रस्तावना का वह प्रावधान, जो सभी वयस्क नागरिकों को मतदान का अधिकार प्रदान करता है क्या कहलाता है ? – प्रजातंत्र
  • भारतीय संविधान के किस भाग में स्पष्ट रूप से घोषणा की गई है कि भारत एक धर्मनिरपेक्ष राज्य है ? – संविधान की प्रस्तावना में
  • भारतीय संविधान की प्रस्तावना के अनुसार भारत के शासन की सर्वोच्च सत्ता किसमें निहित है ? – जनता में

राजव्यवस्था से संबंधित GK Tricks – 

Download All PDFs in Hindi and English

दोस्तो आप मुझे ( नितिन गुप्ता ) को Facebook पर Follow कर सकते है ! दोस्तो अगर आपको यह पोस्ट अच्छी लगी हो तो इस Facebook पर Share अवश्य करें ! क्रपया कमेंट के माध्यम से बताऐं के ये पोस्ट आपको कैसी लगी आपके सुझावों का भी स्वागत रहेगा Thanks!

TAG – Analyze the Terms Used in the Preamble of Indian Constitution, samvidhan ki paribhasha ke shabdo ka arth kya hai, Description of Constitution Preamble in Hindi, Preamble of Indian Constitution Notes in Hindi, samvidhan ki prastavna, The Preamble to the Indian Constitution, samvidhan ka preamble, भारतीय संविधान की प्रस्तावना

WhatsApp Group Join Now
Telegram Group Join Now
Instagram Group Join Now

About the author

Nitin Gupta

GK Trick by Nitin Gupta पर आपका स्वागत है !! अपने बारे में लिखना सबसे मुश्किल काम है ! में इस विश्व के जीवन मंच पर एक अदना सा और संवेदनशीलकिरदार हूँ जो अपनी भूमिका न्यायपूर्वक और मन लगाकर निभाने का प्रयत्न कर रहा हूं !! आप मुझे GKTrickbyNitinGupta का Founder कह सकते है !
मेरा उद्देश्य हिन्दी माध्यम में प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी करने बाले प्रतिभागियों का सहयोग करना है !! आप सभी लोगों का स्नेह प्राप्त करना तथा अपने अर्जित अनुभवों तथा ज्ञान को वितरित करके आप लोगों की सेवा करना ही मेरी उत्कट अभिलाषा है !!

Leave a Comment

GK Tricks By Nitin Gupta Course