नमस्कार दोस्तो , कैसे हैं आप सब ? I Hope सभी की Study अच्छी चल रही होगी
दोस्तो आज की हमारी इस पोस्ट में हम आपको भारत का भूगोल ( Indian Geography ) से संबंधित Most Important Question and Answer बताने जा रहे हैं जो कि हर तरह के Competitive Exams के लिये बेहद महत्वपूर्ण है !
भारत का भूगोल ( Indian Geography ) से संबंधित Most Important Question and Answer पोस्ट का यह हमारा 3rd पार्ट है इसके लगभग 5 पार्ट हम आपको उपलब्ध करायेंगे !
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Geography of India GK in Hindi
- भारत में ‘सुनामी वार्निंग सेंटर’ अवस्थित है – हैदराबाद में
- भारतीय मौसम विज्ञान विभाग स्थापित है – नई दिल्ली में
- बंगाल की खाड़ी के तटवर्ती क्षेत्रों में चक्रवात अधिक आते हैं – बंगाल की खाड़ी में अधिक गर्मी के कारण
- आंध्र प्रदेश, ओडिशा, बिहार और गुजरात राज्य में सर्वाधिक प्राकृतिक आपदाएं आती है – ओडिशा में
- देश के पहले आपदा प्रबंधन प्रशिक्षण संस्थान की स्थापना कहां की जा रही है, वह है – लातूर (महाराष्ट्र)
- वह क्षेत्र जो उच्च तीव्रता की भूकंपीय मेखला में नहीं आता है – कर्नाटक पठार
- भारत को जिन भूकंपीय जोखिम अंचलों में विभाजित किया गया है, रहा है – 4 जोन
- भारत का सबसे अधिक बाढ़ ग्रस्त राज्य है – बिहार
- उत्तर प्रदेश का सर्वाधिक बाढ़ प्रभावित क्षेत्र है – पूर्वी क्षेत्र
- वह मिट्टी जो बेसाल्ट लावा के उपक्षय के कारण निर्मित हुई है – रेगूर मिट्टियां
- रेगुर (Regur) नाम है – काली मिट्टी का
- रेगुर (Regur) मिट्टी का विस्तार सबसे ज्यादा है – महाराष्ट्र में
- कपास की खेती के लिए सर्वाधिक उपयुक्त मिट्टी है – रेगुर मिट्टी
- ‘स्वत: कृष्य मिट्टी’ कहा जाता है – कपास की काली मिट्टी को
- लावा मिट्टियां पाई जाती है – मालवा पठार में
- मालवा पठार की प्रमुख मिट्टी है – काली मिट्टी
- वह मृदा जिसे सिंचाई की काम आवश्यकता होती है, क्योंकि वह नमी रोक कर रखती है – काली मिट्टी
- भारत की लेटेराइट मिट्टी के बारे में सही कथन है – यह साधारणत: लाल रंग की होती है, इन मिट्टीयों में टैपियोका और काजू की अच्छी उपज होती है।
- लेटेराइट मिट्टी मिलती है – महाराष्ट्र में
- लेटेराइट मिट्टीयों के लिए सही कथन है – उनमें चूना प्रचुर मात्रा में नहीं पाया जाता है।
- भारत में सबसे अधिक उपजाऊ मृदा है – जलोढ़ मृदा
- भारत में सबसे बड़ा मिट्टी का वर्ग है – कछारी मिट्टी
- गंगा के मैदान की पुरानी कछारी मिट्टी कहलाती है – बांगर
- वह मृदा की जल धारण क्षमता सबसे कम होती है – बलुई दोमट मृदा
- दुम्मटी (लोम) मिट्टी में मिलते हैं – मिट्टी के सभी प्रकार के कण
- पश्चिमी राजस्थान में मिट्टीयों में सर्वाधिक मात्रा होती है – कैल्शियम की
- आलू, सोर्धम, सूरजमुखी तथा मटर फसलों में से वह फसल जो मृदा को नाइट्रोजन से भरपूर कर देती है – मटर
- भूमि की उर्वरता बढ़ाने के लिए जो फसल उगाई जाती है, वह है – उड़द
- भारत के कुछ भागों में यात्रा करते हुए आप देखेंगे कि कहीं-कहीं लाल मिट्टी पाई जाती है। मिट्टी के रंग का प्रमुख कारण है – फेरिक ऑक्साइड की विद्यमानता
- भारतीय मृदा में जिन सूक्ष्म तत्व की सर्वाधिक कमी है, वह है – जस्ता
- पौधों को सबसे अधिक पानी मिलता है – चिकनी मिट्टी में
- मिट्टी का वैकेंट जिसका व्यास002 मिलीमीटर से कम होता है – मृत्तिका
- सामान्य फसलें उगाने के लिए उर्वर भूमि का pH मान होने की संभावना है – 6 से 7
- तेजाबी मिट्टी को कृषि योग्य बनाने हेतु उपयोग किया जा सकता है – लाइम का
- मिट्टी में खारापन एवं क्षारीयता की समस्या का समाधान है – खेतों में जिप्सम का उपयोग
- भारत में सर्वाधिक क्षारीय क्षेत्र पाया जाता है – उत्तर प्रदेश राज्य में
- भारत में लवणीय मृदा का सर्वाधिक क्षेत्रफल है – गुजरात में
- मृदा का लवणीभवन मृदा में सर्वाधिक सिंचित जल केवा स्वीकृत होने से पीछे छूटे नमक और खनिजों से उत्पन्न होता है। सिंचित भूमि पर लवणी भवन का जो प्रभाव पड़ता है, वह है – यह कुछ मृदाओं को अपारगम्य में बना देता है।
- चाय बागानों के लिए उपयुक्त मिट्टी है – अम्लीय
- भारत में जिस क्षेत्र में मृदा अपरदन की समस्या गंभीर है वह क्षेत्र है – शिवालिक पहाड़ियों के पाद क्षेत्र एवं चंबल घाटी
- चंबल घाटी के खोह-खड्डों के निर्माण का कारण अपरदन है, वह अपरदन प्रारूप है -अवनालीका
- मृदा अपरदन प्रक्रियाओं के सही क्रम है – आस्फाल अपरदन, परत अपरदन, रिल अपरदन, अवनालिका अपरदन
- कृष्य भूमि में वह पौधा जिसके कारण भूमि का अपरदन अधिकतम तीव्रता से होता है – सोर्घम
- फसल चक्र आवश्यक है – मृदा की उर्वरा शक्ति में वृद्धि हेतु
- मृदा संरक्षण के संदर्भ में प्रचलित पद्धतियां है – सस्यावर्तन (फसलों का हेरफेर) वेदिका निर्माण (टेरेसिंग), वायुरोध
- भारत में मृदा अपक्षय समस्या संबंधित है – वनोन्मूलन से
- मृदा अपरदन रोका जा सकता है – वनारोपण से
- भोजपत्र वृक्ष मिलता है – हिमालय में
- कत्था बनाने हेतु जिस पेड़ की लकड़ी का प्रयोग होता है, वह है – खैर
- वन जो भारत के सर्वाधिक क्षेत्र में पाया जाता है – उष्णकटिबंधीय आद्र पर्णपाती वन
- सागौन तथा साल उत्पाद है – उष्णकटिबंधीय शुष्क पतझड़ी वन के
- पश्चिमी हिमालय की शीतोष्ट पेटी (Temperate Zone) एक वृक्ष का बाहुल्य है, वह है – देवदार
- वह राज्य जहां सिनकोना वृक्ष नहीं होता है – छत्तीसगढ़
- ‘जंगल की आग’ कहा जाता है – ब्यूटीया मोनोस्पर्मा को
- भारत में सागौन का वन पाया जाता है – मध्यप्रदेश में
- वह पौधे जिन में फूल नहीं होते हैं – फर्न
- पश्चिमी हिमालय में उच्च पर्वतीय वनस्पति 3000 मीटर की ऊंचाई तक ही उपलब्ध होती है, जबकि पूर्वी हिमालय में वह 4000 मीटर की ऊंचाई तक उपलब्ध होती है। एक ही पर्वत श्रंखला में इस विविधता का कारण है – पूर्वी हिमालय का भूमध्य रेखा और समुद्र तट से पश्चिमी हिमालय की अपेक्षा अधिक निकट होना।
- एंटीलोपो ‘ऑरिक्स’ और ”चीरू’ के बीच अंतर है – ऑरिक्स गर्म और शुष्क क्षेत्रों में रहने के लिए अनुकूलित है, जबकि चीरू ठंडे उच्च पर्वतीय घास के मैदान और अर्ध मरुस्थलीय क्षेत्रों में रहने के लिए।
- सुंदरी का वृक्ष पाया जाता है – पश्चिम बंगाल में
- लंबी जड़ों और नुकीले काटो अथवा शूलयुक्त झाड़ियों और लघु वृक्षों वाले आरक्षित अवरूद्ध वन सामान्य रूप से पाए जाते हैं – पश्चिमी आंध्र प्रदेश में
- वृक्ष है जो समुद्र तल में सर्वाधिक ऊंचाई पर पाया जाता है – देवदार
- वह राज्य जिनके वनों का वर्गीकरण अर्ध उष्णकटिबंधीय के रूप में किया जाता है – मध्य प्रदेश
- महोगनी वृक्ष का मूल स्थान है – उत्तर एवं दक्षिणी अमेरिका के उष्णकटिबंधीय क्षेत्र
- सामाजिक वानिकी में प्रयुक्त बहुउद्देशीय वृक्ष का एक उदाहरण है – खेजरी
- लीसा प्राप्त होता है – चीड़ के वृक्ष में
- केरल की कच्छ वनस्पतियां पाई जाती है – वेम्बनाड-कुन्नूर में
- भारत के संदर्भ में सही कथन है – देश में सिंचाई का प्रमुख स्रोत नलकूप है।
- भारत में सिंचाई के अंतर्गत सर्वाधिक क्षेत्र वाला राज्य है – पंजाब (लगभग7%)
- सूक्ष्म सिंचाई पद्धति के संदर्भ में सही कथन है – मृदा के उर्वरक/पोषक हानि की जा सकती है। इससे कुछ कृषि क्षेत्रों में भौम जलस्तर को कम होने से रोका जा सकता है।
- जीवन रक्षक अथवा बचाव सिंचाई इंगित करती है – पीडब्लूपी सिंचाई
- गत 25 वर्षों से नलकूप सिंचाई का सर्वाधिक शानदार विकास हुआ है – सरयू पार मैदान में
- भारत का वह राज्य से सर्वाधिक सिंचाई नलकूप से होती है – उत्तर प्रदेश
- भारत के राज्यों का सिंचाई के लिए उपलब्ध भूतल जल संसाधनों की दृष्टि से अवरोही क्रम में सही अनुक्रम है – उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र, पश्चिम बंगाल, असम
- भारत में माला नहर तंत्र (Garland Canal System) को प्रस्तावित किया था – दिनशॉ जे.दस्तूर ने
- भारत की सिंचाई क्षमता का सर्वाधिक भाग पूरा होता है – लघु एवं वृहत परियोजनाओं से
- फरक्का नहर की जलवायु क्षमता – 40,000 क्यूसेक
- मंगलम सिंचाई परियोजना है – केरल में
- सारण सिंचाई नहर निकलती है – गंडक से
- इंदिरा गांधी नहर का उद्गम स्थल है – हरिके बैराज
- हरिके बैराज (इंदिरा गांधी नहर का प्रमुख स्रोत) जिन नदियों के संगम पर है वह नदी है – व्यास और सतलज
- राजस्थान (इंदिरा) नहर निकलती है – सतलज से
- इंदिरा गांधी नहर का निर्माण कार्य वर्ष 1958 में प्रारंभ हुआ और इसका उद्गम है – सतलज नदी पर हरिके बांध से
- इंदिरा गांधी नहर जल प्राप्त करती है – व्यास, रवि तथा सतलज नदियों से
- व्यास नदी के पोंग बांध के जल का उपयोग करती है – इंदिरा गांधी नहर परियोजना
- भारत मैं विश्व की सबसे पुरानी वह विकसित नहर व्यवस्था है – गंग नहर
- गंग नहर जो सबसे पुरानी नहरों में से है, का निर्माण गंग सिंह जी ने करवाया – 1927 में
- शारदा सहायक सामाजिक विकास परियोजना के मुख्य लक्ष्य है – कृषि उत्पादन बढ़ाना, बहु फसली खेती द्वारा भूमि उपयोग के प्रारूप को बदलना, भू प्रबंधन का सुधार
- निचली गंगा नहर का उद्गम स्थल है – नरोरा (बुलंदशहर) में गंगा नदी पर
- हरियाली एक नई योजना है – जल संग्रहण से संबंधित विकास योजना एवं वृक्षारोपण के लिए।
- एकीकृत जल संभर विकास कार्यक्रम को क्रियान्वित करने के लाभ है – मृदा के बाहर जाने की रोकथाम, वर्षा जल संग्रहण तथा भौम जल स्तर का पुनर्भरण, प्राकृतिक वनस्पतियों का पुनर्जनन
- ड्रक (ड्रिप) सिंचाई पद्धति के प्रयोग के लाभ है – खरपतवार में कमी, मृदा अपरदन में कमी
- सरदार सरोवर परियोजना से लाभान्वित होने वाले राज्य हैं – गुजरात, महाराष्ट्र, मध्यप्रदेश एवं राजस्थान
- सरदार सरोवर बांध बनाया जा रहा है – नर्मदा नदी पर
- सरदार सरोवर से सर्वाधिक लाभ मिलता है – गुजरात को
- सरदार सरोवर परियोजना के विरोध में है – मेधा पाटेकर
- बरगी, ओमकारेश्वर, इंदिरा सागर एवं बाणसागर बांधों में से वह बांध जो नर्मदा नदी पर नहीं है – बाणसागर
- इंदिरा सागर बांध स्थित है – नर्मदा नदी पर
- मध्यप्रदेश में हरसूद कस्बा जलमग्न हुआ है – इंदिरा सागर जलाशय में
- ओंकारेश्वर परियोजना का संबद्ध है – नर्मदा नदी से
- नर्मदा बचाओ आंदोलन जिस बांध की ऊंचाई बढ़ाने के निर्णय का विरोध कर रहा है, वह बांध है – सरदार सरोवर
- भाखड़ा नांगल एक संयुक्त परियोजना है – हरियाणा पंजाब एवं राजस्थान की
- भाखड़ा नांगल बांध बनाया गया है – सतलज नदी पर
- भारत का सबसे पुराना जनशक्ति उत्पादन केंद्र है – शिव समुद्रम
- शिवसमुद्रम जल विद्युत परियोजना स्थित है – कर्नाटक में
- कावेरी नदी का जल बंटवारे का विभाजन राज्यों से संबंधित है वह राज्य है – तमिलनाडु, कर्नाटक, केरल तथा पुडुचेरी
- नागार्जुन सागर परियोजना अवस्थित है – कृष्णा नदी पर
- भारत मैं नागार्जुन सागर परियोजना स्थित है – आंध्र प्रदेश में
- हीराकुंड बांध बनाया गया है – महानदी पर
- वह जलाशय जो चंबल नदी पर बना है – राणा प्रताप सागर
- चंबल नदी पर निर्मित बांध है – गांधी सागर
- वह नदी घाटी परियोजनाएं जो एक से अधिक राज्यों को लाभान्वित करती हैं – चंबल घाटी परियोजना एवं मयूराक्षी परियोजना
- चंबल घाटी योजना से संबंधित है – गांधी सागर, जवाहर सागर, राणाप्रताप सागर
- टिहरी बांध उत्तराखंड में निर्मित किया जा रहा है – भागीरथी नदी पर
- टिहरी जल विद्युत परियोजना बनाई गई है – भागीरथी एवं भिलंगना नदी पर
- मैंथॉन, बेलपहाड़ी एवं तिलैया बांध बनाए गए – बाराकर नदी पर
- दामोदर घाटी निगम की स्थापना हुई थी – 1948 में
- तवा परियोजना स्थित है – नर्मदा नदी पर
- हीराकुंड परियोजना स्थित है – ओडिशा में
- हल्दिया रिफाइनरी अवस्थित है – पश्चिम बंगाल में
- तारापुर परमाणु केंद्र स्थित है – महाराष्ट्र में
- कुदरेमुख पहाड़ियां – कर्नाटक में
- हिमाचल प्रदेश बांध सतलज नदी पर बनाया जा रहा है, इस बांध को बनाने का मुख्य उद्देश्य है – भाखड़ा बांध में आने वाली तलछट मिट्टी को रोकना।
- वह परियोजना जो भारत ने भूटान के सहयोग से बनाई है – चुक्का बांध परियोजना
- नागार्जुन सागर परियोजना – कृष्णा नदी पर
- तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश तथा कर्नाटक की संयुक्त परियोजना है – तेलुगु गंगा परियोजना
- तेलुगु गंगा परियोजना से पेयजल प्रदान किया जाता है – मद्रास को
- बहुत देसी नदी घाटी परियोजनाओं को ‘आधुनिक भारत के मंदिर’ कहा था – जवाहरलाल नेहरू ने
- अलमट्टी बांध स्थित है – कृष्णा नदी पर
- कल्पोंग जल विद्युत परियोजना अवस्थित है – अंडमान एवं निकोबार द्वीप समूह में
- भारत में सबसे पुराना जलविद्युत स्टेशन है – सिद्राबाग
- भारत में प्रथम जल विद्युत संयंत्र की स्थापना की गई थी – दार्जिलिंग में
- कालागढ़ बांध बना हुआ है – रामगंगा नदी पर
- तवा परियोजना संबंधित है – होशंगाबाद से
- पोंग बांध बनाया गया है – व्यास नदी पर
- मेजा बांध का निर्माण हुआ है – कोठारी नदी पर
- तुलबुल परियोजना का संबंध है – झेलम नदी से
- बगलिहार पॉवर प्रोजेक्ट, जिसके विषय में पाकिस्तान द्वारा विश्व बैंक के समक्ष विवाद उठाया गया, भारत द्वारा किस नदी पर बनाया जा रहा है वह है – चिनाब नदी
- बगलिहार पनविद्युत परियोजना, जो हाल में चर्चित रही है, स्थित है – जम्मू और कश्मीर में
- तपोवन और विष्णुगढ़ जल विद्युत परियोजना अवस्थित है – उत्तराखंड में
- महाकाली संधि जिन देशों के मध्य है वह है – नेपाल और भारत
- मीठे पानी की कल्पसर परियोजना अवस्थित है – गुजरात में
- वह राज्य जिसमें सुइल नदी परियोजना स्थित है – हिमाचल प्रदेश
- तीस्ता लो डैम प्रोजेक्ट- तृतीय, तीस्ता नदी पर प्रस्तावित है। इस प्रोजेक्ट का स्थल है -पश्चिम बंगाल में
- तीस्ता जल विद्युत परियोजना स्थित है – सिक्किम में
- उत्तर प्रदेश में रानी लक्ष्मीबाई बांध परियोजना निर्मित है – बेतवा नदी पर
- दुलहस्ती हाइड्रो पावर स्टेशन अवस्थित है – चिनाव नदी पर
- तिलैया बांध अवस्थित है – बराकर नदी झारखंड में
- गोविंद बल्लभ पंत सागर जलाशय स्थित है – उत्तर प्रदेश में
- गंडक परियोजना संयुक्त परियोजना है – बिहार व उत्तर प्रदेश की
- वह प्रमुख राज्य जो प्रस्तावित ‘किसाउ बांध’ परियोजना से लाभान्वित होंगे – उत्तराखंड व हिमाचल प्रदेश
- वह बांध सिंचाई के लिए नहीं है – शिव समुद्रम
- अति विवादित बबली प्रोजेक्ट अवस्थित है – महाराष्ट्र में
- ‘भारतीय कृषि का इतिहास’ लिखा था – एम एस रंधावा ने
- भारत में एग्रो इकोलॉजिकल जोंस (कृषि पारिस्थितिकीय क्षेत्रों) की कुल संख्या है – 20
- भारत की खाद्य एवं पोषण सुरक्षा के संदर्भ में विभिन्न फसलों की ‘बीज प्रतिस्थापन दरों’ को बढ़ाने से भविष्य के खाद्य उत्पादन लक्ष्यों को प्राप्त करने में मदद मिलती है, किंतु इसके अपेक्षाकृत बड़े/विस्तृत क्रियान्वयन में बाध्यताएं है, वह है – निजी क्षेत्र की बीज कंपनियों की, उद्यान कृषि फसलों की रोपण सामग्रियों और सब्जियों के गुणवत्ता वाले बीजों की पूर्ति में कोई सहभागिता नहीं है।
- देश का पहला कृषि विश्वविद्यालय है – जी बी पी ए यू पंतनगर
- भारतवर्ष में प्रथम कृषि विश्वविद्यालय की स्थापना हुई थी – वर्ष 1960 में
- यदि खाद्यान्नों का सुरक्षित संग्रह सुनिश्चित करना हो, तो कटाई के समय उनकी आद्रता अंश होना चाहिए – 14% कम
- भारत में भूमि उपयोग वर्गीकरण का संन्निकट निरूपण है – नेट बुवाई क्षेत्र 47%, वन 23%, अन्य क्षेत्र 30%
- कृषि में युग्म में पैदावार का आशय है – विभिन्न मौसमों पर दो फसल उगाने से
- मिश्रित खेती की विशेष प्रमुखता है – पशुपालन और शस्य उत्पादन को एक साथ करना
- प्रकृति पर अधिक निर्भरता, उत्पादकता का निम्न स्तर, फसलों की विविधता तथा बड़े खेतों की प्रधानता में से भारतीय कृषि की विशेषता नहीं है – बड़े खेतों की प्रधानता
- जनसंख्या का दबाव, प्रच्छन्न बेरोजगारी, सहकारी कृषि एवं भू जोत का आकार में से एक भारतीय कृषि की निम्न उत्पादकता का कारण नहीं है – सहकारी कृषि
- भारत में संकार्य (चालू) जोतों का सबसे बड़ा औसत आकार है – राजस्थान में
- भारत में कृषि को समझा जाता है – जीविकोपार्जन का साधन
- भारतीय कृषि के संदर्भ में, सही कथन है – भारत में दालों की खेती के अंतर्गत आने वाली लगभग 90% क्षेत्र वर्षा द्वारा पोषित है।
- भारत में रासायनिक उर्वरकों के दो बड़े उपभोक्ता है – उत्तर प्रदेश एवं आंध्र प्रदेश
- नई सुधारी गई ऊसर में हरी खाद के लिए उपयुक्त फसल है – ढेंचा
- संतुलित उर्वरक प्रयोग किए जाते हैं – उत्पादन बढ़ाने के लिए, खाद्य की गुणवत्ता उन्नत करने हेतु, भूमि की उत्पादकता बनाए रखने हेतु
- केरल तट, तमिलनाडु तट, तेलंगाना तथा विदर्भ में से दक्षिण भारत में उच्च कृषि उत्पादकता का क्षेत्र पाया जाता है – तमिलनाडु तट में
- पुनर्भरण योग्य भौम जल संसाधन में सबसे संपन्न राज्य है – उत्तर प्रदेश
- भारत में ठेकेदारी कृषि को लागू करने में अग्रणी राज्य है – पंजाब
- हरित खेती में सन्निहित है – समेकित कीट प्रबंधन, समेकित पोषक पदार्थ आपूर्ति एवं समेकित प्राकृतिक संसाधन प्रबंधन
- भारतीय कृषि पर वैश्वीकरण का प्रभाव है – अंतरराष्ट्रीय बाजारों का भारतीय किसानों के उत्पादों की पहुंच, नगदी फसल पर बल, आय-असमानता में वृद्धि, आर्थिक सहायता में कटौती आदि।
- बीज ग्राम संकल्पना (सीड विलेज कॉन्सेप्ट) के प्रमुख उद्देश्य का सर्वोत्तम वर्णन करता है – किसानों को गुणवत्ता युक्त बीज उत्पादन का प्रशिक्षण देने में लगाना और उनके द्वारा दूसरों को समुचित समय पर तथा वाहन करने योग्य लागत में गुणवत्ता युक्त बीज उपलब्ध कराना।
- एगमार्क है – गुणवत्ता गारंटी की मोहर
- हरित क्रांति कई कृषि व्यूह-रचना की परिणाम थी, जो 20वीं सदी में प्रारंभ की गई थी – सातवें दशक के दौरान
- ‘सदाबहार क्रांति’ भारत में कृषि उत्पादन बढ़ाने के लिए प्रयोग में लाई गई – एम. एस. स्वामीनाथन द्वारा
- नॉर्मन अर्गेस्ट बोरलॉग, जो हरित क्रांति के जनक माने जाते है, वह संबंधित है – संयुक्त राज्य अमेरिका से
- विश्व में ‘हरित क्रांति के जनक’ है – नॉर्मन ई. बोरलॉग
- हरित क्रांति से गहरा संबंध रहा है – डॉ. स्वामीनाथन का
- हरित क्रांति से अभिप्राय है – उच्च उत्पाद वैराइटी प्रोगाम
- मोटे अनाज, दलहन, गेहॅू तथा तिलहन में से हरित क्रांति संबंधित है – गेहॅू उत्पादन से
- वह फसल जिसको ‘हरित क्रांति’ का सर्वाधिक लाभ उत्पादन एवं उत्पादकता (Production and Productivity) दोनों में हुआ – गेहॅू
- स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद से भारत ने सर्वाधिक प्रगति की है – गेहॅू के उत्पादन में
- हरित क्रांति में प्रयुक्त मुख्य पादप (फसल) थी – मैक्सिकन गेहूं
- भारत में द्वितीय हरित क्रांति में संबंध में सही है – इसका लक्ष्य हरित क्रांति से अब तक लाभान्वित न हो सकने वाले क्षेत्रों में बीज, पानी, उर्वरक, तकनीक का विस्तार करना है। इसका लक्ष्य पशुपालन, सामाजिक वानिकी तथा मत्स्य पालन के साथ शस्योत्पादन का समाकलन करना है।
- हरित क्रांति के घटक हैं – उच्च उत्पादन देने वाली किस्म के बीज, सिंचाई, ग्रामीण विद्युतीकरण, ग्रामीण सड़कें और विपणन
- इंद्रधनुषीय क्रांति का संबंध है – इसमें कृषि क्षेत्र की सभी क्रांतियां शामिल हैं।
- सही सुमेलन है – खाद्य उत्पादन में वृद्धि – हरित क्रांति, दुग्ध उत्पादन – श्वेत क्रांति, मत्स्यपालन – नीली क्रांति, उर्वरक- भूरी क्रांति, उद्यान कृषि – सुनहरी क्रांति
- गुलाबी क्रांति संबंधित है – प्याज से
- जीरो टिल बीज एवं उर्वरक ड्रिल विकसित किया गया था – जी.बी. पंत कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, पंजनगर में
- रबी की फसल की बुआई होती है – अक्टूबर-नवंबर महीने में
- ‘रबी’ फसल है – सरसों, मसूर, चना, गेहूं आदि
- गेंहूं की अच्छी खेती आवश्यक परिस्थिति-समुच्चय है – मध्यम ताप और मध्यम वर्षा
- गन्ना, कपास, जूट तथा गेहूं में से नकदी फसल में सम्मिलित नहीं है – गेंहूं
- नकदी फसल समूह है – कपास, गन्ना, केला
- तीन बड़े गेहूं उत्पादक राज्यों की द़ष्टि से सही क्रम है – उत्तरप्रदेश, मध्यप्रदेश एवं पंजाब
- भारत का अधिकतम गेहूं उत्पादक राज्य है – उत्तर प्रदेश
- ‘मही सुगंधा’ प्रजाति है – धान की फसल की
- भारत में उत्तरप्रदेश का प्रथम स्थान है – गेहूं, आलू और गन्ना उत्पादन में
- गेहूं की वह प्रजाति जो प्रेरित उत्परिवर्तन द्वारा विकसित की गई है – सोनारा – 64
- गेहूं में बौनेपन का जीन है – नोरिन – 10
- मैकरोनी गेहूं सबसे उपयुक्त है – असिंचित परिस्थितियों के लिए
- राज 3077 एक प्रजाति है – गेहूं की
- ‘पूसा सिंधु गंगा’ एक प्रजाति है – गेहूं की
- यूपी-308 एक प्रजाति है – गेहूं की
- गेहूं कर फसल का रोग है – रस्ट
- कल्याण सोना एक किस्म है – गेहूं की
- गेहूं की अधिक पैदावार वाली किस्में है – अर्जुन और सोनालिका
- गेहूं के साथ दो फसली के लिए अरहर की उपयुक्त किस्म है – यू.पी.ए.एस.-120
- ‘ट्रिटिकेल’ जिन दो के बीच का संकर (क्रॉस) है, वह हैं – गेहूं एवं राई
- ‘करनाल बंट’ एक बीमारी है – गेहूं की
- धान की उत्पत्ति हुई – दक्षिण-पूर्व एशिया में
- खरीफ की फसलें हैं – कपास, मूंगफली, धान आदि
- चावल की खेती के लिए आदर्श जलवायु परिस्थितियां हैं -100 सेमी. से ऊपर वर्षा और 25 डिग्री सेल्सियस ऊपर ताप
- मसूर, अलसी, सरसो तथा सोयाबीन में से खरीफ की फसल है – सोयाबीन
- भारत में प्रमुख खाद्यान्न है – चावल
- खेती के अंतर्गत क्षेत्र के अनुसार भारत में सबसे महत्वपूर्ण खाद्य फसल है – चावल
- भारत में वह फसल जिसके अंतर्गत सर्वाधिक क्षेत्रफल है – धान
- भारत में चावल की खेती के अंतर्गत सर्वाधिक क्षेत्र पाया जाता है – उत्तर प्रदेश में
- भारत में प्रति हेक्टेयर चावल का औसत उत्पादन वर्ष 2014-15 में था – 2390 किलोग्राम
- भारत के ‘चावल के कटोरे’ क्षेत्र का नाम है – कृष्णा-गोदावरी डेल्टा क्षेत्र
- धान की उत्पादकता सर्वाधिक है – पंजाब राज्य में
- जया, पद्मा एवं कृष्णा उन्नत किस्में हैं – धान की
- ‘अमन’ धान उगाया जाता है – जून-जुलाई (बुआई), नवंबर-दिसंबर (कटाई)
- पसा सुगंधा-5 एक सुगधित किस्म है – धान की
- ‘बारानी दीप’ है – धान की किस्म
- बासमती चावल की संकर प्रजाति है – पूसा आर एच-10
- बासमती चावल की रोपाई हेतु उपयुक्त बीज दर है – 15-20 किग्रा./हेक्टेयर
- भारत में चावल का सबसे बड़ा उत्पादक राज्य है – पश्चिम बंगाल
- वह जीव जो चावल की सबसे फसल के लिए जैव उर्वरक का कार्य कर सकता है – नील हरित शैवाल
- विगत एक दशक में, भारत में जिस फसल के लिए प्रयुक्त कुल कृष्य भूमि लगभग एक जैसी बनी रही है, वह है – चावल
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