Motivation Success Story

IAS Motivational Story – संघर्ष से सफलता तक का सफर

IAS Success Stories in Hindi By Nitin Gupta
Written by Nitin Gupta

IAS Success Stories in Hindi

दोस्तो शरद सर द्वारा लि्खी हुई अपार Motivation से भरी हुई यह कहानी आपकी तैयारी में आने बाली मुश्किलों से उबरने में बहुत मदद करेगी ! पढने के बाद अपनी राय अवश्य दें ! तो चलिये दोस्तो शुरु करते है शरद सर के शब्दों में –

सभी बिषयवार Free PDF यहां से Download करें

Join Here – नई PDF व अन्य Study Material पाने के लिये अब आप हमारे Telegram Channel को Join कर सकते हैं !

दोस्तों आज क्या नहीं है आपके पास अच्छे कपडे , अच्छा खाना , अच्छा घर पर कभी आपने सोचा है कि आपके उलट एक और दुनिया है उन बच्चो कि जिनके पास न तो अच्छा घर है न ही अच्छा खाना , न कपडे और न ही किताबे पर फिर भी वही बच्चे आईएएस , डॉक्टर , इंजीनियर आदि के सपने संजोते हैं और हर मुश्किलों से लड़कर उन्हें पूरा करते हैं ….ऐसे ही एक शख्स की दास्ताँ मैं आज आपको बताता हूँ ………….
बनारस के गलियों में खेलते हुए अपने एक दोस्त के साथ उसके घर चले जाने पर उसके पिता ने उस लड़के को घर के बाहर निकालते हुए कहा था की तुम्हारी हिंम्मत कैसे हुई हमारे घर में आने की ….सिर्फ इसलिए क्युकि वो लड़का एक रिक्शे वाले का लड़का था और वो सज्जन एक संपन्न परिवार से थे ……..वो बात उस लड़के को उस वक़्त समझ में नहीं आई क्युकि उसकी उम्र मात्र 11 -12 वर्ष ही थी ! एक दिन एक सज्जन से उस लड़के ने ये बात पूछ ही डाली .उन्होंने कहा की बेटा तुम्हारा जो कार्य या background है उसक कारण उन्होंने ऐसा कहा …सज्जन ने भी जवाब उसे नादाँ समझ कर ही दिया था …..पर लड़के ने तुरंत दूसरा सवाल किया ….background कैसे बदलते हैं ? …सज्जन ने कहा background या तो आपके पिता की आर्थिक स्थिति में परिवर्तन बदल सकते हैं या फिर तुम कोई उच्च पद हासिल कर लो तो !!! ………इस देश की सर्वोच्च सर्विस कौन सी है ? बच्चे के सवाल में दर्द और हौसला साफ साफ झलक रहा था ………बेटा अगर तुम आईएएस बन जाओ तो उससे बड़ी सर्विस नहीं है …….और दोस्तों यही से शुरू हुआ उस लड़के का संघर्ष का सफर ….जिस उम्र में हम लोग डॉक्टर , इंजीनियर बनने के सपने मजाक में देखते हैं उसी उम्र में उस लड़के आईएएस बनने का संकल्प ले डाला ….और यही अपमान उसकी जिंदगी का turning point बना ……

वो रिक्शे वाले का लड़का था गोविन्द जायसवाल …जिन्होंने हिंदी माध्यम में सर्वोच्च अंक प्राप्त किये थे वो भी प्रथम प्रयास में ………गोविन्द जी की जिंदगी में मुश्किलें कम नहीं आई ..उन्हें केवल एक जोड़ी कपडे मिलते थे वो भी होली में एक जोड़ी कपडे में पूरा साल …कैसे ? ..एक कमरे में पांच लोंगो का परिवार रहता था ..वही खाना बनाना , वही सोना ….हम सब कल्पना भी नहीं कर सकते ..पर यही बाते तो गोविन्द जी को हमेशा उनके लक्ष्य कि याद दिलाती थी कि उन्हें बहुत आगे जाना है ….गोविन्द जी की बड़ी दीदी ममता जी जब पढाई.के लिए स्कूल जाती तो लोग तन देते की तुम्हे तो दुसरो के घर में बर्तन धोने चाहिए जिससे दो पैसे कम लो ….पढ़ लिख कर क्या करोगी ? गोविन्द से कहते कि कितने बड़े बनोगे तुम दो रिक्शा ज्यादा खरीद लोगे खुद भी चलाओगे और दुसरो से भी चलवाओगे .. ये बाते गोविन्द जी को बहुत अंदर तक जख्म दे जाती थी …..पर वो कर भी क्या सकते था …या तो उनसे लड़े ? या फिर उसी ऊर्जा को अपने लक्ष्य पर लगा दे !

Download Our App

गोविन्द जी की पढाई ख़त्म हुई अब उसे दिल्ली जाना था पर संघर्ष अभी भी उसी तरह था …..पिता जी ने उसके ख़र्चे के लिए अपनी एक पुरानी जमीन बेच दी ताकि उनका बेटा ठीक से तैयारी कर सके …..दिल्ली पहुंच कर भी गोविन्द की मुश्किलें कम नहीं हुई … एक बार तो गोविन्द जी खाने का पैसा चुकाकर केवल 150 रुपये .ही बचा पाये था …उन पैसो में संभव नहीं था की वो दोनों टाइम की चाय भी पी सके .अब पिता जी के पास कुछ भी नहीं था ..आप खुद सोचिये 150 रुपये आप कितने दिन चला सकते हो ? वो भी दिल्ली जैसे शहर में ……..गोविन्द ने अपना खाना आधा कर दिया ….चाय भी बंद कर दी …….कम खाने की वजह से बहुत बीमारियां हुई , वह बहुत कमजोर हो गए …पर सिर्फ शारीरिक रूप से हौसलों से तो और ज्यादा मजबूर होता जा रहा था …….

मुख्य परीक्षा उत्तीर्ण करने के बाद अब इंटरव्यू के लिए अच्छी ड्रेस और जूते चाहिए थे ..उन्ही दिनों उनकी दीदी गर्भवती थी और उन्हें चेकअप करना था पर उन पैसो से उन्होंने गोविन्द के इंटरव्यू की ड्रेस का इंतजाम कर दिया सबने कहा कि आपको खतरा हो सकता है अगर इलाज नहीं हुआ तो …उन्होंने कहा १४ मई को रिजल्ट आएगा तभी कर लुंगी ….उनके इस विश्वाश को गोविन्द कभी नहीं तोडना चाहता था …….उसकी दूसरी दीदी गीता दी जो परिवार वालो से लड़कर उन्हें सपोर्ट करती थी ..बहुत सारी उम्मीदें थी उन्हें अपने भाई से ….उन उम्मीदों को गोविन्द कभी नहीं तोडना चाहता था !

रिजल्ट आने के पहले उसके पिता जी कि तबियत बहुत ख़राब हो गयी पर उनका बेहतर इलाज करने कि क्षमता अब नहीं थी क्युकि सबकुछ गोविन्द कि पढाई में पहले ही लगाया जा चुका था …..आज भी पिता जी कि बात को याद करके उनके आँखों में आंसू आ जाते हैं जब उन्होंने अपने रिक्शे बेचते हुए कहा था ” सबके पास २ – ३ लाख होते हैं तो क्या हमारे पास २ – ३ रिक्शे हैं वो तुम्हारे ही तो हैं उन्हें ही बेच देते हैं ” ………. आज अगर गोविन्द सफल न हुए होते तो…..जाने कितनी जिंदगियां ख़त्म हो गयी होती …..आज उन्ही गलियों के लोग उनसे बाते करना चाहते हैं …उनके ऊपर गर्व करते हैं जिन्होंने एक दिन गोविन्द को उन्ही गलियों में खेलने से मना कर दिया था ……..
गोविन्द अपनी सफलता के बारे में सिर्फ इतना कहते हैं कि अगर आप अगर वास्तविक परिश्रम करो तो आज कोई भी चीज असंभव नहीं रह गयी है …..उनका कहना है ……
आभाव के प्रभाव से इंसान बहुत कुछ बन सकता है

जरूर पढें – 

Thanks For  – शरद तिवारी सर

दोस्तो आप मुझे ( नितिन गुप्ता ) को Facebook पर Follow कर सकते है ! दोस्तो अगर आपको यह पोस्ट अच्छी लगी हो तो इस Facebook पर Share अवश्य करें ! क्रपया कमेंट के माध्यम से बताऐं के ये पोस्ट आपको कैसी लगी आपके सुझावों का भी स्वागत रहेगा Thanks !

दोस्तो कोचिंग संस्थान के बिना अपने दम पर Self Studies करें और महत्वपूर्ण पुस्तको का अध्ययन करें , हम आपको Civil Services के लिये महत्वपूर्ण पुस्तकों की सुची उपलब्ध करा रहे है –

WhatsApp Group Join Now
Telegram Group Join Now
Instagram Group Join Now

About the author

Nitin Gupta

GK Trick by Nitin Gupta पर आपका स्वागत है !! अपने बारे में लिखना सबसे मुश्किल काम है ! में इस विश्व के जीवन मंच पर एक अदना सा और संवेदनशीलकिरदार हूँ जो अपनी भूमिका न्यायपूर्वक और मन लगाकर निभाने का प्रयत्न कर रहा हूं !! आप मुझे GKTrickbyNitinGupta का Founder कह सकते है !
मेरा उद्देश्य हिन्दी माध्यम में प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी करने बाले प्रतिभागियों का सहयोग करना है !! आप सभी लोगों का स्नेह प्राप्त करना तथा अपने अर्जित अनुभवों तथा ज्ञान को वितरित करके आप लोगों की सेवा करना ही मेरी उत्कट अभिलाषा है !!

8 Comments

Leave a Comment

GK Tricks By Nitin Gupta Course