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दोस्तो आज की हमारी पोस्ट भारतीय राजव्यवस्था ( Indian Polity ) से संबंधित है ! इस पोस्ट में हम आपको Indian Polity के एक Topic नागरिकता ( Citizenship of India ) के बारे में बताऐंगे ! Indian Polity से संबंधित अन्य टापिक के बारे में भी पोस्ट आयेंगी , व अन्य बिषयों से संबंधित पोस्ट भी आयेंगी , तो आपसे निवेदन है कि हमारी बेवसाईट को Regularly Visit करते रहिये !
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नागरिक कौन है?
- नागरिक किसी समुदाय अथवा राज्य में निवास करने वाला वह व्यक्ति होता है, जिसे उस समुदाय अथवा राज्य की पूर्ण सदस्यता प्राप्त होती है।
- नागरिक विदेशियों से भिन्न हैं क्योंकि विदेशियों को वे सभी अधिकार प्राप्त नहीं होते, जो किसी राज्य की पूर्ण सदस्यता के लिए अनिवार्य हैं।
- संविधान के प्रारंभ पर प्रत्येक व्यक्ति जो भारत के राज्य क्षेत्र में रहा है
- जो भारत के राज्य क्षेत्र में जन्मा था, या
- जिसके माता-पिता में से कोई भारत के राज्य में जन्मा था,
- जो ऐसे प्रारंभ से ठीक पहले कम-से-कम पाँच वर्ष तक भारत के राज्य क्षेत्र में मामूली तौर पर निवासी रहा है, भारत का नागरिक होगा।
भारतीय नागरिकता अधिनियम 1955 में उपबंध है
- 26 जनवरी, 1950 के बाद भारत में जन्मा कोई भी व्यक्ति, कतिपय अपेक्षाओं के अधीन रहते हुए भारत का नागरिक होगा,यदि उसके जन्म के समय उसका पिता भारत का नागरिक था।
- पहला नागरिक संशोधन 1986 जिसमें पुरूष तथा भारतीय महिला की संतान भारतीय होगी। 1991 के संशोधन द्वारा भारतीय विवाहित पुरूष की संतान भी भारतीय होगी।
- अनुच्छेद 6 में संविधान के प्रारंभ से पहले पाकिस्तान से प्रवास करने वाले व्यक्तियों की नागरिकता के अधिकारों का उपबंध किया गया है।
- अनुच्छेद 8 में कोई व्यक्ति या उसके माता-पिता में से कोई पितामह या पितामही, मातामह या मातामही में से कोई भारत शासन अधिनियम 1935 में यथा-परिभाषित भारत में जन्मा था और जो भारत के बाहर किसी देश में निवासकर रहा है। उसे भारत का नागरिक समझा जाएगा।
- यदि किसी व्यक्ति ने किसी विदेश राज्य की नागरिकता स्वेच्छा से अर्जित कर ली हो तो भारत की उसकी नागरिकता का अधिकार खत्म हो जाएगा।
- राष्ट्रहित में भारत सरकार किसी व्यक्ति को दो नागरिकताएँ स्वीकार करने की अनुमति दे सकती है (जैसे-सांस्कृतिक राजदूत के आधार पर अमिताभ बच्चन, सुष्मिता सेन और ऐश्वर्या राय को दोहरी नागरिकता का अधिकार दिया गया है।)
नागरिकता कानून में संशोधन:1992
1992 ई. में संसद ने सर्वसम्मति से नागरिकता संशोधन विधेयक पारित किया। जिसके अंतर्गत यह व्यवस्था दी गई है कि भारत से बाहर पैदा होने वाले बच्चे को यदि उनकी मां भारत की नागरिक है, भारत की नागरिकता प्राप्त होगी। इससे पूर्व उसी दशा में किसी बच्चे को भारत की नागरिकता प्राप्त होती थी यदि उसका पिताभारत का नागरिक हो। इस प्रकार अब नागरिकता के प्रसंग में बच्चे की माता को पिता के समकक्ष स्थिति प्रदान कर दी गई।
भाग II : नागरिकता
अनुच्छेद 5 : संविधान के प्रारंभ पर नागरिकता।
अनुच्छेद 6 : पाकिस्तान से भारत को प्रवजन करने वाले कुछ व्यक्तियों के नागरिकता के अधिकार।
अनुच्छेद 7 : पाकिस्तान को प्रवजन करने वाले कुछ व्यक्तियों के नागरिकता के अधिकार।
अनुच्छेद 8 : भारत से बाहर रहने वाले भारतीय उद्भव के कुछ व्यक्तियों के नागरिकता के अधिकार।
अनुच्छेद 9 : विदेशी राज्य की नागरिकता स्वेच्छा से अर्जित करने वाले व्यक्तियों का नागरिक न रह जाना।
अनुच्छेद 10 : नागरिकता के अधिकारों का बने रहना।
अनुच्छेद 11 : संसद द्वारा नागरिकता के अधिकार का विधि द्वारा विनियमन किया जाना।
दोहरी नागरिकता के अपवाद
- राजनीतिक शरण; जैसे- दलाईलामा को भारत ने शरण दे रखी है।
- विदेश का राज्याध्यक्ष या नेतृत्वकर्ता किसी उपद्रव के बाद किसीअन्य देश में शरण लेता है, तो उनका प्रत्यर्पण नहीं किया जा सकता है और साथ-ही-साथ उसे देश की नागरिकताप्रदानकी जाती है।
- विदेशों के राज्याध्यक्ष या शासनाध्यक्ष जब भी भारत आते हैं तो उन्हें सम्मान के लिए भारत की नागरिकता से विभूषित किया जाता है।
- किसी भी प्रकार की नागरिकता का विधान संसदीय विधि के अलावा और तरीकों से नहीं छीना जा सकता है (अनुच्छेद 10)।
- संसद को भारत की नागरिकता अर्जय या निरसन की निर्बाध शक्तियाँ हैं।
नागरिक एवं गैर-नागरिक में अंतर
- नागरिक को समस्त मौलिक अधिकार प्राप्त होते हैं और गैर-नागरिक को समस्त अधिकार प्राप्त नहीं होते हैं; जैसे – गैर-नागरिक के पास अनुच्छेद 15, 16, 19, 29, 30, तथा 326 के अनुसार मताधिकार नहीं है।
- नागरिकों को राष्ट्र की ओर से विशिष्ट दायित्व सौंपे जा सकते हैं, पर गैर-नागरिक को नहीं।
नागरिकता समाप्ति
- दूसरी नागरिकता स्वीकार करने पर या अज्ञातवास के द्वारा यदि कोई भारतीय नागरिक लगातार 70 वर्ष तक अज्ञात रहा है तो उसे मृत मान लिया जाता है और बाद में यह प्रकट हो जाए तो उसे सिद्ध करना पड़ता है।
- इसी क्रम में जो भी पेंशनधारी होते हैं। उन्हें जीवित होने का लिखित स्व-प्रमाण देना पड़ता है।
- जो अपराधी विदेश में भाग जाते हैं, तो भारत सरकार उसे नोटिस देती है, जो प्रत्यर्पण संधि के अनुरूप होगा।
दोहरी नागरिकता
- अनुच्छेद 11 के तहत भारतीय संविधान संसद को नागरिकता से संबद्ध विषयों पर कानून बनाने की शक्ति प्रदान करता है।
- तदनुसार, संसद ने 1955 में नागरिकता अधिनियम लागू किया।
- अनुच्छेद 9 के कथनानुसार, नागरिकता का अर्थ पूर्ण नागरिकता है। संविधान बँटी हुई निष्ठा (allegiance) को स्वीकृति नहीं देता।
- भारतीय न्यायालयों ने नियमित रूप से दोहरी नागरिकता को अस्वीकार किया है।
- नागरिकता अधिनियम की धारा 10 के अनुसार, कोई व्यक्ति भारतीय संविधान के साथ-साथ अन्य देश के संविधान के प्रति निष्ठावान नहीं हो सकता।
- विदेशों में रह रहे भारतीय (एनआरआई) को दोहरी नागरिकता के उपहार के बाद सरकार द्वारा उन्हें मतदान का अधिकार देनेका भी निर्णय लिया गया है, जिसके लिए जन-प्रतिनिधित्व कानून में संशोधन किया जाएगा।
- यदि कोई भारतीय नागरिककिसी अन्य देश की नागरिकता प्राप्त कर लेता है, तो वह भारतीय नागरिकता स्वत: खो देताहै। उदाहरणार्थ, कोई शिशु जिसकेमाता-पिता भारतीय नागरिक हैं, किसी दूसरे देश में जन्म लेता है और वयस्क होने पर उस देश की नागरिकता का परित्याग नहीं करता, तो वह भारत की नागरिकता खो देता है।
- दोहरी नागरिकता के निषेध का कारणयह है कि नागरिकता से कुछ कर्तव्य अपेक्षित है; यथा-आवश्यकता पड़ने पर भारतीय सेना में सेवा प्रदान करना।
विदेशियों को प्राप्त अधिकार
- धर्म, मूलवंश, जाति, लिंग, जन्मस्थान या इनमें से किसी के अधार पर विभेद (discrimination) न किए जाने का अधिकार (अनुच्छेद 15)।
- लोक नियोजन (Publicemployment) के विषय में अवसर की समता का अधिकार (अनुच्छेद 16)।
- अनुच्छेद 19 के तहत, 6 आधारभूत स्वतंत्रताओं का अधिकार।
- मतदान का अधिकार।
- अनुच्छेद 29 व 30 में प्रदत्त सांस्कृतिक व शैक्षणिक अधिकार।
- कतिपय पदों (यथा-राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति, राज्यों के राज्यपाल, सर्वोच्च न्यायालय व उच्च न्यायालयों के न्यायाधीश, भारत का महान्यायवादी, नियंत्रक व महालेखा परीक्षक इत्यादि) पद आसीन होने का अधिकार।
- केन्द्र में किसी भी सदन अथवा राज्य स्तर पर चुनावलड़ने तथा चुने जाने का अधिकार द्वारा विनियमन किया जाना।
भारतीय नागरिकता अधिनियम 2005
- भारतीय मूल के लोगों को दोहरी नागरिकता देने संबंधी भारतीय नागरिकता (संशोधन) अधिनियम 2005, नागरिकता अधिनियम, 1955 को संशोधित करता है जिसके अंतर्गत नागरिकता अधिनियम, 1955 की चौथी अनुसूची को निकाल दिया गया है।
- इसके अंतर्गत पाकिस्तान एवं बांग्लादेश को छोड़कर अन्य देशों में 26 जनवरी, 1950 के बाद जाकर बसे भारतीय मूल के सभी नागरिक भारत की विदेशी नागरिकता प्राप्त करने के योग्य हैं।
- किसी अपराध में लिप्त या संदिग्ध आचरण वाले प्रवासी भारतीयों को दोहरी नागरिकता नहीं मिल सकेगी।
- दोहरी नागरिकता के आधार पर प्रवासी मतदान में भाग नहीं ले सकते हैं, लोक सभा / राज्य सभा / विधानसभा / विधान-परिषद के चुनाव में भाग नहीं ले सकतेहैं और नही किसी संवैधानिक पद; जैसे- राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति, सर्वोच्च न्यायालय या उच्च न्यायालय के न्यायाधीश के पद पर नियुक्त हो सकते हैं।
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