Child Development and Pedagogy CTET

बाल विकास एवं शिक्षाशास्त्र ( Child Development and Pedagogy ) Part – 21 – पिछली परीक्षाओं में पूंछे गये महत्वपूर्ण Question and Answer

child-development-and-pedagogy-previous-year-questions-for-vyapam
Written by Nitin Gupta

नमस्कार दोस्तो , कैसे हैं आप ? I Hope आप सभी की पढाई अच्छी चल रही होगी 🙂

दोस्तो आज की हमारी पोस्ट बाल विकास एवं शिक्षाशास्त्र से संबंधित उन प्रश्नों के बारे में है जिनको पिछ्ले Teaching के Exam जैसे CTET , UPTET , MP Samvida Teacher , HTET , REET आदि में कहीं न कहीं पूंछा गया है ! और आंगे आने बाले सभी तरह के Exams , जिनमें कि Child Development and Pedagogy से संबंधित प्रश्न पूंछे जाने हैं उनमें द्वारा पूंछे जाने कि पूरी पूरी संभाबना है तो आप सभी इन प्रश्नों को अच्छे से याद कर लीजिये 🙂

Child Development and Pedagogy के पिछ्ले Year के Question से संबंधित यह हमारा 21th पार्ट है व इसके अन्य पार्ट भी हम लगातार आपको अपनी बेबसाईट पर उपलब्ध कराते रहेंगे तो आप सभी से Request है कि आप हमारी बेबसाईट को विजिट करते रहिये ! 🙂

सभी बिषयवार Free PDF यहां से Download करें

Join Here – नई PDF व अन्य Study Material पाने के लिये अब आप हमारे Telegram Channel को Join कर सकते हैं !

Download Our App
  • एक बच्‍चा अपनी मातृभाषा सीख रहा है व दूसरा बच्‍चा वही भाषा द्वितीय भाषा के रूप में सीख रहा है, दोनों निम्‍नलिखित में से कौन सी समान प्रकार की त्रुटि कर सकते हैं – विकासात्‍मक
  • परीक्षा में तनाव निष्‍पत्ति को प्रभावित करता है, यह तथ्‍य निम्‍नलिखित में से किस प्रकार के संबंध को स्‍पष्‍ट करता है – संज्ञान भावना
  • एक अध्‍यापक उस बच्‍चे के साथ परामर्श करते हैं जिसकी निष्‍पत्‍यात्‍मक प्रगति एक दुर्घटना के पश्‍चात अनुकूल नहीं है, निम्‍नलिखित में से कौन सी प्रक्रिया विद्ययालयमें परामर्श के लिए सबसे बेहतर हो सकती है – यह अपने विचारों द्वारा खोज करने हेतु लोगों में आत्‍मविश्‍वास का निर्माण करता है।
  • निम्‍नलिखित में से कौन सा तत्‍व कक्षा में अधिगम हेतु सहायक हो सकता है – अध्‍यापकों द्वारा बच्‍चों की स्‍वायत्‍तता को बढ़ावा व सहायता देना।
  • परिपक्‍व विद्यार्थी – अपने अध्‍ययन में कभी-कभी भावनाओं की सहायता चाहते हैं।
  • पूर्व-विद्यालय में पहली बार आया बच्‍चा मुक्‍त रूप से चिल्‍लाता है, दो वर्ष पश्‍चात् वही बच्‍चा जब प्रारम्भिक विद्यालय में पहली बार जाता है, तो अपना तनाव चिल्‍लाकर व्‍यक्‍त नहीं करता, अपितु उसके कन्‍धे व गर्दन की पेशियाँ तन जाती है, उसके इस व्‍यावहारिक परिवर्तन का क्‍या सैद्धान्तिक आधार हो सकता है – विभेद व एकीकरण विकास के लक्षण है।
  • निम्‍नलिखित में से कौन सा कथन सत्‍य है – आनुवांशिक बनावट व्‍यक्ति की, परिवेश की गुणवत्‍ता के प्रति, प्रत्‍युत्‍तरात्‍मकता को प्रभावित करती है।
  • के. मा. शि. बो. (CBSE) द्वारा अपनाए गए प्रगतिशील शिक्षा के प्रतिमान में बच्‍चों का समाजीकरण जिस प्रकार से किया जाता है, उससे अपेक्षाकी जा सकती है कि – वे सामूहिक कार्य में सक्रिय भागीदारिता का निर्वाह करें तथा सामाजिक कौशल सीखें।
  • मूल्‍यांकन का उद्देश्‍य है – सापेक्ष
  • मूल्‍यांकन है – उद्देश्‍य प्राप्ति की सुनिश्चितता
  • किसी वस्‍तु या प्रक्रिया का मूल्‍य निश्चित करना मूल्‍यांकन है। ये कहा है – टारगर्सन तथा एडम्‍स ने
  • घटना-वृत्‍त प्रपत्र है – एनेक्‍डोटल आलेख
  • मूल्‍यांकन की प्रमुख विशेषताएँ हैं – वैधता, विश्‍वसनीयता, वस्‍तुनिष्‍ठता
  • रेल्‍फ टॉयलर ने मूल्‍यांकन को बताया है – शैक्षिक उद्देश्‍यों की प्राप्ति की सीमा निर्धारण प्रक्रिया
  • मूल्‍यांकन की प्रक्रिया को त्रिकोणात्‍मक रूप से किसने प्रस्‍तुत किया – डॉ. बी. एस. ब्‍लूम
  • मूल्‍यांकन की मुख्‍य युक्तियाँ है – परीक्षाएं, निरीक्षण, प्रश्‍नावली
  • ‘कोई वस्‍तु कैसीहै’इसका निर्णय किया जाता है मूल्‍यांकन से
  • सामाजिक अध्‍ययन में मूल्‍यांकन का प्रमुख प्रयोजन है – कक्षा-शिक्षण में सुधार व कार्य निष्‍पादन को प्रमाणित करना।
  • राष्‍ट्रीय पाठ्यक्रम रूपरेखा, 2005 में सामाजिक अध्‍ययन में निम्‍न में से किन मुद्दों को शामिल करने की अनुशंसा की गई – सभी स्‍तरों के विद्यार्थियों के लैंगिक एवं स्‍वास्‍थ्‍य सम्‍बन्‍धी
  • किसी परीक्षण की विश्‍वसनीयता जितनी अधिक होती है, उसकी वैधता होगी उतनी ही – अधिकतम्
  • मूल्‍यांकन का मुख्‍य उद्देश्‍य होना चाहिए – सीखने में होने वाली कमियों का निदान एवं उपचार
  • बच्‍चों का मूल्‍यांकन होना चाहिए – सतत् एवं व्‍यापक मूल्‍यांकन द्वारा
  • सतत् एवं व्‍यापक मूल्‍यांकन में, व्‍यापक मूल्‍यांकन शब्‍दावली से तात्‍पर्य है – शैक्षिक एवं सह शैक्षिक क्षेत्र का मूल्‍यांकन
  • एक प्रमाणीकृत परीक्षण में होता है – विश्‍वसनीयता एवं वैधता
  • मूल्‍यांकन किया जाना चाहिए – बच्‍चों के सीखने के स्‍तर का ज्ञान होता है।
  • मूल्‍यांकन का उद्देश्‍य है – बच्‍चों को उत्‍तीर्ण / अनुत्‍तीर्ण घोषित करना, बच्‍चा क्‍या सीखता है जानना, बच्‍चे के सीखने में आई कठिनाईयों को जानना।
  • परीक्षा के स्‍थान पर सतत् और व्‍यापक मूल्‍यांकन गुणवत्‍ता मूलक शिक्षा के लिए अधिक उपयुक्‍त, क्‍योंकि इसमें – संज्ञानात्‍मक क्षेत्र का मूल्‍यांकन किया जाता है, सहसंज्ञानात्‍मक क्षेत्र का मूल्‍यांकन किया जाता है, मूल्‍यांकन सतत् एवं व्‍यापक क्षेत्रों का होता है।
  • सतत् एवं व्‍यापक मूल्‍यांकन की एक तकनीक है – निदानात्‍मक मूल्‍यांकन
  • एक अच्‍छे परीक्षण की कौन सी विशेषता नहीं है – उत्‍तीर्ण करना।
  • छात्रों में रटने की प्रवृत्ति को रोकने हेतु कैसे प्रश्‍न पूछने चाहिए – वस्‍तुनिष्‍ठ
  • उपचारात्‍मक शिक्षण की सफलता निर्भर करती है – समस्‍याओंके कारणों की सही पहचान
  • सृजनात्‍मकता का विकास करने में कौन सा सहायक नहीं है – प्रश्‍नों के उत्‍तर लिखना।
  • मूल्‍यांकन का अर्थ है – निर्णय करना।
  • मूल्‍यांकन का उद्देश्‍य है – अधिगम की कठिनाईयों व समस्‍या वाले क्षेत्रों का पता लगाना।
  • वे प्रश्‍न जिनके उत्‍तर हेतु हाँ / नहीं में से एक का चयन करना हो, उन्हे वर्गीकृत किया जा सकता है – वस्‍तुनिष्‍ठ
  • वस्‍तुनिष्‍ठ प्रश्‍न की सबसे बड़ी विशेषता है – उसका एक ही उत्‍तर होता है।
  • योगात्‍मक मूल्‍यांकन का उद्देश्‍य है – समय विशेष एवं विभिन्‍न कार्यों पर एक विद्यार्थी ने कितना अच्‍छा निष्‍पादन किया है, का पता लगाना।

बाल विकास एवं शिक्षाशास्त्र व से संबंधित सभी Notes व PDF यहां से Download करें

  • निर्माणात्‍मक मूल्‍यांकन का उद्देश्‍य है – प्रगति पर गौर करना एवं उपचारात्‍मक अनुदेशन की योजना
  • एक विशिष्‍ट अधिगम अनुभव प्रदान करने के पश्‍चात् अधिगम किस स्‍तर तक हुआ है, यह मापने हेतु निम्‍न में से कौन सा परीक्षण उपर्युक्‍त है – उपलब्धि परीक्षण
  • उत्‍तम परीक्षा के मुख्‍य गुण है – वैधता, वस्‍तुनिष्‍ठता, विश्‍वसनीयता
  • दो व्‍यक्तियों के मध्‍य होने वाली प्रतिक्रिया जो व्‍यक्ति के मानसिक स्‍वास्‍थ्‍य में सुधार लाती है, वह कहलाती है – परामर्श
  • निदान का अर्थ – अधिगम संबंधी कठिनाईयों और कमियों के स्‍वरूप का निर्धारण। यह कथन है – ब्राउन
  • उपलब्धि निर्भर करती है – योग्‍यता एवं प्रेरणा दोनों पर
  • उपलब्धि परीक्षणोंका प्रमुख उपयोग होता है – अधिगम उत्‍पाद जाँच, शैक्षणिक मार्गदर्शन, उपचारात्‍मक शिक्षण
  • उपलब्धि परीक्षण भाग है – मनोविज्ञान
  • निम्‍न में से कौन सा बच्‍चों हेतु वेश्‍लर बुद्धि मापनी की एक निष्‍पादन मापनी है – चित्र पूर्ति
  • सतत् और व्‍यापक मूल्‍यांकन ………. पर बल देता है – सीखने को किस प्रकार अवलोकित, रिकॉर्ड और सुधारा जाए इस पर।
  • उप‍लब्धि परीक्षणों का प्रमुखउपयोग होना चाहिए – छात्रों के मूल्‍यांकन में
  • मानकीकृत परीक्षण का अर्थ है – विश्‍वसनीयता, वैधता, मानक
  • निम्‍न में से शैक्षिक मनोविज्ञान का क्षेत्र नहीं है – खेलों का प्रशिक्षण
  • निम्नलिखित में से किस प्रकार के प्रश्‍नों को मूल्‍यांकन करते समय वस्‍तुनिष्‍ठता बनाया रखना कठिन है – निबंधात्‍मक प्रश्‍न
  • निर्देशन एवं अधिगम के बीच समानता है – दोनों छात्र केन्द्रित है।
  • अनुदेशन का प्रणाली उपागम है – समस्‍या केन्द्रित
  • निर्देशन दिया जाना चाहिए – आजीवन
  • निम्‍नलिखित में से किस अनुदेशन सामग्री की अधिकता होती है – संसाधन इकाई
  • विद्या‍र्थी और शिक्षक के बीच की एक संवादात्‍मक प्रक्रिया जो उनके सीखने के वातावरण में बदलाव लाती है, वह है – मूल्‍यांकन एवं आकलन
  • अधिगम में आकलन किसलिए आवश्‍यक होता है – प्रेरणा के लिए
  • अधिगम का शिक्षा में योगदान है – व्‍यवहार परिवर्तन में, नवीन अनुभव प्राप्‍त करने में, समायोजन में
  • विद्यार्थियों की उपलब्धि का मूल्‍यांकन करने के लिए शालाओं में उपयोग में आने वाली विधियाँ हैं – परिमाणात्‍मक एवं गुणात्‍मक विधि
  • कक्षा-परीक्षणों में अच्‍छा प्रदर्शन करने में एक बच्‍चे की असफलता हमें इस विश्‍वास की तरफ ले जाती है, कि – पाठ्यक्रम, शिक्षण-पद्धति तथा आकलन प्रक्रियाओं पर विचार करने की आवश्‍यकता है।
  • एक उच्‍च प्राथमिक विद्यालय के संरचनात्‍मक कक्षा-कक्ष में अपने स्‍वयं के आकलन में विद्यार्थियों की भूमिका में निम्‍न में से क्‍या देखा जाएगा – विद्यार्थी अध्‍यापक के साथ आकलन के लिए योजना बनाएँगे।
  • सतत् एवं व्‍यापक मूल्‍यांकन किसलिए आवश्‍यक है – यह समढने के लिए कि अधिगम का किस प्रकार अवलोकन किया जाता है, दर्ज किया जाता है व सुधार किया जा सकता है।
  • क्रियात्‍मक अनुसंधान किया जाता है – अध्‍यापक द्वारा
  • शिक्षा के क्षेत्र में क्रियात्‍मक अनुसंधान को व्‍यवहारिक बनाने का श्रेय है – स्‍टीफेनएम. कोरे
  • क्रियात्‍मक अनुसंधान किस मनोविज्ञान की उपज है – सामाजिक मनोविज्ञान
  • ‘भारत के भाग्‍य का निर्माण उसकी कक्षा-कक्ष में हो रहा है।’ कथन है – कोठारी आयोग
  • क्रियात्‍मक अनुसंधान के प्रवर्तक हैं – स्‍टीफन एम. कोरे
  • क्रियात्‍मक अनुसंधान मूल्‍यांकन है – आन्‍तरिक मूल्‍यांकन
  • क्रियात्‍मक अनुसंधान किया जाता है – शिक्षण कार्य करते समय
  • ”शिक्षा में क्रियात्‍मक अनुसंधान, कार्यकर्त्‍ताओं द्वारा किया जाने वाला अनुसंधान है ताकि वे अपने कार्यो में सुधार कर सकें।” यह कथन किसका है – कोरे
  • अनुसंधान में चिंतन प्रक्रिया होती है – परावर्तित चिंतन, वैज्ञानिक चिंतन, विकेन्‍द्रीय चिंतन
  • क्रियात्‍मक अनुसंधान उपयोगी है – अध्‍यापकों व प्रधानाध्‍यापकों में वैज्ञानिक दृष्टिकोण के विकास में, विद्यालय कार्यविधि में सुधार के लिए, छात्रों की अध्‍ययन सम्‍बन्‍धी समस्‍याओं को हल करने में।
  • क्रियात्‍मक अनुसंधान के महत्‍व के बारे में निम्‍न में से कौन सा कथन सही नहीं है – समस्‍याओं का हल अभ्‍यास में ले आया जाता है और उसका मूल्‍यांकन नहीं किया जाता है।
  • अनुसंधान जो सामाजिक समस्‍या से संबंधित होता है तथा विद्यालय की जनशक्ति के द्वारा विद्यालय में क्रियाकलापों के सुधार हेतु संचालित किया जाता है, कहलाता है – क्रियात्‍मक अनुसंधान
  • क्रियात्‍मक अनुसंधान मौलिक अनुसंधान से भिन्‍न है, क्‍योंकि यह – अध्‍यापकों, शैक्षिक प्रबंधनों एवं प्रशासकों द्वारा किया जाता है।
  • क्रियात्‍मक अनुसंधान में – क्रियात्‍मक उपकल्‍पनाओं, का निर्माण समस्‍याओं के कारणों पर आधारित है।
  • निम्‍न में से कौन सा शोध का चरण शोध को क्रियात्‍मक अनुसंधान बनाता है – प्रोग्राम का कियान्‍वयन एवं अंतिम मूल्‍यांकन

अगला पार्ट पढने के लिये यहां Click करें 

Click Here to Subscribe Our Youtube Channel

और भी पढें – 

दोस्तो आप मुझे ( नितिन गुप्ता ) को Facebook पर Follow कर सकते है ! दोस्तो अगर आपको यह पोस्ट अच्छी लगी हो तो इस Facebook पर Share अवश्य करें ! क्रपया कमेंट के माध्यम से बताऐं के ये पोस्ट आपको कैसी लगी आपके सुझावों का भी स्वागत रहेगा Thanks!

दोस्तो कोचिंग संस्थान के बिना अपने दम पर Self Studies करें और महत्वपूर्ण पुस्तको का अध्ययन करें , हम आपको Civil Services के लिये महत्वपूर्ण पुस्तकों की सुची उपलब्ध करा रहे है –

Download Our App

UPSC/IAS व अन्य State PSC की परीक्षाओं हेतु Toppers द्वारा सुझाई गई महत्वपूर्ण पुस्तकों की सूची

Top Motivational Books In Hindi – जो आपकी जिंदगी बदल देंगी

सभी GK Tricks यहां पढें

TAG – Child Development and Pedagogy in Hindi , Education Psychology , बाल विकास एवं शिक्षाशास्त्र , CTET , Pedagogy For Vyapam Samvida Teacher , HTET , REET , Bal Vikas Shiksha Shastra Notes , Bal Vikas Question Answer in Hindi PDF , Introduction to Child Development , Learning , Child Development Notes for CTET , Child Development Notes for VYAPAM , Child Development and Pedagogy Notes for MP Samvida Shikshak , Child Development and Pedagogy Notes in Hindi for UPTET Notes , Child Development and Pedagogy PDF in Hindi , PDF Notes For MP Samvida Shikshak

WhatsApp Group Join Now
Telegram Group Join Now
Instagram Group Join Now

About the author

Nitin Gupta

GK Trick by Nitin Gupta पर आपका स्वागत है !! अपने बारे में लिखना सबसे मुश्किल काम है ! में इस विश्व के जीवन मंच पर एक अदना सा और संवेदनशीलकिरदार हूँ जो अपनी भूमिका न्यायपूर्वक और मन लगाकर निभाने का प्रयत्न कर रहा हूं !! आप मुझे GKTrickbyNitinGupta का Founder कह सकते है !
मेरा उद्देश्य हिन्दी माध्यम में प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी करने बाले प्रतिभागियों का सहयोग करना है !! आप सभी लोगों का स्नेह प्राप्त करना तथा अपने अर्जित अनुभवों तथा ज्ञान को वितरित करके आप लोगों की सेवा करना ही मेरी उत्कट अभिलाषा है !!

2 Comments

Leave a Comment

GK Tricks By Nitin Gupta Course