नमस्कार दोस्तो , कैसे हैं आप सब ? I Hope सभी की Study अच्छी चल रही होगी
दोस्तो जैसा कि आप सभी जानते हैं कि पर्यावरण आजकल प्रत्येक Competitive Exams में बहुर ज्यादा पुंछा जाने लगा है , तो इसी को ध्यान में रखते हुये आज से हम अपनी बेबसाइट पर पर्यावरण अध्ययन ( Environmental studies ) के One Liner Question and Answer के पार्ट उपलब्ध कराऐंगे , जो आपको सभी तरह के Exam जैसे CTET , MP Samvida Teacher , MPPSC आदि व अन्य सभी Exams जिनमें कि पर्यावरण अध्ययन ( Environmental studies ) आता है उसमें काम आयेगी !
आज की हमारी पोस्ट पर्यावरण अध्ययन ( Environmental studies ) का 6th पार्ट है जिसमें कि हम वन एवं वन्य जीव ( Forests and Wildlife ) से संबंधित Most Important Question and Answer को बताऐंगे ! तो चलिये दोस्तो शुरु करते हैं
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वन एवं वन्य जीव ( Forests and Wildlife )
- चमोली के रैणी गांव में वन-कटाई के विरोध में आंदोलन चलाया गया – गौरा देवी के नेतृत्व में
- जिस पारिस्थितिकीय तंत्र में पौधों का जैविक पदार्थ अधिकतम है, वह है – उष्ण्ाकिटबंधीय वर्षा वन
- अधिकतम पादप विविधता पाई जाती है – उष्णकटिबंधीय सदाबहार वनों में
- यदि हम घडि़याल को उनके प्राकृतिक आवास में देखनाचाहते हैं, तो जिस स्थान पर जाना सही होगा, वह है – चंबल नदी
- भारत में यदि कछुए की एक जाति का वन्य जीव (संरक्षण) अधिनियम, 1972 की अनुसूची । के अंतर्गत संरक्षित घोषित किया गया हो तो इसका निहितार्थ है कि – इसे संरक्षण का वही स्तर प्राप्त है, जैसा कि बाघ को
- वन्य जीव सुरक्षा अधिनियम, 1972 के अनुसार किसी व्यक्ति द्वारा, विधि द्वारा किए गए कतिपय उपबंधों के अधीन होने के सिवायजिस प्राणी का शिकार नहीं किया जा सकता, वह है – घडि़याल, भारतीय जंगली गधा एवं जंगली भैंस
- जलवायु के प्रमुख घटक जो झारखंड राज्य के वन के क्षेत्र की जलवायु को प्रभावित कर रहे हैं – जंगल की आग
- झारखंड राज्य में जंगलों को ‘सुरक्षित वन’ के रूप में वर्गीकृत करने का उद्देश्य है – बिना अनुमति सभी गतिविधियों पर प्रतिबंध
- भारत का वह राज्य जहां सर्वप्रथम ‘मुख्यमंत्रीजन वन योजना’ का प्रारंभी किया गया – झारखंड
- सदाबहार वन पाए जाते हैं – पश्चिमी घाट में
- उत्तर-पूर्व भारत और अंडमान एवं निकोबार द्वीप समूह के 200 सेमी से अधिक औसत वार्षिक वर्षा वाले क्षेत्रों में पाया जाता है – उष्णकटिबंधीय सदाबहार वनों का विस्तार
- विषुवतीय-वनों की अद्वितीय विशेषता/विशेषताएं हैं – ऊँचे, घने वृक्षों की विद्यमानता जिनके कीरीट निरंतर वितान बनाते हों, बहुत-सी जातियों का सह-अस्तित्व हो, आधिपादपों की असंख्य किस्मों की विद्यमानता हो।
- विषुवतीय वन ऐसे उष्ण कटिबंध क्षेत्रों में मिलते हैं, जहां वर्षा होती है – 200 सेंमी से अधिक
- विश्व भर की लगभग 80 प्रतिशत जैव-विविधता पाई जाती है – विषुवतीय वनों में
- भारत में उपयुक्त पारिस्थितक संतुलन बनाए रखने के लिए वनाच्छादन हेतु न्यूनतम संस्तुत भूमि क्षेत्र है – 33%
- राष्ट्रीय वन नीति में भारत के कुल भौगोलिक क्षेत्र के जितने प्रशित पर वन रखने का लक्ष्य है, वह है – एक तिहाई
- राष्ट्रीय वन नीति (1952) के अनुसार, जो वन का संवर्ग नहीं है – राष्ट्रीय उद्यान
- वनों को वर्गीकृत किया गया है – (i) संरक्षित वन (ii) राष्ट्रीय वन (iii) ग्राम वन एवं (iv) वृक्ष-भूमि (Tree-Lands) – राष्ट्रीय वन नीति (1952) के अनुसार
- देहरादून स्थित भारतीय वन सर्वेक्षण विभाग उपग्रह चित्रण के माध्यम से ‘वन स्थिति रिपोर्ट’ (The State of Forest Report) जारी करता है – प्रत्येक दो वर्ष पर
- भारत में निर्वनीकरण का प्रभाव नहीं है – नगरीकरण
- जो एक बार उपयोग होने के बाद पुन: उपयोग में लाए जा सकते हैं – नवीकरणीय संसाधन
- वनों से पर्यावरण की गुणवत्ता बढ़ती है, क्योंकि वन पर्यावरण से कार्बन डायऑक्साइड का अवशोषण कर मुक्त करते हैं – ऑक्सीजन
- विकास के चरण के आधार प प्राकृतिक संसाधनों को निम्न समूहों में विभाजित किया जा सकता है – संभाव्य संसाधन, वास्तविक संसाधन, आरक्षित संसाधन, स्टॉक संसाधन
- जो एक क्षेत्र में स्थित हैं तथा भविष्य में भी प्रयोग में लाए जा सकते हैं – संभाव्य संसाधन
- जिनका सर्वेक्षण किया गया है तथा उनकी मात्रा एवं गुणवत्ता का पता लगाया गया है और जिनका वर्तमान समय में प्रयोग किया जा रहा है – वास्तविक संसाधन
- राष्ट्रीय सुदूर संवेदन अभिकरण (NRSA) प्रणाली से चित्रित वह भू क्षेत्र, जो वास्तव में वनाच्छादित होता है, कहलाता है – वनावरण
- मैंग्रोव वनस्पतियों का विकास अधिकांशत: होता है – तटों के सहारे
- भारत में मैंग्रोव (ज्वारीय वन) वनस्पति मुख्यत: पाई जाती है – सुंदरबन में
- ये डेल्टा प्रदेशों तथा समुद्र के ज्वार वाले भागों में होते हैं तथा इन्हें मैंग्रोव वनस्पति के नाम से भी जाना जाता है – ज्वारीय वन
- मैंग्रोव वनस्पति का सर्वाधिक क्षेत्र सुंदरबन डेल्टा में पाया जाता है। यहांके वनों में विशेष रूप से उल्लेखनीय है – सुंदरी वृक्ष
- एक संरक्षित कच्छ-वनस्पति क्षेत्र है – गोवा
- भारत में मैंग्रोव वन, सदापर्णी वन और पर्णपाती वनों का संयोजन है – अंडमान और निकाबार द्वीपसमूह में
- नागालैंड के पर्वत क्रमश: बंजर होते जा रहे हैं, उसका प्रमुख कारण है – झूम कृषि
- वह राज्य जिसके द्वारा ‘अपना वन अपना धन’ योजना प्रारंभ की गई है – हिमाचल प्रदेश
- भारत में वन्य जीव संरक्षण अधिनियम लागू किया गया था – वर्ष 1972 में
- वन्य जीवों की तस्करी, अवैध शिकार से रक्षा एवं संरक्षण के लिए भारत सरकार द्वारा पारित किया गया था – वन्यजीव (संरक्षण) अधिनियम, 1972
- भारत में वन संरक्षण अधिनियम कब पारित किया गया – वर्ष 1980 में
- भारत में वन (संरक्षण) अधिनियम 1980 लागू होने की तिथि है – 25 अक्टूबर, 1980
- भारतीय वन्य जीव संस्थ्ज्ञान स्थित है – देहरादून में
- वन अनुसंधान संस्थान स्थापित है – देहरादून में
- वन अनुसंधान संस्थान की स्थापना उत्तराखंड के देहरादून जिले में की गई थी – वर्ष 1906 में
- पर्यावरण से संबंधित है – विज्ञान और पर्यावरण केंद्र, भारतीय वनस्पति सर्वेक्षण संस्थान, भारतीय वन्यजीव संस्थान
- विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग के अधीन राष्ट्रीय सर्वेक्षण और मानचित्रण के लिए भारत सरकार का एक प्राचीनतम विभाग है – भारतीय सर्वेक्षण विभाग
- जे.आर.बी. अल्फ्रेड (J.R.B.Alfred) की पुस्तक फॉनल डाइवर्सिटी इन इंडिया (Faunal Diversity in India) के अनुसार विश्व के कुल जंतु प्रजातियों (Animal Species) की संख्या का भारत में पाया जाता है – 28% भाग
- भारत की सबसे बड़ी मछली है – व्हेल शार्क
- यह भारत की ही नहीं पूरे विश्व की सबसे बड़ी मछली है तथा यह 50 फुट तक लंबी हो सकती है – व्हेल शार्क
- वर्ल्ड वाइल्डलाईफ फंड (WWF) का प्रतीक जानवर है – जाइन्ट पाण्डा
- इसका वैज्ञानिक नाम ‘Ailuropoda melanoleuca’ है। इसका निवास स्थान मुख्यत: शीतोष्ण चौड़ी पत्ती वाले और मिश्रित वनों में मिलता है – जाइन्ट पाण्डा (Giant Panda)
- गैवियलिस (घडि़याल) बहुतायत में पाया जाता है – गंगा में
- घडि़याल (Gavialis) एक प्रजाति है – मगरमच्छ (Crocodilia) कुल की
- भारत में पाए जोन वाला मगरमच्छ तथा हाथी हैं – संकटापन्न जातियां
- ‘चिपको’ आंदोलन मूल रूप से विरुद्ध था – वन कटाई के
- चिपको आंदोलन का नेता माना जाता है – सुंदरलाल बहुगुणा को
- देश भर में वनों के विनाश के विरुद्ध हुए संगठित प्रतिरोध को चिपको आंदोलन का नाम दिया गया था – 1970 के दशक में
- ‘चिपको’ आंदोलन के प्रणेता हैं – चंडीप्रसाद भट्ट
- भारत में वन्य जीव सप्ताह मनाया जाता है – 2 से 8 अक्टूबर के मध्य
- विश्व संयुक्त राष्ट्र महासभा के 68वें वार्षिक सत्र के दौरान प्रतिवर्ष ‘विश्व वन्य जीव दिवस’ (World Wildlife Day) के रूप में मनाने का निर्णय लिया गया – 3 मार्च को
- पगमार्क तकनीक का प्रयोग किया जाता है – विभिन्न वन्य जन्तुओं की जनसंख्या के आंकलन के लिए
- वन ह्रास का मुख्य कारण है – औद्योगिक विकास
- राजीव गांधी वन्य जीव संरक्षण पुरस्कार दिया जाता है – शैक्षिक तथा शोध संस्थाओं, वन एवं वन्य जीव अधिकारियों तथा वन्य जीव संरक्षकों को
- ‘नेशनल ब्यूरो ऑफ प्लांट जेनेटिक रिसोर्सेस’ स्थित है – नई दिल्ली में
- पेड़-पौधों एवं जंतुओं की सर्वाधिक विविधता विशेषता है – ऊष्णकटिबंधीय आर्द्र पर्णपाती वन
- उष्ण कटिबंधीय आर्द्र पर्णपाती वन ऐसे क्षेत्रों में पाए जाते हैं, जहां वर्षा होती है – 100 सेमी से 200 सेमी के मध्य
- बांस, शीशम, चंदन इत्यादित अन्य व्यावसायिक रूप से महत्वपूर्ण वृक्षप्रजातियां पाई जाती है – उष्णकटिबंधीय आर्द्र पर्णपाती वन में
- ये चौड़ी पत्तियों वाले नमी-युक्त वन हैं, जो दक्षिण अमेंरिका के अमेजन बेसिन के एक बड़े भू-भाग पर फैले हैं – अमेज़न वर्षा वन
- अमेजन वर्षा वन ‘पृथ्वी ग्रह के फेफड़ों’ के रूप में जाना जाता है क्योंकि इनकी वनस्पति लगातार कार्बन डाइऑक्साइडको अवशोषित कर मुक्त करती रहती है – आक्सीजन को
- पृथ्वी की 20 प्रतिशत से अधिक ऑक्सीजन उत्पादित होती है – अमेजन वर्षा वनों द्वारा
- वह महाद्वीप जिसमें उष्णकटिबंधीय पर्णपाती वनों का विस्तार अधिक है – एशिया
- मानसूनी वन कहते हैं –उष्टकटिबंधीय पर्णपाती वनों को
- समाचारों में कभी-कभी दिखाई देने वाले’रेड सैंडर्स’ (Red Sanders) – दक्षिण भारत के एक भाग में पाई जाने वाली एक वृक्ष जाति है।
- इसका वैज्ञानिक नाम टेरोकार्पस सेंटेलिनस (Pterocarpus santalinus) है। यह पेड़ आंध्रप्रदेश के पालकोंडा व सेशाचलम पर्वत श्रेणियों में मुख्यतया पाया जाता है। इसकी लकड़ी सफेद होती है जो कालांतर में लाल रंग के चिपचिपे रस के स्राव के कारण लाल हो जाती है – रेड सैंडर्स (रक्त चंदन)
- आयुर्वेद व सिद्धा दवाइयों को बनाने में, पूजा सामग्री में एवं पारंपरिक खिलौनों को बनाने में किया जाता है – रेड सैंडर्स का प्रयोग
- राष्ट्रीय वन नीति के मुख्य उद्देश्य क्या थे – सामाजिक वानिकीको प्रोत्साहन देना, देश की कुल भूमि का एक-तिहाई वनाच्छादित करना
- मरुस्थलीकरण को रोकने के लिए संयुक्त राष्ट्र अभिसमय (United Nations Convention to Combat Desertification) का/के क्या महत्व है/हैं – इसका उद्देश्य नवप्रवर्तनकारी राष्ट्रीय कार्यक्रमोंएवं समर्थक अंतरराष्ट्रीय भागीदारियों के माध्यम से प्रभावकारी कार्यवाही को प्रोत्साहित करनाहै,यह मरुस्थलीकरण को रोकने में स्थानीय लोगों की भागीदारी को प्रोत्साहित करने हेतु ऊर्ध्वगामी उपागम (बॉटम-अप अप्रोच) के लिए प्रतिबद्ध है।
- मरुस्थलीकरण को रोकने के लिए संयुक्त राष्ट्र अभिसमय (United Nations Convention to Combat Desertification) की स्थापना की गई थी – वर्ष 1994 में
- यह अकेला काूनन बाध्यकारी समझौता है, जो संयुक्त रूप से पेश करता है – पर्यावरण एवं विकास तथा टिकाऊ भूमि प्रबंधन को
- भारत में जो नगर वृक्षारोपण में विशिष्टता रखता है – वालपराई
- वालपराई नगर स्थित है – कोयंबटूर जिले में
- चीन, भारत, इंडोनेशिय तथा जापान में से जिसके भौगोलिक क्षेत्र का उच्चतम प्रतिशत वनाच्छादित है – जापान का
- कुल भौगोलिक क्षेत्रफल के 70% भाग पर वन बनाए रखने का संवैधानिक प्रावधान है – भूटान में
- एल्युमीनियम को इसके पर्यावरणीय हितैषी स्वरूप और नवीकरणीय योग्य होने के कारण कहा जाता है – हरी धातु
- पूर्वी दक्कन पठान में प्रमुखतया पाए जाते हैं – शुष्क सदाबहार वन
- ”वाणिज्यिक दृष्टि से लाभप्रद वृक्षों की एकपादप (Monoculture) कृषि …. की अनुपम प्राकृतिक छटा को नष्ट कर रही है। इमारती लकड़ी का विचारशून्य दोहन, ताड़ रोपन के लिए विशाल भूखंडोंका निर्वनीकरण,मैंग्रोवों का विनाश, आदिवासियों द्वारा लकड़ी की अवैध कटाईऔर अनाधिकार आखेट समस्या को अधिक ही जटिल बनाते हैं। अलवण जल कोटरिकाएं (Fresh water pockets) त्वरित गति से सूख रही हैं, क्योंकि निर्वनीकरण और मैंग्रोवों का विनाश हो रहा है” इस उद्धरण में निर्देशित स्थान है – सुंदरवन
- वर्ष 2004 की सुनामी ने लोगों को यह महसूस करा दिया कि गरान (मैंग्रोव) तटीय आपदाओं के विरूद्ध विश्वसनीय सुरक्षा बाड़े का कार्य कर सकते हैं। गरान सुरक्षा बाड़े के रूप में जिस प्रकार कार्य करते हैं, वह है – गरान के वृक्ष अपनी सघन जड़ों के कारण तूफान और ज्वारभाटे से नहीं उखड़ते
- चक्रवात अवरोधक के रूप में कार्य करते हैं – मैंग्रोव वन
- ओडि़शा के केंद्रपाड़ा जिले में ब्राह्मणी, वैतरणी और महानदी डेल्टा क्षेत्र में स्थित है – भितरकनिका गरान
- यह मैंग्रोव वनों के लिए प्रसिद्ध है। यह एक रामसर स्थल (वर्ष 2002 में घोषित) भी है – भितरकनिका गरान
- सही कथन हैं – टैक्सस वृक्ष हिमालय में प्राकृतिक रूप से पाया जाता है, टैक्सस वृक्ष रेड डाटा बुक में सूचीबद्ध है, टैक्सस वृक्ष से ‘टैक्सॉल‘ नाम औषध प्राप्त की जाती है, जो पार्किन्सन रोग के विरुद्ध प्रभावी है।
- सही कथन है – विश्व वन्य जीवन कोष की स्थापना 1961 में हुई, जुलाई, 2000 में उड़ीसा के नन्दन वन अभ्यारण्य में 13 शेरों की मृत्यु का कारण ट्राइपनासोमिएसिस रोग रहा, भारत का सबसे बड़ा जीवनशाला कोलकाता में अवस्थित है।
- यूकेलिप्टस वृक्ष को कहा जाता है – पारिस्थितिक आतंकवादी
- ये उष्ण कटिबंधीय जलवायु क्षेत्रों में पाए जाते हैं। ये मुख्यत: मध्य एवं दक्षिणी अमेरिका के सदाबहार वनों में पाए जाते हैं – स्पाइडर वानर
- भारतीय प्राणिजात जो संकटापन्न हैं – घडि़याल, चर्मपीठ कूर्म (लेदरबैंक टर्टल) तथा अनूप मृग
- भारत में प्राकृतिक रूप से पाए जाते हैं – ताराकुछुआ, मॉनीटर छिपकली तथा वामन सुअर
- भारत में पाई जाने वाली नस्ल ‘खाराई ऊँट’ के बारे में अनूठा क्या है –यह समुद्र-जल में तीन किमी तक तैरने में सक्षम है, यह मैंग्रोव (Mangroves) की चराई पर जीता है।
- ये ऊँट कच्छ (गुजरात) में पाए जाते हैं – खाराई ऊँट
- इन ऊँटों को संकटग्रस्त प्रजाति (Endangered Species) घोषित किया गया है – खाराई ऊँट
- ये वन जैव-विविधता के संरक्षक होने के साथ समुद्र और तट के बीच महत्वपूर्ण कड़ी का काम करते हैं और तट को समुद्र की ओर से आने वाली तीव्र लहरों के विनाश से बचाते हैं – मैंग्रोव (Mangroves)
- अमृता देवी स्मृति पुरस्कार दिया जाता है – वन एवं वन्यजीवों की सुरक्षा के लिए
- विश्व बाघ शिखर सम्मेलन, 2010 आयोजित किया गया था – पीटर्सबर्ग में
- विश्व का प्रथम बाघ शिखर सम्मेलन (Tiger Summit) सेंट पीटर्सबर्ग (रूस) में आयोजित किया गया था – 21 से 24 नवंबर, 2010 में मध्य
- नेपाल एवं भारत में वन-जीवन संरक्षण प्रयासों के रूप में ‘सेव’ (SAVE) नामक एक नया संगठन प्रारंभ किया गया है। ‘सेव’ का उद्देश्य है संरक्षण करना – टाइगर का
- टाइगर के खाल का प्रयोग आसन लगाने एवं सौन्दर्यीकरण के लिए किया जाता है – तिब्बती बौद्धों द्वारा
- यदि आप हिमलय से होकर यात्रा करते हैं, तो आपको वहां जिन पादपों को प्राकृतिक रूप में उगतेहुए दिखने की संभावना हैं – बांज और बुरूंश
- चीड़ इन वनों को मुख्य वृक्ष है परंतु अधिक आर्द्रता वाले भागों में बांज या ओक (Oak) जैसे चौड़ी पत्ती वाले वृक्ष देखे जाते हैं – उपोष्ण कटिबंधीय वन
- प्रत्येक वर्ष कतिपय विशिष्ट समुदाय/जनजाति, पारिस्थितक रूप से महत्वपूर्ण, मास-भर चलने वाले अभियान/त्यौहार के दौरान फलदार वृक्षें की पौध का रोपण करते हैं। वे समुदाय/जनजाति हैं – गोंड कौर कोर्कू
- भारत के एक विशेष क्षेत्र में, स्थ्ज्ञानीय लोग जीवित वृक्षों की जड़ों का अनुवर्धन कर इन्हें जलधारा के आर-पार सुदृढ़ पुलों में रूपांतरित कर देते हैं। जैसे-जैसे समय गुज़रता है, ये पुल और आधिक और अधिक मज़बूत होते जोते हैं। ये अनोखे ‘जीवित जड़ पुल’ पाए जाते हैं –मेघालय में
- अगर किसी पेड़ को काटे बिना उससे पुल बना दिया जाए, तो उस पुल को कहते हैं – जीवित पुल या प्राकृतिक पुल
- भारतीय पशु कल्याण बोर्ड देश में पशुओं के कल्याण को बढ़ावा देने तथा पशु कल्याण कानूनों पर है – एक ‘सांविधिक सलाहकारी निकाय'(Statutory Advisory Body)
- राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण एक ‘सांविधिक निकाय’ (Statutory Body) – पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय के अंतर्गत
- भारत की पहली राष्ट्रीय वन नीति प्रकाशित की गई – 1894 ई. में
- स्वतंत्र भारत की पहली राष्ट्रीय वन नीति तैयार हुई – वर्ष1952 में
- देश के एक-तिहाई अथवा 33.33 प्रशितश क्षेत्र में (पहाड़ी क्षेत्रों में दो-तिहाई अथवा 66.67 प्रतिशत क्षेत्र में) वन अथवा वृक्षावरण होने आवश्यक हैं – राष्ट्रीय वन नीति, 1988 के अनुसार
- जिनका वृक्ष छत्र घनत्व 40-70 प्रतिशत के बीच होता है – मध्यम सघन वन
- जिनका वृक्ष छत्र घनत्व 10-40 प्रतिशत के मध्य होता है – खुले वन
- 10 प्रतिशत से कम वृक्ष घनत्व वालीनिम्नस्तरीय वन भूमि को वनावरण में शामिल नहींकिया जाता तथा इन्हें रखते हैं। – झाड़ी (Scrub) की श्रेणी में
- ISFR-2017 के अनुसार, देश में झाडि़यों का क्षेत्रफल 45.79 वर्ग किमी है, जो कुल भौगोलिक क्षेत्र का है –40 प्रतिशत
- ISFR-2017 के अनुसार, देश में कुल वनावरण एवं वृक्षावरण देश के कुल भौगोलिक द्वात्र का है –40 प्रतिशत
- सर्वाधिक वनावरण प्रतिशतता वाला राज्य/संघीय क्षेत्र – लक्षद्वीप
- सर्वाधिक वनावरण प्रतिशतता वाला राज्य – मिजोरम
- कुल वृक्षावरण एवं वनावरण क्षेत्र की दृष्टि से सर्वाधिक क्षेत्रफल वाले 5 राज्य – मध्यप्रदेश > अरुणाचल प्रदेश > महाराष्ट्र > छत्तीसगढ़ > ओडिशा
- इसी दृष्टि से भौगोलिकक्षेत्र के सर्वाधिक प्रतिशत वाले 4 राज्य/संघ्ज्ञीय क्षेत्र – लक्षद्वीप > मिजोरम > अंडमान एवं निकाबार > अरुणाचल प्रदेश
- ISFR-2017 के अनुसार, क्षेत्रफल की दृष्टि से सर्वाधिक वनावरण वाले 5 राज्य क्रमश: – मध्यप्रदेश, अरुणाचल प्रदेश, छत्तीसगढ़, ओडिशा एवं महाराष्ट्र
- क्षेत्रफल की दृष्टि से सर्वाधिकवनावरण वाले 5 संघीय क्षेत्र क्रमश: – अंडमान एवं निकोबार, दादरा व नगर हवेली, दिल्ली, पुंडुचेरी तथा लक्षद्वीप
- सर्वाधिक वनावरण प्रतिशतता वाले 5 राज्य/संघ्ज्ञीय क्षेत्र क्रमश: – लक्षद्वीप (90.33%), मिजोरम (86.27%), अंडमान एवं निकोबार द्वीपसमूह (81.73%), अरुणाचलप्रदेश (79.96%), तथा मणिपुर (77.69%)
- सर्वाधिक वनावरण प्रतिशतता वाले भारत के 5 राज्य क्रमश: –मिजोरम, अरुणाचल प्रदेश, मणिपुर, मेघालय तथा नागालैंड
- न्यूनतम वनावरण क्षेत्र वाले 5 राज्य क्रमश: हैं – हरियाणा, पंजाब, गोवा, सिक्किम एवं बिहार
- न्यूनतम वनावरण प्रतिशतता वाले भारत के 5 राज्य क्रमश: – हरियाणा, पंजाब, राजस्थान, उत्तरप्रदेश, गुजरात
- सर्वाधिक वनावरण प्रतिशतता वाले भारत के 4 संघीय क्षेत्र है क्रमश: – लक्षद्वीप, अंडमान एवं निकोबार, दादरा एवं नगर हवेली तथा चंडीगढ़
- वृक्षावरण की दृष्टि से ISFR-2017 में सर्वाधिक क्षेत्रफल वाले 5 राज्य क्रमश: – महाराष्ट्र, राजस्थान, मध्यप्रदेश, गुजरात तथा जम्मू एवं कश्मीर
- न्यूनतम क्षेत्रफल वाले 5 राज्य क्रमश: – सिक्किम, त्रिपुरा, मणिपुर, गोवा एवं नागालैंड
- भौगोलिक क्षेत्र के प्रतिशत के रूप में सर्वाधिक वृक्षावरण वाले 5 राज्य क्रमश: – गोवा, केरल, गुजरात, झारखंड तथा तमिलनाडु
- कुल वृक्षावरण एवं वनावरण क्षेत्र की दृष्टि से सर्वाधिक क्षेत्रफल वाले 5 राज्य क्रमश: – मध्यप्रदेश, अरुणाचल प्रदेश, महाराष्ट्र, छत्तीसगढ़ एवं ओडिशा
- भौगोलिक क्षेत्र के प्रतिशत वाले 4 राज्य/संघीय क्षेत्र क्रमश: – लक्षद्वीप (97.00%), मिजोरम (88.49%), अंडमान एवं निकोबार (82.15%), तथा अरुणाचल प्रदेश (80.92%)
- ISFR-2017 के अनुसार, देश के पहाड़ी जिलों में कुल वनावरण 283,462 वर्ग किमी है, जो कि इन जिलों के भौगोलिक क्षेत्रफल का –22%
- ISFR-2017 के अनुसार, देश के 14 भू-आकृतिक क्षेत्रों (Physiographic Zones) में क्षेत्रफल की दृष्टि से सर्वाधिक वृक्षावरण है –मध्य उच्च भूमियों का
- लवण सहिष्णु वनस्पति समुदाय जो विश्व के ऐसे उष्णकटिबंधीय एवं उपोष्ण कटिबंधीय अंत:ज्वारीय (Intertidal) क्षेत्रों में पाए जाते हैं, जहां वर्षा का स्तर 1000-3000 मिमी के मध्य एवं ताप का स्तर 26-350C के मध्य हो – मैंग्रोव (Mangrove)
- ISFR-2017 के अनुसार, भारत में मैंग्रोव आवरण विश्व की संपूर्ण मैंग्रोव वनस्पति का है – लगभग 3.3 प्रतिशत
- भारत में सर्वाधिक मैंग्रोव आच्छादित चार राज्य/संघ्ज्ञीय क्षेत्र क्रमश: – पश्चिम बंगाल (2114 वर्ग किमी), गुजरात (1140 वर्ग किमी), अंडमान एवं निकाबार द्वीपसमूह (617 वर्ग किमी) तथा आंध्रप्रदेश (404 वर्ग किमी)
- चार सर्वाधिक मैंग्रोव आच्छादित जिले क्रमश: – दक्षिण चौबीस परगना-प. बंगाल (2084 वर्ग किमी), कच्छ-गुजरात (798 वर्ग किमी), उत्तरी अंडमान-अंडमान एवं निकोबार द्वीपसमूह (425 वर्ग किमी) तथा केंद्रपाड़ा-ओडि़शा (197 वर्ग किमी) हैं।
- विश्व में मैंग्रोव का सर्वाधिक क्षेत्र – एशिया में
- उत्तर प्रदेश में सर्वाधिक वनावरण क्षेत्र वाले जिले – सोनभग्र, खीरी, मिर्जापुर
- उत्तर प्रदेश में न्यूनतम वनावरण क्षेत्र वालेजिले – संत रविदास नगर, मऊ, संत कबीर नगर एवं मैनपुरी
- उत्तर प्रदेश में सर्वाधिक वनावरण प्रतिशत वाले जिले – सोनभद्र, चंदौली, पीलीभीत
- उत्तर प्रदेश में न्यूनतम वनावरण प्रतिशत वाले जिले – संत रविदास नगर, मैनपुरी, देवरिया
- उत्तर प्रदेश में कुल वनावरण 14.679 वर्ग किमी हैं, जो राज्य के कुल भौगोलिक क्षेत्र का है –09 प्रतिशत
- उत्तर प्रदेश में कुल वृक्षवरण 7.442 वर्ग किमी है, जो राज्य के कुल भौगोलिक क्षेत्र का है –09 प्रतिशत
- राज्य में कुल वनावरण एवं वृक्षावरण 22.121 वर्ग किमी है, जो कि राज्य के कुल भौगोलिक क्षेत्र का है –18 प्रतिशत
- वन क्षेत्र के संदर्भ में शीर्ष 3 देश – रूसी संघ, ब्राजील, कनाडा
- सर्वाधिक मैंग्रोव आच्छादित राज्य/संघीय क्षेत्र – पश्चिम बंगाल
- ‘वैश्विक वन संसाधन आकलन’ (GFRA: Global Forest Resources Assessments) के तहत विश्व के वनों एवं उनके प्रबंधन की नियमित निगरानी करता है – संयुक्त राष्ट्र का खाद्य एवं कृषि संगठन (FAO)
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