Child Development and Pedagogy CTET

बाल विकास एवं शिक्षाशास्त्र ( Child Development and Pedagogy ) Part – 11 – पिछली परीक्षाओं में पूंछे गये महत्वपूर्ण Question and Answer

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Written by Nitin Gupta

नमस्कार दोस्तो , कैसे हैं आप ? I Hope आप सभी की पढाई अच्छी चल रही होगी 🙂

दोस्तो आज की हमारी पोस्ट बाल विकास एवं शिक्षाशास्त्र से संबंधित उन प्रश्नों के बारे में है जिनको पिछ्ले Teaching के Exam जैसे CTET , UPTET , MP Samvida Teacher , HTET , REET आदि में कहीं न कहीं पूंछा गया है ! और आंगे आने बाले सभी तरह के Exams , जिनमें कि Child Development and Pedagogy से संबंधित प्रश्न पूंछे जाने हैं उनमें द्वारा पूंछे जाने कि पूरी पूरी संभाबना है तो आप सभी इन प्रश्नों को अच्छे से याद कर लीजिये 🙂

Child Development and Pedagogy के पिछ्ले Year के Question से संबंधित यह हमारा 11th पार्ट है व इसके अन्य पार्ट भी हम लगातार आपको अपनी बेबसाईट पर उपलब्ध कराते रहेंगे तो आप सभी से Request है कि आप हमारी बेबसाईट को विजिट करते रहिये ! 🙂

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Child Development and Pedagogy Notes

  • पियाजे के संज्ञानात्‍मक विकास सिद्धान्‍त के अनुसार संवेदी क्रियात्‍मक अवस्‍था होती है – जन्‍म से 2 वर्ष
  • सामाजिक अधिगम आरंभ होता है – सम्‍पर्क से
  • पॉवलाव के शास्‍त्रीय अनुबंधन में – पहले ध्‍वनि, तत्‍पश्‍चात् भोजन प्रस्‍तुत किया गया।
  • बच्‍चों के संज्ञानात्‍मक विकास को सबसे अच्‍छे तरीके से कहाँ परिभाषित किया जा सकता है – विद्यालय एवं कक्षा में
  • सीखने का वह सिद्धान्‍त जो पूर्ण रूप से और केवल अवलोकनीय व्‍यवहार पर आधारित है, सीखने के …………. सिद्धान्‍त से सम्‍बद्ध है – व्‍यवहारवादी
  • बालक की सोच अमूर्तता (Abstractions) की अपेक्षा मूर्त (Concrete) से होता है, यह अवस्‍था है – 7 से 12 वर्ष
  • निम्‍नलिखित में से कौन पियाजे के अनुसार बौद्धिक का निर्धारक तत्‍व नहीं है – सामाजिक, संचरण
  • अधिगम के निम्‍न सिद्धान्‍तों में से किसमें प्रतिक्रिया होने पर पुनर्बलन देने का सुझाव दिया गया है – क्रिया-प्रसूत सिद्धान्‍त
  • क्रिया-प्रसूत अनुबंधन के सिद्धान्‍त का शिक्षकों के लिए निम्‍नलिखित में से निहितार्थ है – उचित व्‍यवहार का पुनर्बलन किया जाए
  • सक्रिय-अनुक्रिया अनुबंधन सिद्धान्‍त के अन्‍तर्गत अधिगम सम्‍बन्‍ध है – अनुक्रिया-उद्दीपक
  • अभिक्रमित अधिगम सामग्री में वैयक्तिक विभिन्‍नताओं का ध्‍यान रखा जाता है, इसकी पुष्टि इस बात से होती है कि – विद्यार्थी अपनी गति से सीख सकते हैं।
  • अधिगम का व्‍यावहारिक सिद्धान्‍त निम्‍नलिखित है – सम्‍बद्ध प्रतिक्रिया का सिद्धान्‍त, स्किनर का क्रिया प्रसूत अधिगम का सिद्धान्‍त, प्रबलन सिद्धान्‍त
  • सुल्‍तान नामक चिम्‍पैंजी पर परीक्षण करने वाले वैज्ञानिक हैं – कोहलर
  • समग्रता के सिद्धान्‍त (Gastalt Theory) के प्रवर्तक हैं – वर्दीमर व अन्‍य
  • पॉवलाव के अनुबंधन प्रयोग में भोजन के पूर्व उपस्थित ध्‍वनि को क्‍या कहते हैं – अनुबंधित उद्दीपक
  • पॉवलाव के प्रयोग में भोजन को अनुबंधन की भाषा में क्‍या कहा है – अनानुबंधित उद्दीपक
  • पठन संबंधी विकास किससे संबंधित है – डिस्‍लेक्सिया
  • एक कॉलेज जाने वाली लड़की ने फर्श पर कोर्ट फैंकने की आदत डाल ली है, लड़की की माँने उससे कहा कि कमरे से बाहर जाओ और कोर्ट को खूँटी पर टाँगों लड़की अगली बार घर में प्रवेश करती है, कोर्ट को हाथ पर रखकर अलमारी की तरु जा कर कोर्ट को खूँटी पर टाँग देती है, यह उदाहरण है – श्रृंखलागत अधिगम
  • निम्‍न में से कौन सा उदाहरण अधिगम को प्रदर्शित करता है – हाथ जोड़कर अध्‍यापक का अभिवादन करना।
  • सकारात्‍मक दण्‍ड का निम्‍नलिखित में से कौन सा उदाहरण है – मित्रों के द्वारा उपहास
  • पियाजे के अनुसार, विकास की पहली अवस्‍था (जन्‍म से 2 वर्ष की आयु) के दौरान बच्‍चा …………. सबसे बेहतर सीखता है – इन्द्रियों द्वारा
  • बच्‍चे दुनिया के बारे में अपनी समझ का सृजन करते हैं, इसका श्रेय ……….. को जाता है – पियाजे
  • ‘नवीन ज्ञान तथा नवीन प्रतिक्रियाओं का अर्जन करने की प्रक्रिया अधिगम प्रक्रिया है’ यह कथन है – बुडवर्थ का
  • अनुबंधन स्‍थापित होने के बाद यदि बार-बार मात्र अनुबंधित उद्दीपक ही उपस्थित किए जाने पर अन्‍ततोगत्‍वा अनुबंधित अनुक्रिया का बन्‍द हो जाना, कहलाता है – विलोप
  • पियाजे के अनुसार संज्ञानात्‍मक बाल विकास की कितनी अवस्‍थाएँ हैं – 5 अवस्‍थाएँ
  • पियाजे के अनुसार बच्‍चा अमूर्त स्‍तर पर चिंतन बौद्धिक क्रियाएँ और समस्‍या समाधान किस अवस्‍था में करने लगता है – औपचारिक संक्रियात्‍मक अवस्‍था (11-16 वर्ष)
  • वह अवस्‍था जब बच्‍चा तार्किक रूप से वस्‍तुओं व घटनाओं के विषयों में चिंतन प्रारंभ करता है – पूर्व संक्रियात्‍मक अवस्‍था
  • बच्‍चों के बौद्धिक विकास के चार सुस्‍पष्‍ट स्‍तरों को पहचाना गया था – पियाजे द्वारा
  • निम्‍नलिखित में से कौन सा कथन सत्‍य है – घोड़े को तालाब तक ले जाया जा सकता है, लेकिन उसको पानी पीने के लिए बाध्‍य नहीं किया जा सकता।
  • समग्रता के सिद्धान्‍त (Gestalt Theory) के प्रवर्तक हैं – वर्दीमर एवं अन्‍य
  • बालक अपने व्‍यवहार की सामाजिक स्‍वीकृति जिस अवस्‍था में चाहता है, वह अवस्‍था है – किशोरावस्‍था
  • निम्‍नलिखित में से किस कथन को ‘सीखने’ के लक्षण के रूप में नहीं माना जा सकता – व्‍यवहार की अध्‍ययन सीखना।
  • सिद्धान्‍त के रूप में रचनावाद – दुनिया के बारे में अपना दृष्टिकोण निर्मित करने में विद्यार्थी की भूमिका पर बल देता है।
  • निम्‍नलिखित में से कौन सा कथन ‘सीखने’ के बारे में सही है – सीखना उस वातावरण में प्रभावी होता है जो संवेगात्‍मक रूप से सकारात्‍मक हो और शिक्षार्थियों को संतुष्‍ट करने वाला हो।
  • पियाजे की औपचारिक संक्रियात्‍मक अवस्‍था बालक की किस आयु अवधि तक मानी जाती है – 11-15 वर्ष

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  • पियाजे के अनुसार मूर्त संक्रियात्‍मक अवस्‍था का समय काल है – 7-11 वर्ष
  • ‘सीखना व्‍यवहार में उत्‍तरोत्‍तर सामंजस्‍य की प्रक्रिया है।’ यह कथन है – स्किनर
  • बाइगोत्‍सकी बच्‍चों के सीखने में निम्‍नलिखित में से किस कारक की महत्‍वपूर्ण भूमिका पर बल देते हैं – सामाजिक
  • निम्नलिखित में से कौन सा शिक्षक से सम्‍बन्धित अधिगम को प्रभावित करने वाला कारक है – विषय वस्‍तु में प्रवीणता
  • निम्‍नलिखित में से कौन सा सीखने का क्षेत्र है – आनुभाविक
  • जब बच्‍चा कार्य करते हुए ऊबने लगता है, तो यह इस बात का संकेत है कि – संभवत: कार्य यांत्रिक रूप से बार-बार हो रहा है।
  • राजू खरगोश से डरता था। शुरू में खरगोश को राजू से काफी दूर रखा गया। आने वाले दिनों में हर रोज खरगोश और राजू के बीच की दूरीकम कर दी गई। अन्‍त में राजू की गोद में खरगोश को रखा गया और राजू खरगोश से खेलने लगा। यह प्रयोग उदाहरण है – शास्‍त्रीय अनुबंधन सिद्धान्‍त का
  • राजेश बीमारी के कारण एक महीने तक विद्यालय नहीं गया। जब विद्यालय गया तो उसे भाग के लम्‍बे सवालों को करना नहीं आया। कई बार के निराशाजनक अनुभवों में असफलता हाथ लगी। लम्‍बे भाग के सवालों को देखते ही वह चिन्तित हो जाता है। शास्‍त्रीय अनुबंधन सिद्धान्‍त के मुताबिक संवेगात्‍मक स्‍वाभाविक उत्‍तेजक है – असफलता/भग्‍नाशा
  • अधिगम का शास्‍त्रीय अनुबंधन सिद्धान्‍त से सम्‍बन्धित है – पॉवलाव
  • सीखने का ‘क्‍लासिकल कंडीशनिंग’ सिद्धान्‍त प्रतिपादित किया था – पॉवलाव
  • पॉवलाव के अधिगम का कौन सा सिद्धान्‍त प्रतिपादित किया – अनुकूलित अनुक्रिया
  • बुरी आदतों को सुधारा जा सकता है – अनुबंधन द्वारा
  • व्‍यवहार का करना- पक्ष में आता है – सीखने की गतिक क्षेत्र
  • ‘डिस्‍लेक्सिया’ मुख्‍य रूप से ………. की समस्‍या से संबंधित है – पढ़ने
  • बार-बार देाहराने से अधिगम को बढ़ावा मिलता है, किस नियम से इसकी पुष्टि होती है – अभ्‍यास का नियम
  • ‘तत्‍परता का नियम’ किसने दिया है – थार्नडाइक
  • सहयोगी अधिगम में अधिक उम्र के प्रवीण विद्यार्थी, छोटे और कम निपुण प्रतियोगियों की मदद करते हैं, इससे
  • जब पूर्व का अधिगम नई स्थितियों के सीखने का बिल्‍कुल प्रभावितनहीं करता, तो यह ……… कहलाता है – अधिगम का शुन्‍य स्‍थानान्‍तरण
  • अधिगम एवं परिपक्‍वता के संबंध में निम्‍न में से कौन सा कथन सही है – यदि मानव विकास केवल परिपक्‍वता से होता तो मनुष्‍य केवल निम्‍नतम तक ही सीमित रह जाता।
  • मनोविश्‍लेषणवादी सिद्धान्‍त के प्रवर्तक है – फ्रायड
  • उद्दीपक अनुक्रिया के मध्‍य साहचर्य स्‍थापित करने वाले प्रक्रम को कहते हैं – अधिगम
  • व्‍यवहारवादी विचारक हैं – वॉटसन
  • व्‍यवहारवाद के जन्‍मदाता है – वॉटसन
  • सीखने की प्रथम अवस्‍था में सीखने की गति होती है – धीमी
  • ”अनुभव द्वारा व्‍यवहार में परिवर्तन होना ही अधिगम है।” अधिगम की यह परिभाषा किसने दी है – गेट्स व अन्‍य
  • निम्‍न में से कौन सा कारक प्रशिक्षण (अधिगम) के हस्‍तान्‍तरण में मदद नहीं करता है – थकान/थकावट
  • अधिगमकर्ता में बढ़ते हुए क्रोध को रोकने के लिए अध्‍यापक को चाहिए – कि उसको अधिक काम दे ताकि उसको क्रोध करने का समय नहीं मिले।
  • जिस प्रक्रिया में व्‍यक्ति मानव कल्‍याण के लिए परस्‍पर निर्भर रहकर व्‍यवहार करना सीखता है, वह प्रक्रिया है – समाजीकरण
  • ”स्‍थानान्‍तरण एक परिस्थिति में अर्जित ज्ञान प्रशिक्षण और आदतों का किसी दूसरी परिस्थिति में स्‍थानान्‍तरण किये जाने की चर्चा करता है।” प्रशिक्षण (अधिगम) के स्‍थानान्‍तरण के बारे में कथन सम्‍बन्धित है – सौरेंसन
  • कबीर के दोहे याद कर लेने पर भी एक बालक की रहीम के दोहे याद करने की शक्ति में सुधार नहीं होने का निम्‍न में से प्रमुख कारण कौन सा है – शून्‍य स्‍थानान्‍तरण
  • पॉवलाव के अनुबंधन प्रयोग में केवल ध्‍वनि के उपस्थित करने पर होने वाली अनुक्रिया को कहते हैं – अनुबंधित अनुक्रिया
  • थार्नडाइक के ‘प्रभाव का नियम’ का शैक्षणिक महत्‍व नहीं है – स्‍मरण शक्ति में कमी
  • ‘सीखने के नियम’ के प्रतिपादक हैं – थार्नडाइक
  • सीखने के प्रयासएवं त्रुटि विधि का सम्‍बन्‍ध है – थार्नडाइक
  • बुडवर्थ के अनुसार सीखना है – नवीन ज्ञान प्राप्‍त करना।
  • शिक्षा शास्‍त्र (पैडागोजी) की अवधारणा निम्‍न में से किस कथन में प्रतिबिम्बित नहीं रही है – अमूर्तिकरण एवं सामान्‍यीकरण का विज्ञान
  • अधिगम से सम्‍बन्धित मनोविज्ञान की विचारधाराओं एवं उनके प्रतिपादक के जोड़े यहाँ दिए गए हैं। इंगित कीजिए कि कौन सा जोड़ा सही मिलान का है – व्‍यवहारवाद- बाटसन एवं गुथरी, फेकल्‍टी मनोविज्ञान – बुल्‍फ एवं रीड, पुनर्बलन – हल एवं स्‍कीनर
  • नीचेअधिगम के सिद्धान्‍तों और उनके प्रतिपादकों के जोड़े दिये गये हैं। इंगितकीजिए कि किस जोड़े का मिलान सही है – अन्‍त:दृष्टि सूझ का सिद्धान्‍त – वर्दीमर एवं कोहलर, उद्दीपन अनुक्रिया सिद्धान्‍त – थार्नडाइक एवं अन्‍य, पुनर्बलन सिद्धान्‍त –हल एवं स्किनर
  • पियाजे के मतानुसार बालकों में वस्‍तु स्थिरता उत्‍पन्‍न होती है – पूर्व सक्रिय अवस्‍था में
  • अधिगम को प्रभावित नहीं करने वाला कारक है – खोज
  • पियाजे का सिद्धान्‍त किसके अवलोकन पर आधारित है – अपने बालक
  • पियाजे के संज्ञानात्‍मक विकास के चरणों के अनुसार इंद्रिय गामक (संवेदी प्रेरक) अवस्‍था किसके साथ सम्‍बन्धित है – अनुकरण, स्‍मृति और मानसिक निरूपपण
  • चिंतन अनिवार्य रूप से है एक – संज्ञानात्‍मक गतिविधि
  • फ्रायड, पियाजे एवं अन्‍य मनोवैज्ञानिकों ने व्‍यक्तित्‍व विकास की विभिन्‍न अवस्‍थाओं के संदर्भ में व्‍याख्‍या की है, परन्‍तु पियाजे ने – विभिन्‍न अवस्‍थाओं को समझाने के लिए संज्ञानात्‍मक बदलाव के बारे में कहा।
  • अन्‍त:दृष्टि सिद्धान्‍त के प्रतिपादक कौन थे – कोहलर
  • ”दो बालकों में समान मानसिक योग्‍यताएँ नहीं होती हैं” उक्‍त कथन किस मनोवैज्ञानिक का है – हरलॉक
  • वाटसन द्वारा लिखित एवं वर्ष 1925 में प्रकाशित लोकप्रिय पुस्‍तक है – व्‍यवहारवाद
  • ”अधिगम, आदतें, ज्ञान एवं अभिवृत्तियों को अर्जित करना है।” उक्‍तानुसार अधिगम को किसने परिभाषित किया है – क्रो एंड क्रो ने
  • निम्‍नलिखित में से कौन-सी अवस्‍था सम्‍प्रत्‍ययों के सम्‍पूर्ण विकास की अवस्‍था है? ”पियाजे” के अनुसार निम्‍न है – अमूर्त संक्रियात्‍मक अवस्‍था

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Nitin Gupta

GK Trick by Nitin Gupta पर आपका स्वागत है !! अपने बारे में लिखना सबसे मुश्किल काम है ! में इस विश्व के जीवन मंच पर एक अदना सा और संवेदनशीलकिरदार हूँ जो अपनी भूमिका न्यायपूर्वक और मन लगाकर निभाने का प्रयत्न कर रहा हूं !! आप मुझे GKTrickbyNitinGupta का Founder कह सकते है !
मेरा उद्देश्य हिन्दी माध्यम में प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी करने बाले प्रतिभागियों का सहयोग करना है !! आप सभी लोगों का स्नेह प्राप्त करना तथा अपने अर्जित अनुभवों तथा ज्ञान को वितरित करके आप लोगों की सेवा करना ही मेरी उत्कट अभिलाषा है !!

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