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Environment Most Important Questions and Answer – Part – 5 !! For CTET UPTET MPTET and Other Exams

Paryavaran Question and Answer in Hindi
Written by Nitin Gupta

Paryavaran Question and Answer in Hindi

नमस्कार दोस्तो , कैसे हैं आप ? उम्मीद है कि आप सभी की Study बहुत अच्छी चल रही होगी !

दोस्तो आज की हमारी पोस्ट बहुत ही महत्वपूर्ण है , क्योंकि यह पोस्ट पारिस्थितिकी एवं पर्यावरण से संबंधित है ! दोस्तो जैसा कि आप सभी को मालूम ही है कि Ecology and Environment आजकल सभी तरह की Competitive Exams में बहुत ज्यादा पूंछा जाने लगा है ! प्रत्येक Exams में Ecology and Environment से बहुत Questions आजकल पूंछे जाने लगे हैं ! तो आज की हमारी पोस्ट में हमने Ecology and Environment से संबंधित वो सभी Questions को कवर करने की कोशिश की है जो परीक्षा की द्रष्टि से बहुत ही महत्वपूर्ण है और जो पिछले Year के Exams में पूछे गये हैं और बार – बार Exams में आते हैं !

दोस्तो Ecology and Environment से संबंधित हमारी पोस्ट का ये 5th पोस्ट है , ये सभी Question and Answer CTET, UPTET, MPTET and Other State TET व अन्य सभी Competitive Exams हेतु बहुत ही महत्वपूर्ण हैं !

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Paryavaran Question and Answer in Hindi

  • Environment शब्द की उत्पत्ति फ्रेंच भाषा के Environner से हुई है जिसका अर्थ है – “घिरा हुआ”
  • पारिस्थितिकी (Ecology) शब्द का सर्वप्रथम प्रयोग अर्नेस्ट हैकेल ने 1869 में किया ! पारिस्थितिकी वह विज्ञान है जिसके अंतर्गत समस्त जीवों तथा भौतिक पर्यावरण के मध्य उनके अंतर संबंधों का अध्ययन किया जाता है !
  • पारिस्थितिकी तंत्र ( Eco – System ) शब्द का सर्वप्रथम प्रयोग ए. जी. टांसले द्वारा 1935 में किया गया ! परिस्थितिकी तंत्र भौतिक तंत्रों का एक विशेष प्रकार होता है इसकी रचना जैविक तथा अजैविक संगठनों से होती है ! यह खुला तंत्र होता है !
  • सूक्ष्म जीवों को वियोजक ( Decomposers ) भी कहा जाता है , यह मृत पौधों और जंतुओं के जैविक पदार्थ को सड़ा गला कर मृदा के निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते है ! सूक्ष्मजीवों के अंतर्गत बैक्टीरिया तथा कवक को शामिल किया जाता है !Paryavaran
  • सूर्य से प्राप्त ऊर्जा पृथ्वी पर विद्युत-चुंबकीय तरंगों के रुप में प्राप्त होती है !
  • जल पृथ्वी पर प्राकृतिक रूप से पाया जाने वाला एकमात्र अकार्बनिक तरल पदार्थ है !
  • पृथ्वी पर जल की कुल मात्रा समान रहती है , जबकि यह एक रूप से दूसरे रूप में परिवर्तित होता रहता है ! यह प्रक्रिया ही जल चक्र कहलाती है !Paryavaran
  • मानव पर्यावरण संबंध के नियतिवादी ( Determinism ) उपागम के अनुसार मानव को पर्यावरण का एक तत्व माना जाता है , इसके अनुसार मानव प्रकृति के हाथ का खिलौना है , इसे पर्यावरण वादी उपागम भी कहते हैं !
  • मानव पर्यावरण संबंध के संभववादी  ( Possiblism ) उपागम के अनुसार मानव को पर्यावरण का एक सक्रिय तत्व मानते हैं , इसका विचार है कि मनुष्य प्रकृति पर विजय प्राप्त कर चुका है , तथा प्रकृति में मनचाहा परिवर्तन करने में समर्थ है ! ये प्राकृतिक संसाधनों के अतिदोहन पर विश्वास करते है !Paryavaran
  • मानव पर्यावरण संबंध के नव नियतिवादी ( Neo – Determinism ) उपागम के अनुसार प्रकृति का अत्यधिक दोहन विनाशकारी बताया गया है ! इसके अनुसार मानव को प्रकृति के अनुसार अपनी विकास की नीतियां बनाना चाहिए ! सतत विकास ( Sustainable Development ) की अवधारणा का विचार इसी उपागम से लिया गया है !
  • सतत विकास ( Sustainable Development ) का अर्थ है, वर्तमान की जरूरतों को पूरा करते हुऐ भावी पीढ़ियों के लिए संसाधनों को सुरक्षित रखना !Paryavaran
  • उष्णकटिबंधीय सदाबहार वन विषुवत रेखा के निकट  उत्तरी व दक्षिणी गोलार्ध मैं पाए जाते हैं , जहां साल भर तापमान और आर्द्रता काफी उच्च रहती है , तथा औसत वार्षिक वर्षा 200 सेंटीमीटर से अधिक होती है ! यहां विश्व की सर्वाधिक जैव विविधता पाई जाती है ! इसे डोलड्रम की पेटी भी कहा जाता है !Paryavaran
  • टैगा वन आँकर्टिक वृत्त ( 66.5 N ) के चारों और यूरोप , एशिया व उत्तरी अमेरिका महाद्वीप में पाए जाते हैं ! इन्हें शंकुधारी वन भी कहते हैं ! इनका विस्तार सभी वन क्षेत्रों में सर्वाधिक है , जबकि जैव विविधता सबसे कम ! टैगा वन में सबसे अधिक मुलायम लकड़ी प्राप्त होती है ! चीड़ , देवदार , फर , स्प्रूस आदि मुलायम लकड़ियों बाले वृक्ष है जो इन बनों में पाऐ जाते हैं !
  • विषुवत वृत्त से ध्रुवों की ओर बढ़ने पर जैव विविधता में कमी आती है !
  • ऊंचाइयों की अपेक्षा घाटियों में जैव विविधता अधिक होती है !
  • ताप अधिक होने पर जैव विविधता अधिक होती है !Paryavaran
  • क्षारीय मृदा में उगने वाले पौधों को हेलो फाइट्स कहा जाता है !
  • लाल रंग प्रकाश संश्लेषण के लिए सबसे उपयुक्त होता है !
  • लाइकेन छोटी वनस्पतियों का समूह है , जो कवक व शैवाल द्वारा निर्मित होता है !
  • दक्षिणी पश्चिमी रूस के घास के मैदानों को स्टेपी कहा जाता है !
  • दक्षिण अफ्रीका के घास के मैदानों को वेल्ड कहा जाता है !
  • ब्राजील के घास के मैदानों को कैंपोस कहा जाता है !

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  • संयुक्त राज्य अमेरिका के घास के मैदानों को प्रेयरी कहा जाता है !
  • दक्षिण अमेरिका के घास के मैदानों को पंपास कहा जाता है !
  • ऑस्ट्रेलिया के घास के मैदानों को डाउंस कहा जाता है !
  • न्यूजीलैंड के घास के मैदानों को कैंटरबरी कहा जाता है !Paryavaran
  • पौधे क्लोरोफिल की उपस्थिति में सूर्य के प्रकाश द्वारा जल व ऑक्सीजन को ग्लूकोस में बदलते हैं , सूर्य के प्रकाश को रासायनिक ऊर्जा के रूप में संचित कर अन्य जीवो के लिए भोजन उत्पादित करने के गुण के कारण ही हरे पौधों को प्राथमिक उत्पादक कहा जाता है !
  • जो जीव अपने भोजन के लिए केवल प्राथमिक उत्पादकों पर निर्भर होते है , उन्हें प्राथमिक उपभोक्ता या शाकाहारी कहा जाता है ! उदाहरण – चूहा , खरगोश , गाय , हिरण , बकरी आदि ! इन्हें द्वितीयक उत्पादक भी कहा जाता है !Paryavaran
  • बे जीब जो अपने भोजन के लिए प्राथमिक उपभोक्ताओं पर निर्भर होते हैं , उन्हें द्वितीयक उपभोक्ता या मांसाहारी कहा जाता है !
  • बे जीब जो द्वितीयक उपभोक्ताओं को अपना भोजन बनाते हैं , उन्हें तृतीयक श्रेणी के उपभोक्ता कहते हैं
  • ऐसे जीव जो सभी श्रेणी के मांसाहारियों का शिकार करते हैं , उच्च स्तरीय उपभोक्ता कहलाते हैं ! इनकी विशेषता यह होती है कि कोई अन्य जीव इन्हे मारकर नहीं खा सकता !
  • ऐसे जीव जो भोजन के रूप में पादपों , शाकाहारी व मांसाहारियों पर निर्भर होते हैं , उन्हें सर्वभक्षी कहा जाता है ! मनुष्य इसका उदाहरण है !Paryavaran
  • परजीवी ( Parasites ) वे होते हैं जो अपने भोजन तथा निवास दोनों के लिए ही दूसरों पर निर्भर रहते हैं ! मानव व पशुओं में लगने वाली जूं , पशुओं की खाल पर चिपकने वाली किलनी इसके प्रमुख उदाहरण है !
  • प्रिडेटर्स ( Predators ) ऐसे जीव होते हैं जो केवल भोजन के लिए दूसरे जीवो पर निर्भर होते हैं !
  • आधार प्रजाति उस पर प्रजाति को कहा जाता है जो अन्य प्रजातियों के निर्माण व संरक्षण में आवश्यक व महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है ! समुद्री प्रवाल ( मूंगा या कोरल ) इसका अच्छा उदाहरण है , कोरल , कोरल रीफ का निर्माण करती है , जो अन्य जातियों के लिए निवास व प्रजनन स्थल के रूप में काम करती है !Paryavaran
  • अंब्रेला प्रजाति एक विशाल जंतु या समुदाय होता है ! जिस एक प्रमुख प्रजाति के कारण अन्य प्रजातियों को स्वतः सुरक्षा मिल जाए उस मुख्य प्रजाति को अंब्रेला प्रजाति कहा जाता है ! जिस प्रकार बाघ को विशेष सुरक्षा देने के लिए टाइगर रिजर्व घोषित किये जाते है इससे न केवल बाघ को बल्कि उस स्थान की अन्य प्रजातियां भी सुरक्षित हो जाती है , उसी प्रकार इस रिजर्व घोषित क्षेत्र में बाघ एक अंब्रेला प्रजाति है !
  • की – स्टोन प्रजाति उस प्रजाति को कहा जाता है जो अपने परिस्थिति तंत्र में अत्यधिक प्रभाव रखती है ! की स्टोन प्रजाति के निर्धारण में उस प्रजाति के जीवो की अधिक संख्या को नहीं , बल्कि परितंत्र में उसके कार्यों की गणना की जाती है ! Paryavaran
  • संकेतक प्रजाति किसी पौधे या जंतु की ऐसी प्रजाति है , जो पर्यावरण परिवर्तन के प्रति बहुत अधिक संवेदनशील होती है ! इसका अर्थ है कि जो प्रजातियां पारिस्थिति तंत्र की हानि होने का शीघ्र संकेत करती है , संकेतक प्रजातियां कहलाती है ! जैसे वायु प्रदूषण की अधिकता की जांच के लिए लाइकेन तथा जल प्रदूषण के संकेतक के रूप में मछली को संकेतक प्रजाति माना जाता है !
  • हरे पेड़ पौधे प्रकाश संश्लेषण क्रिया द्वारा सौर या प्रकाश ऊर्जा को रासायनिक ऊर्जा (ग्लूकोज) में परिवर्तित करते हैं !
  • किसी क्षेत्र में प्राथमिक उत्पादक ( हरे पेड़ पौधे ) द्वारा प्रति इकाई सतह में , प्रति इकाई समय में सकल संचित ऊर्जा की मात्रा को पारिस्थितिकी उत्पादकता ( Ecological Productivity ) कहते हैं !
  • प्राथमिक उत्पादक ( हरे पेड़ पौधे ) द्वारा आत्मसात की गई कुल ऊर्जा की मात्रा को सकल प्राथमिक उत्पादन ( GPP ) कहते हैं !
  • सकल प्राथमिक उत्पादन ( GPP ) में से श्वसन द्वारा नष्ट ऊर्जा की मात्रा को घटाने पर प्राप्त सकल ऊर्जा को शुद्ध प्राथमिक उत्पादन ( NPP ) कहते हैं !
  • विश्व की औसत शुद्ध प्राथमिक उत्पादकता  (NPP) 320 ग्राम प्रति वर्ग मीटर प्रति वर्ष है , जबकि उष्णकटिबंधीय वर्षा वन तथा दलदली क्षेत्र व एस्चुअरी में विश्व की सर्वाधिक शुद्ध प्राथमिक उत्पादकता (NPP) 2000 ग्राम प्रति वर्ग मीटर प्रति वर्ष पाई जाती है !
  • किसी भी परिस्थिति तंत्र में प्रति इकाई समय एवं प्रति इकाई क्षेत्र में जीवित पदार्थों के सकल शुष्क भार को बायोमास ( Biomass ) कहा जाता है !
  • इकोटोन दो भिन्न-भिन्न बायोम के बीच का क्षेत्र है ! इन जगहों में दो अलग-अलग समुदाय की प्रजातियों का मेल होता है ! ऐसे स्थानों पर रहने वाली प्रजातियां जलवायु से अनुकूल करने में अधिक सक्षम होती है !
  • पृथ्वी तक पहुंचने वाली सौर ऊर्जा का करीब 1% भाग कि प्रकाश संश्लेषण की क्रिया में प्रयुक्त होता है
  • ऊर्जा स्थानांतरण के 10 प्रतिशत के नियम के अनुसार एक पोषण स्तर से दूसरे पोषण स्तर पर मात्र 10% ऊर्जा ही स्थानांतरित होती है , इस नियम को 1942 में लिंडेमान ने प्रतिपादित किया था !
  • उष्मागतिकी के प्रथम नियम को ऊर्जा संरक्षण का नियम भी कहते हैं इसके अनुसार ना तो ऊर्जा का सृजन होता है और ना ही विनाश , ऊर्जा का सिर्फ एक रूप से दूसरे रूप में परिवर्तन होता है !
  • उष्मागतिकी का द्वितीय नियम पारिस्थितिकी तंत्र में ऊर्जा के प्रवाहित होने की दिशा से संबंधित है , इसके अनुसार ऊष्मा सदैव अधिक ताप से निम्न ताप की ओर प्रवाहित होती है !
  • पारिस्थितिकी पिरामिड की अवधारणा का प्रतिपादन चार्ल्स एटन 1927 में किया था !
  • खेती सबसे प्राचीन पद्धति झूम खेती है !
  • 3600 मीटर से अधिक ऊंचाई पर पाई जाने वाली वनस्पति को अल्पाइन बायोम की श्रेणी में रखा जाता है !
  • वायुमंडल में सर्वाधिक नाइट्रोजन गैस (78%) पाई है !
  • वायुमंडल में आर्गन गैस की मात्रा 0.93% है !
  • वायुमंडल में कार्बन डाइऑक्साइड गैस की मात्रा 0.03% है !
  • वनस्पतियों के सड़ने से मीथेन गैस निकलती है !
  • पीट मृदा में सर्वाधिक कार्बनिक पदार्थ पाए जाते है !
  • अल्फा – अल्फा एक प्रकार की घांस है !
  • मटियार मिट्टी (Clay Soil) की जलधारण क्षमता सभी मिट्टियों में सर्वाधिक होती है !
  • गहन पारिस्थितिकी ( Deep Ecology ) शब्द के जनक अर्निस नेस है !
  • जैविक अजैविक तत्वों का चक्र जैव भू रासायनिक चक्र ( Bio-Geochemical Cycle ) के रूप में चलता है !
  • ज्वालामुखी विस्फोट से फास्फोरस चक्र पर सर्वाधिक प्रभाव पड़ता है !
  • सर्वाधिक लवणता मृत सागर में पाई जाती है !
  • ग्रेट बैरियर रीफ ऑस्ट्रेलिया के पूर्वी तट पर प्रशांत महासागर में स्थित है !
  • मध्यप्रदेश के बालाघाट जिले में सर्वाधिक वन आवरण क्षेत्र है !
  • महासागरों की औसत लवणता 35% होती है !
  • बन में पेड़ों की छाल पर लगने वाले सफेद पदार्थ को लाइकेन कहा जाता है !
  • सर्वाधिक स्थाई पारिस्थितिक तंत्र महासागर है !

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Nitin Gupta

GK Trick by Nitin Gupta पर आपका स्वागत है !! अपने बारे में लिखना सबसे मुश्किल काम है ! में इस विश्व के जीवन मंच पर एक अदना सा और संवेदनशीलकिरदार हूँ जो अपनी भूमिका न्यायपूर्वक और मन लगाकर निभाने का प्रयत्न कर रहा हूं !! आप मुझे GKTrickbyNitinGupta का Founder कह सकते है !
मेरा उद्देश्य हिन्दी माध्यम में प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी करने बाले प्रतिभागियों का सहयोग करना है !! आप सभी लोगों का स्नेह प्राप्त करना तथा अपने अर्जित अनुभवों तथा ज्ञान को वितरित करके आप लोगों की सेवा करना ही मेरी उत्कट अभिलाषा है !!

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